वंगारी मथाई
वंगारी मथाई (१ अप्रैल, १९४० - २५ सितंबर २०११) केन्याई पर्यावरणविद् और राजनीतिक कार्यकर्ता थीं। ये ग्रीन बेल्ट आंदोलन की संस्थापक और महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली प्रसिद्ध केन्याई राजनितिज्ञ और समाजसेवी थीं। उन्हें साल 2004 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था। वे नोबेल पुरस्कार पाने वाली पहली अफ्रीकी महिला थी|
वंगारी मथाई | |
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जन्म |
1 अप्रैल 1940 Ihithe village, Tetu division, Nyeri District, Kenya |
मृत्यु |
25 सितम्बर 2011 नैरोबी, कीनिया | (उम्र 71 वर्ष)
शिक्षा |
B.S. Biology, M.S. Biological Sciences, Ph.D. Veterinary Anatomy |
पेशा | पर्यावरणविद, राजनितिज्ञ, समाजसेवी |
जातीयता | Kikuyu |
जीवन
संपादित करेंउन्होंने अमेरिका और कीनिया में उच्चशिक्षा अर्जित की। १९७० के दशक में माथे ने ग्रीन बेल्ट आंदोलन नामक गैर सरकारी संगठन की नीव डालकर पौधरोपण, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के अधिकारों की ओर ध्यान दिया। २००४ में "सतत विकास, लोकतंत्र और शांति के लिए के लिए अपने योगदान" की वजह से नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली अफ्रीका महिला और पहली पर्यावरणविद् बनी। वर्ष २००५ में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वे २००२ में सांसद बनी और कीनिया की सरकार में मंत्री भी रहीं। २६ सितंबर २०११ को नैरोबी में उनका निधन हो गया।[1][2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "नोबेल पुरस्कार विजेता वंगारी मथाई का निधन". लाइव हिन्दुस्तान. २६ सितम्बर २०११. मूल से 29 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २८ अप्रैल २०१४.
- ↑ ए जमाल (२६ सितम्बर २०११). अनवर अशराफ़ (संपा॰). "नोबेल विजेता वंगारी मथाई का निधन". वर्ल्ड न्यूज़. मूल से 29 अप्रैल 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २८ अप्रैल २०१४. नामालूम प्राचल
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की उपेक्षा की गयी (मदद)