लौह भस्म आयुर्वेद में रोग के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है, इसका इस्तेमाल अनेक आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है। इसका मुख्य गुण खून की कमी को दूर करना है जिससे एनीमिया जैसी गंभीर समस्या में फायदा मिलता है। लौह भस्म लोहे से प्राप्त होता है जो लोहे का ऑक्साइड होता है। इसके सेवन से रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है जिससे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और सभी ज्वर रोगों से लड़ने में मदद करता है। लौह भस्म का उपयोग खून की कमी को दूर करना , एनीमिया और शारीरिक कमजोरी के लिए किया जाता है इनके अलावा इसका उपयोग अन्य रोगों में भी किया जाता है जानते है अन्य औषधीय उपचारों के बारे में :- लौह भस्म के मुख्य फायदे जैसे - खून की कमी को दूर करना, शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं करना, सभी ज्वर रोगों मे लाभदायक, टाइफाइड में लाभप्रद, भूख को बढ़ाना, कफ और पित रोग नाशक, शारीरिक और मानसिक कमजोरी दूर करना, शारीरिक थकान दूर करना, क्षय रोग में लाभदायक, पीलिया में लाभदायक, रक्त प्रदर और श्वेत प्रदर में लाभदायक, शारीरिक बल को बढ़ाना, लीवर की कमजोरी दूर करना, यकृत विकारों में फायदेमंद, शारीरिक सूजन में लाभप्रद, स्वसन रोगो में फायदेमंद, अस्थमा में लाभप्रद, याददास्त की कमजोरी दूर करना, मासिक धर्म को संतुलित करना, प्रमेह रोग में लाभदायक, कृमि नाशक, प्लीहा रोग में लाभप्रद, अतिसार में फायदेमंद आदि फायदे और औषधीय गुण है लौह भस्म बहुत ही गुणकारी है लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव भी है और इसके सेवन के दौरान कुछ सावधानियाँ रखनी चाहिए जानते है इसके इसके दुष्प्रभाव और सावधानियों को :- लौह भस्म[मृत कड़ियाँ] के उपयोग और सेवन के दौरान इन सावधानियों और बातो का ध्यान रखना जरुरी है जैसे - लौह भस्म का सेवन चिकित्सक की सलाह से करेऔर चिकित्सक द्वारा निर्धारित मात्रा का ही सेवन करे। लौह भस्म के सेवन के दौरान खट्टे पद्धार्त , तले हुए व्यंजन , माँस मछली , मिर्च मसाले , बेंगन , करेला और उड़द की दाल आदि का परहेज करना चाहिए। इसके सेवन से पेट सम्बन्धी समस्या जैसे गैस , अपच और कब्ज की समस्या हो सकती है। घबराहट और मतली की जैसी समस्या भी हो सकती है।

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