भारत में दिगंबर जैन आम्नाय की 84 उपजातियों में से 'वरहिया' भी एक जैन उपजाति है। [उद्धरण चाहिए]यह किसी अन्य जैन जाति की उपशाखा न होकर एक प्राचीन व स्वतन्त्र जाति है, जो दिगंबर जैन परंपरा में दृढ़ श्रद्धान रखती है। [उद्धरण चाहिए]नरवर (नलपुर) के प्रतापी नरेश राजा नल की वंश परंपरा में सूर्यदेव (सूर्यसेन) के पुत्र वीरमचन्द की संतति को वरहिया जैन जाति के पूर्वपुरूष होने का गौरव प्राप्त है। वीरमचन्द की कई पीढियां गुजरने के बाद यह वंश 8 प्रमुख गौत्रों में विभाजित हुआ जो चौधरी, पलैया, भंडारी, एछिया, सेंथारिया, पहाड़िया और नोने नाम से प्रसिद्ध हैं। [उद्धरण चाहिए]कालांतर में 28 और गौत्र अस्तित्व में आये। [उद्धरण चाहिए]इस प्रकार वर्तमान में वरहिया जाति में 36 गौत्र हैं। म.प्र.के ग्वालियर और शिवपुरी जनपदों में व उ.प्र.के आगरा जनपद में यह जाति सामान्यतः निवासरत है। वरहिया पद एक गुणवाची विशेषण है जिसका अर्थ-निरूपण 'श्रेष्ठ ह्रदय वाले जन'के रूप में किया जाता है। [उद्धरण चाहिए]