वामन पुराण
वामन पुराण में मुख्यरूप से भगवान विष्णु के दिव्य माहात्म्य का व्याख्यान है। विष्णु के वामन अवतार से संबंधित यह दस हजार श्लोकों का पुराण शिवलिंग पूजा, गणेश -स्कन्द आख्यान, शिवपार्वती विवाह आदि विषयों से परिपूर्ण है। इसमें भगवान वामन, नर-नारायण, भगवती दुर्गा के उत्तम चरित्र के साथ भक्त प्रह्लाद तथा श्रीदामा आदि भक्तों के बड़े रम्य आख्यान हैं। इसके अतिरिक्त, शिवजीका लीला-चरित्र, जीवमूत वाहन-आख्यान, दक्ष-यज्ञ-विध्वंस, हरिका कालरूप, कामदेव-दहन, अंधक-वध, लक्ष्मी-चरित्र, प्रेतोपाख्यान, विभिन्न व्रत, स्तोत्र और अन्त में विष्णुभक्ति के उपदेशों के साथ इस पुराणका उपसंहार हुआ है।[1]
वामन पुराण | |
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गीताप्रेस गोरखपुर का आवरण पृष्ठ | |
लेखक | वेदव्यास |
देश | भारत |
भाषा | संस्कृत |
श्रृंखला | पुराण |
विषय | विष्णु भक्ति |
प्रकार | हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ |
पृष्ठ | १०,००० श्लोक |
विस्तार
संपादित करेंइस पुराण में श्लोकों की संख्या दस हजार है, इस पुराण में पुराणों के पांचों लक्षणों अथवा वर्ण्य-विषयों-सर्ग, प्रतिसर्ग, वंश, मन्वन्तर और वंशानुचरित का वर्णन है। सभी विषयों का सानुपातिक उल्लेख किया गया है। बीच-बीच में अध्यात्म-विवेचन, कलिकर्म और सदाचार आदि पर भी प्रकाश डाला गया है।
संक्षिप्त जानकारी
संपादित करेंवामनपुराण में कूर्म कल्प के वृतान्त का वर्णन है और त्रिवर्ण की कथा है। यह पुराण दो भागों से युक्त है और वक्ता श्रोता दोनों के लिये शुभकारक है, इसमें पहले पुराण के विषय में प्रश्न है, फ़िर ब्रह्माजी के शिरच्छेद की कथा कपाल मोचन का आख्यान और दक्ष यज्ञ विध्वंश का वर्णन है। इसके बाद भगवान हर की कालरूप संज्ञा मदनदहन प्रहलाद नारायण युद्ध देवासुर संग्राम सुकेशी और सूर्य की कथा, काम्यव्रत का वर्णन, श्रीदुर्गा चरित्र तपती चरित्र कुरुक्षेत्र वर्णन अनुपम सत्या माहात्म्य पार्वती जन्म की कथा, तपती का विवाह गौरी उपाख्यान कुमार चरित अन्धकवध की कथा साध्योपाख्यान जाबालचरित अरजा की अद्भुतकथा अन्धकासुर और शंकर का युद्ध अन्धक को गणत्व की प्राप्ति मरुदगणों के जन्म की कथा राजा बलि का चरित्र लक्ष्मी चरित्र त्रिबिक्रम चरित्र प्रहलाद की तीर्थ यात्रा और उसमें अनेक मंगलमयी कथायें धुन्धु का चरित्र प्रेतोपाख्यान नक्षत्र पुरुष की कथा श्रीदामा का चरित्र त्रिबिक्रम चरित्र के बाद ब्रह्माजी द्वारा कहा हुआ उत्तम स्तोत्र तथा प्रहलाद और बलि के संवाद के सुतल लोक में श्रीहरि की प्रशंसा का उल्लेख है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "गीताप्रेस डॉट कॉम". मूल से 23 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 मई 2010.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- वामन पुराण हिंदी में-
- वेद-पुराण - यहाँ चारों वेद एवं दस से अधिक पुराण हिन्दी अर्थ सहित उपलब्ध हैं। पुराणों को यहाँ सुना भी जा सकता है।
- महर्षि प्रबंधन विश्वविद्यालय-यहाँ सम्पूर्ण वैदिक साहित्य संस्कृत में उपलब्ध है।
- ज्ञानामृतम् - वेद, अरण्यक, उपनिषद् आदि पर सम्यक जानकारी
- वेद एवं वेदांग - आर्य समाज, जामनगर के जालघर पर सभी वेद एवं उनके भाष्य दिये हुए हैं।
- जिनका उदेश्य है - वेद प्रचार[मृत कड़ियाँ]
- वेद-विद्या_डॉट_कॉम
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