वर्षा ऋतु

वजृश्रावन से भाद्रपद

वर्षर्तु (वर्षा-ऋतु) वर्ष का वह समय होता है जब किसी क्षेत्र की अधिकांश औसत वार्षिक वर्षा होती है। आम तौर पर, मौसम कम से कम एक महीने तक रहता है। हरे मौसम शब्द को कभी-कभी पर्यटक अधिकारियों द्वारा एक व्यंजना के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। आर्द्र मौसम वाले क्षेत्र उष्ण कटिबंध और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फैले हुए हैं।

कोपेन जलवायु वर्गीकरण के तहत, उष्णकटिबंधीय जलवायु के लिए, एक गीले मौसम के महीने को एक महीने के रूप में परिभाषित किया जाता है जहां औसत वर्षा 60 मिलीमीटर (2.4 इंच) या अधिक होती है।[1] सवाना जलवायु और मानसून शासन वाले क्षेत्रों के विपरीत, भूमध्यसागरीय जलवायु में गीली सर्दियाँ और शुष्क ग्रीष्मकाल होते हैं। शुष्क और बरसात के महीने उष्णकटिबंधीय मौसमी वनों की विशेषता है: उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों के विपरीत, जिनमें शुष्क या गीला मौसम नहीं होता है, क्योंकि उनकी वर्षा पूरे वर्ष समान रूप से वितरित की जाती है।[2] स्पष्ट बरसात के मौसम वाले कुछ क्षेत्रों में मध्य-मौसम में वर्षा में एक विराम दिखाई देगा, जब गर्म मौसम के मध्य में अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र या मानसून ट्रफ उच्च अक्षांशों की ओर बढ़ता है।[3]

वर्षा ऋतु भारत की ऋतुओं में से वर्ष की सबसे अधिक प्रतीक्षित ऋतुओं में से एक है। पूरे भारत में वर्षा ऋतु की शुरुआत गर्मी के बाद जुलाई से होकर सितम्बर तक चलती है।[4]

जो फसलें बरसात के मौसम में सफलतापूर्वक लगाई जा सकती हैं वे हैं कसावा, मक्का, मूंगफली, बाजरा, चावल और रतालू।[5]

वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य सुरक्षा

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मानसून अपनी सुखदायक वर्षा और ताजगी भरी हवा के साथ आता है, यह आयुर्वेद में मनाए जाने वाले मौसम वर्षा ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है। 21 जून से शुरू होने वाला वर्षा ऋतु प्रकृति और हमारे शरीर दोनों में एक गहरा बदलाव लाता है, जिससे संतुलन और सेहत बनाए रखने के लिए हमारी दैनिक दिनचर्या और अभ्यासों में समायोजन की आवश्यकता होती है। आयुर्वेदिक पुस्तक ऋतुचर्या के अनुसार -

“अदन्ग्लानवपुषामग्निसन्नोऽपि सीदति वर्षासु दोषदुष्यन्ति तेऽम्बुलम्बाम्बुदेऽम्बरे सतुषारेण् मरुता सहसा शीतलेन च भूबस्पेनामल्पाकेन मलिनेन च वारिणा।। वह्निनैव च मन्देन, तेषवित्यन्योऽन्यदुषिषु भजेत्साधारणं सर्वमुष्णस्तेजनं च यत्।”

इसका अर्थ है - वर्षा ऋतु में अग्नि (पाचन क्रिया) कमजोर होती है। यह पहले से ही अदन काल से कमजोर है; यह और भी कमजोर हो जाती है तथा दोषों से दूषित हो जाती है। पानी से भरे घने बादल, बर्फ वाली ठंडी हवा, बारिश के कारण गंदा पानी, धरती की गर्मी और खटास के प्रभाव से दोष और भी बढ़ जाते हैं। पाचन क्रिया की कमजोर शक्ति के कारण दोष एक दूसरे को खराब करने लगते हैं और अनेक रोग उत्पन्न करते हैं। इसलिए असंतुलित दोषों को कम करने तथा पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के लिए सभी सामान्य उपाय अपनाए जाने चाहिए।[6]

क्या करें , क्या न करें ?

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सावन जो की वर्षा की ऋतु का काल है उसमें वातावरण में विषाक्त कीटाणु पैदा हो जाते हैं जो बीमारियां फैलाते हैं। इसलिए इस मौसम में हरे पत्ते वाली सब्जी के सेवन से बचना चाहिए। इस दौरान बैगन ना खाए क्योंकि इसमें कीड़े हो जाते हैं।सावन में ना तो मांस मदिरा का सेवन करें। बासी, और ठंडी चीजें भी नहीं खाना चाहिए। जहां तक हो सके गर्म ताजा भोजन करें।

आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में जल्दी पचने वाला ताजा और गर्म भोजन करना चाहिए। बरसात में पानी उबालकर पीना चाहिए ताकि अनेक बीमारियों से बचा जा सके। सेव, नाशपाती के जैसे मौसमी फल खाएं। टमाटर का सूप, बेसन की चीजें , हल्दी वाला दूध, पुराना चावल,अरहर का दाल , गुड, मधु आदि का सेवन लाभप्रद होता है। शुगर के रोगी को मेथी का सेवन करना चाहिए। इस ऋतु मे गेहूं से बने खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए वही पीपली. चित्रकमुल, अजवाइन, मिश्री, त्रिकटु मिश्रित जल का प्रयोग करना चाहिए ।

इस मौसम में विशेष कर पानी का ख्याल रखना चाहिए। दूषित पानी शरीर में जाकर विभिन्न प्रकार के रोगों की उत्पत्ति करता है। गीले कपड़े ना पहने | नीम का तेल और तिल का तेल मिलाकर लगाएं ताकि फंगल इंफेक्शन से बचा जा सके | गर्म पानी का प्रयोग करें |[7]

वर्षा के प्रकार

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  1. "कोपेन-गीजर जलवायु वर्गीकरण का अद्यतन विश्व मानचित्र" (PDF). Retrieved 17 मई 2022.
  2. "जलवायु". Retrieved 17 मई 2022.
  3. "वर्षा की विशेषताएँ कृषि के लिए जल उपलब्धता को प्रभावित करती हैं" (PDF). Archived from the original on 5 फ़रवरी 2009. Retrieved 17 मई 2005.{{cite web}}: CS1 maint: bot: original URL status unknown (link)
  4. "वर्षा ऋतु पर अनुच्छेद". Retrieved 17 मई 2022.
  5. "6 Types Of Crops To Plant During Rainy Season".
  6. "वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य को अपनाना: मानसून में खुशहाली के लिए सुझाव".
  7. "स्वास्थ्य की रक्षा के लिए खानपान:बारिश के मौसम में स्वास्थ्य की रक्षा के लिए खानपान का रखें विशेष ख्याल : डाॅ. हरिशंकर".