लोहे का पुल
दिल्ली में यमुना नदी पर बने पहले रेल तथा सड़क यातायात के लिए बना पुल को लोहे के पुल के नाम से जाना जाता है। रेलवे की तकनीकी भाषा में यह पुल नं २४९ के नाम से जाना जाता है। भारत में सबसे पुराने तथा लम्बे पुलो में अन्यतम है। इस पुल का निर्माण कार्य सन् १८६३ में शुरू हुआ और १८६६ में बनकर समाप्त हुआ [1]इसे एक वर्ष पश्चात सन् १८६७ में जनसाधारण के लिए खोला गया था। [2] यह एक डबल डेक स्टील ट्रस ब्रिज निर्माण शेली में बना पुल है जो कि यमुना नदी के पूर्वी तट को पश्चिमी किनारे से जोड़ती है। यह शहादरा को दिल्ली शहर से जोड़ता है। इस पुल का निर्माण कार्य ईस्ट इंडिया रेलवे कम्पनी द्वारा की गई थी। इसके निर्माण कार्य में १६ लाख १६ हजार ३३५ पाउंड की धनराशि व्यय की गई थी।[3] इस पुल कि कुल लंबाई के २६४० फुट है जो कि १२ स्तंभ के उपर २०२.५ फुट की दूरी पर स्थित है।
लोहे का पुल लोहे का पुल ( Lohe-ka-Pul ) | |
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निर्देशांक | 28°39′49″N 77°14′55″E / 28.66361°N 77.24861°E |
आयुध सर्वेक्षण राष्ट्रीय ग्रिड | [1] |
वहन | 4 लेन |
स्थान | दिल्ली, भारत |
आधिकारिक नाम | पुल नं २४९ |
लक्षण | |
डिज़ाइन | डबल-डेक ट्रस ब्रिज |
सामग्री | स्टील |
कुल लम्बाई | 804.672 मीटर (2,640 फीट) |
इतिहास | |
निर्माण आरम्भ | १८६३ |
निर्माण पूर्ण | १८६६ |
सांख्यिकी | |
दैनिक ट्रैफिक | रेल और सड़क यातायात |
ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान भारत के दो प्रमुख शहर पूर्व में बसा हुआ कलकत्ता और उत्तर में बसा दिल्ली को जोड़ने की आखिरी कड़ी थी। इस से लाहौर से कलकत्ता तक सीधा सम्पर्क बन गया।[4]इस पुल को पहले एक लाइन के लिए बनाया गया था लेकिन यातायात के दबाव के कारण इसे दोहरी लाइन में परिवर्तित किया गया था। इसे दोहरी लाइन में परिवर्तित करने की तिथि के तथ्यो में थोड़ा मतभेद अवश्य है एक स्थान पर यह १९१३ दर्शाता है [3] और एक स्थान पर यह १९३२ में कार्य शुरू किया गया और १९३४[5] में फिर से चालू किया गया बताया जाता है। इस
इस पुल कि खासियत इसकी दोहरी उपयोगिता है यह सड़क यातायात के साथ-साथ रेल यातायात दोनों को सुगम रुप से जारी रखता है। इसका ऊपरी भाग रेल यातायात के लिए बना है और निचले स्तर पर सड़क यातायात के लिए बनाया गया है।
यमुना नदी पर बने इस पुल कि एक ओर कृति इलाहाबाद में बना है जो कि इलाहाबाद को नेनी से जोड़ती है जो कि उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मुगलसराय प्रभाग में आता है।
इस इतिहासिक विशालकाय पुल के समीप एक ओर नया पुल निर्माणाधीन है जिसके बने जाने के बाद इस कि रेल यातायात सेवा बन्द कर दी जाएगी लेकिन तब भी यह सड़क यातायात के लिए उपयोग आता रहेगा। इस पुल के निकट एक ओर पुल गीता कालोनी पुल जो कि सड़क यातायात के लिए बनाया गया है के बावजूद इस पुल कि उपयोगिता कम नहीं होगी। यह हमेशा एक स्मारक के रूप में दिल्ली वाशियो के मन में बसा रहेगा
यह भी देखें संपादित करें
संदर्भ संपादित करें
- ↑ (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
- ↑ "Old Yamuna Bridge". मूल से 19 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 October 2018.
- ↑ अ आ "Yamuna-Railway-Bridge". मूल से 18 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 October 2018.
- ↑ (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
- ↑ "A bridge of stories". अभिगमन तिथि 28 October 2018.