वज्र गुणन
प्रारम्भिक अंकगणित में, वज्र गुणन विधि (The Rule of Three) या आनुपातिकता का नियम या तिर्यक गुणनफल एक गणितीय विधि है। गणित की भाषा में कहें तो, तीन संख्याएं a, b और c दी गयीं हैं। त्रैराशिक नियम चौथी संख्या d को खोजने की विधि बताता है, यदि a/b = c/d हों तो
इसमें तीन राशियाँ दी गयी होतीं हैं (और चौथी राशि ज्ञात करनी होती है), अत: इसे त्रैराशिक नियम कहते हैं। उदाहरण के लिये, यदि प्र (प्रमाण) में फ (फल) मिलता है तो इ (इच्छा) में क्या मिलेगा?
त्रैराशिक प्रश्नों में फल राशि को इच्छा राशि से गुणा करना चाहिए और प्राप्त गुणनफल को प्रमाण राशि से भाग देना चाहिए। इस प्रकार भाग करने से जो परिणाम मिलेगा वही इच्छा फल है। उदाहरण के लिए उपरोक्त प्रशन में ५१ प्रमाण है; ३ किलो फल है। इच्छा राशि ८५ रूपए है। अतः इसका उत्तर है : (८५ x ३) / ५१ = ५ किलो।
उदाहरण: ५१ रूपए में ३ किलो धान मिलता है तो ८५ रूपए में कितने किलो धान मिलेगा?
- यहाँ a = 51, b=3, c=85
- अतः d = 3 x 85 / 51 = 5
- अर्थात ८५ रूपये में ५ किलो धान मिलेगा।
भारतीय गणित में त्रैराशिक नियम
संपादित करेंभारतीय गणितज्ञों को त्रैराशिक नियम का ज्ञान ६ठी शताब्दी ईसापूर्व से है। भारतीय गणित इसे प्रायः 'त्रैराशिक व्यवहार' के नाम से जाना जाता रहा है। यूरोप में इस विधि की जानकारी बहुत बाद में पहुंची।
वेदांग ज्योतिष में त्रैराशिक व्यवहार का यह नियम देखिये-
- इत्य् उपायसमुद्देशो भूयोऽप्य् अह्नः प्रकल्पयेत्।
- ज्ञेयराशिगताभ्यस्तं विभजेत् ज्ञानराशिना ॥ २४
- ज्ञात परिणाम को उस राशि से गुणा करते हैं जिसके लिये परिणाम पता करना है (ज्ञेय राशि) , और फिर इसे उस राशि से भाग दे देते हैं जिसके लिये परिणाम ज्ञात है (ज्ञान राशि)। [1]
- यहाँ, ज्ञानराशि (या, ज्ञातराशि) = “वह राशि जिसके लिये मान ज्ञात है”
- ज्ञेयराशि = “वह राशि जिसका मान ज्ञात करना है”
यह नियम आठवीं शताब्दी में भारत से अरब देशों में पहुंचा। अरबी गणितज्ञों ने त्रैराशिक को ‘फी राशिकात अल्-हिन्द‘ नाम दिया। बाद में यह यूरोप में फैला जहां इसे 'गोल्डन रूल' की उपाधि दी गई।
सन्दर्भ
संपादित करेंपठनीय
संपादित करें- 'Dr Math', Rule of Three
- 'Dr Math', Abraham Lincoln and the Rule of Three
- Pike's System of arithmetick abridged: designed to facilitate the study of the science of numbers, comprehending the most perspicuous and accurate rules, illustrated by useful examples: to which are added appropriate questions, for the examination of scholars, and a short system of book-keeping., 1827 - facsimile of the relevant section
- Hersee J, Multiplication is vexation - an article tracing the history of the rule from 1781
- The Rule of Three as applied by Michael of Rhodes in the fifteenth century
- The Rule Of Three in Mother Goose
- Rudyard Kipling: You can work it out by Fractions or by simple Rule of Three, But the way of Tweedle-dum is not the way of Tweedle-dee.