यह मंदिर उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में स्थित है। मान्यता है कि यहां पर तमसा नदी के किनारे महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में माता सीता वनवास के दौरान रही थीं। यहीं पर लव कुश का जन्म हुआ था और यहीं पर माता सीता धरती में समाई थीं। हालांकि कुछ और भी जगहें हैं जिनके बारे में ऐसी ही मान्यता है। वनदेवी के पक्ष में जो तर्क है वो यह है कि वाल्मीकि रामायण में उनके आश्रम को तमसा नदी के तट पर बताया गया है और ये तमसा नदी यहीं पर बहती है। जबकि कानपुर के बिठूर, बागपत के बलैनी में भी सीता माता के वनवास काटने के दावे किए जाते हैं। उत्तराखंड के रामनगर में जिम कार्बेट पार्क के पास सीतावनी मंदिर भी है, जहां पर वो तालाब है जिसके बारे में मान्यता है कि वहीं पर माता सीता धरती में समाई थीं।

यह स्थान मात्र क्षेत्र में ही नहीं बल्कि आस पास के जनपदों में भी श्रद्धा का केंद्र है। यहां स्तिथ ब्रह्मचारी बाबा की कुटी में भी लोगो का आस्था और विश्वास है।

मंदिर के चारो ओर चैत्र नवरात्रि में अंतिम तीन दिनों में मेले का भव्य आयोजन होता है। मान्यता है की इस स्थान से मांगी हुई मुरादे निश्चित पूरी होती है। यहां से कोई कभी भी निराश नहीं होता है।

मंदिर से सटा हुआ एक अत्यंत सुंदर तालाब और बच्चो के लिए वन विभाग द्वारा निर्मित एक पार्क भी है जिसमे व्यस्कों के लिए दो रुपए शुल्क है बच्चो के लिए कोई शुल्क नहीं है, साथ ही साथ चारो तरफ वन भी है जो अत्यंत मनोरम वातावरण उत्पन्न करता है।


मऊ जनपद के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में भी इसका नाम है।