वज़ीरिस्तान अभियान (1936–1939)
वजीरिस्तान अभियान 1936-1939 में ब्रिटिश और भारतीय सेनाओं द्वारा वज़ीरिस्तान में किए गए कई ऑपरेशन शामिल थे, जो इस क्षेत्र में रहने वाले बाग़ी कबीलों के खिलाफ चलाए गए थे। इसके तहत 1936-1939 में पश्तून राष्ट्रवादी मिर्ज़ाली खान के अनुयायियों के खिलाफ ऑपरेशन किए गए थे, जिन्हें अंग्रेजों "इपी का फ़क़ीर" के रूप में जानते थे। वे एक धार्मिक और राजनीतिक आंदोलनकारी थे, जो इस क्षेत्र में ब्रिटिश-विरोधी भावना फैलाकर वजीरिस्तान में ब्रिटिश भारत की सरकार को नीचा दिखा रहे थे।
वज़ीरिस्तान अभियान 1936–1939 | |||||||
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योद्धा | |||||||
वज़ीरिस्तान | ब्रिटिश साम्राज्य | ||||||
सेनानायक | |||||||
मिर्ज़ाली ख़ान | जॉन कोलरिज | ||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||
4,000 क़बीलेवाले | क़रीब 60,000 नियमित और अनियमित सैनिक | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
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1939 के बाद, उत्तर-पश्चिम सीमा काफ़ी समय के लिए शांत हो गई। 1947 में ब्रिटिश शासन के अंत तक एकाध गाँव पर छापेमारी और हमले के अलावा, कुछ ख़ास हिंसा नहीं हुई। [1]
यह सभी देखें
संपादित करें- नंबर 31 स्क्वाड्रन आरएएफ
- वजीरिस्तान अभियान (1919-20)
- उत्तर-पश्चिम सीमा - भूगोल, अर्थव्यवस्था, राजनीतिक स्थिति आदि।
- उत्तर-पश्चिम सीमा (सैन्य इतिहास)
टिप्पणियाँ
संपादित करें- ↑ Wilkinson-Latham, p. 29.
संदर्भ
संपादित करें- बर्थोर्प, माइकल। (2002)। अफगान युद्ध और उत्तर-पश्चिमी सीमा 1839-1947 । Cassell: लंदन। आईएसबीएन 0-304-36294-8 ।
- विल्किंसन-लाथम, रॉबर्ट। (1977)। नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर 1837-1947 । ऑस्प्रे प्रकाशन: लंदन। आईएसबीएन 0-85045-275-9 ।
आगे की पढाई
संपादित करें- 1936-37 के एनडब्ल्यू फ्रंटियर ऑफ इंडिया के संचालन का आधिकारिक इतिहास । नौसेना और सैन्य प्रेस, और इंपीरियल युद्ध संग्रहालय, लंदन। आईएसबीएन 1-84342-765-6
- मोरमैन, टिम। (1998) द आर्मी इन इंडिया एंड द डेवलपमेंट ऑफ फ्रंटियर वारफेयर 1847-1947 । मैकमिलन: लंदन। आईएसबीएन 978-0-31221-703-7