वार्ता:अवधेश कुमार निषाद मझवार

जीवन परिचय


नाम - अवधेश कुमार निषाद “मझवार” जन्म - 05/01/1997 पिता - श्री काशी राम वर्मा जी माता - श्रीमती राम देवी जी पत्नि- रेनू वर्मा (मनु)

शिक्षा - एल.एल. बी.(विधि स्नातक) बी.एस.सी.(विज्ञान स्नातक) सी.सी.सी. (कम्प्यूटर), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (प्रमाणपत्रीय दो वर्षीय कोर्स),

रत्न- युवा साहित्य साधक रत्न.

प्रकाशित-सैकड़ों रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं, संकलनों, इंटरनेट में प्रकाशित जिनमें प्रमुख- मां की ज़रूरत, बेरोज़गारी का दर्द, रोटियों की खातिर, मिट्टी के दीपक, किसान पंचम काका, बेटी हम शर्मिंदा हैं, मेरा हौसला दयालु बेटियां, पथ की आश आदि

अप्रकाशित - करीब 200पाण्डुलिपियां गद्य-पद्य में

सम्मान- 100 से अधिक सम्मान पत्र - प्रशस्ति पत्र प्राप्त

रुचियां -अभिनय, पत्रकारिता, चित्रकारी, लेखन आदि | (कई फिल्मों, लघुफिल्मों, अलबमों में अभिनय, कई न्यूज पेपरों में पत्रकारिता व स्वतंत्र पत्रकारिता |)

विशेष -कई स्वलिखित लघुकथाओं पर शॉर्ट फिल्मों का निर्माण

सदस्य - साहित्यिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक संगठनों में सदस्य व पदाधिकारी (अवैतनिक)

संचालक - वीर एकलव्य सेवा समिति (आगरा) उ.प्र.

अध्यक्ष - वीर एकलव्य सेवा समिति (आगरा) उ. प्र. सदस्य-ब्रजलोक साहित्य-कला-संस्कृति अकादमी एवं विश्व शांति मानव सेवा समिति

आजिविका - कृषि एवं मजदूरी....

पता - ग्राम पूठपुरा, पोस्ट उझावली तहसील फतेहाबाद,आगरा-283111, उ. प्र.

चलभाष - 8057338804, 8430100040,

8430635330

ई मेल - avadheshkumar789@gmail.com

(सोशल मीडिया) फेसबुक - अवधेश कुमार निषाद मझवार यूट्यूब चैनल - युवा धड़कन व्हॉटसएप - 8075338804



अवधेश कुमार निषाद मझवार ग्राम पूठ पुरा पोस्ट उझावली तहसील फतेहाबाद आगरा (उ.प्र.)

मजदूर की घर वापसी- सच्ची घटना संपादित करें

मजदूर की घर वापसी- सच्ची घटना

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कानों पर मच्छरों की पीं पीं की आवाज होने से अचानक रामू की पत्नी सुधा नींद से उठ जाती है। तुरंत बाद रामू पूछता है! क्या हुआ उसने रोहने जैसी आवाज में कहा मच्छर काट रहे हैं। आज अपने घर पर होते तो इस नाले के सारे कबाड़ में नहीं सोना पड़ता। ना आज मच्छरों के कांटने की नौबत आती। शादी को अभी दो वर्ष ही हुए हैं। कि आप हमें दिल्ली काम के लिए ले आए। रामू ने बोला! क्या तुझे फतेहाबाद में अकेला छोड़ा आता। तुझे तो मालूम ही है कि मैं गणित से बी०एस०सी० होने के बावजूद भी मुझे नौकरी नहीं मिल सकी। देश की भ्रष्टाचार सरकारों के कारण ! रही बात किसान की तो पिता जी के हिस्से में इतना खेत भी नहीं है। कि किसानी कर सकते। और तुझे तो पता ही है, गांव में ईट भट्टो के अलावा कोई काम भी नहीं है। पैसे भी बहुत कम मिलते हैं। और तो और बेरोजगारी तो इतनी है कि काम मिलना मुश्किल है। कम से कम यहां काम करके दो वक्त की रोटी तो खा लेते हैं। सुधा ने बोला जानती हूं लेकिन अब तो नहीं खा रहे हैं। हमारे पास आज फोन ना होने की वजह से घर पर भी बात नहीं कर पाते है। अगर ऐसा होता तो कम से कम बात करने से मन को शांति तो ज़रूर मिलती। उसी समय रामू ने अपनी जेब से डायरी निकली। और घर का फ़ोन नंबर निकालता है। सड़क पर चलते हुए राहगीर से प्रार्थना करके अपने घर का फोन मिलाया। फोन पर पिताजी बोलते हैं, कहते हैं कैसे हो बेटा! और हमारी बहू कैसी है l रामू धीमी आवाज में बोलता है। कुछ ठीक नहीं है पिताजी। उन्होंने कहा हो सके तो तू घर आजा। कम से कम आंखो के सामने दिखाई तो देता रहेगा। इतनी बात होने के बाद फोन कट जाता हैं। रामू ने सुधा को समझाते हुए कहा हम अकेले की बात नहीं है, हमारे जैसे इन बड़े-बड़े शहरों में करोड़ों मजदूर फंसे हुए हैं। आज विश्व व भारत में कोरोना नामक वायरस जैसी वैश्विक महामारी नहीं आती तो आज सब यह नहीं देखना पड़ता। अब करें भी तो क्या करें। जो होगा सब ऊपर वाले की मर्जी हैं। पत्नी ने कहा मुझे इसी वक्त घर जाना है कुछ भी करो! रामू ने डांटते हुए कहा पागल हो गई है। इतनी रात में व दिल्ली जैसे शहर में कोरोना के कारण जगह-जगह कर्फ्यू के कारण पुलिस खड़ी हुई है। यहां ना तो कोई आगरा तक जाने के लिए रेलगाड़ी ना कोई बस कुछ भी नहीं चल रहा है। फिर हम कैसे जाएंगे तू पागलों जैसी बात करती है। थोड़े दिन इंतजार और कर ले। कुछ दिन के बाद लॉकडाउन खुल जाएगा तो फिर घर चलेंगे। मैं कुछ नहीं जानती पहले 14 अप्रैल फ़िर 3 मई अब 17 मई तक लॉकडाउन बढ़ गया है। पता नहीं जब तक लॉकडाउन खुलेगा तब तक हम जीवित रहें या ना रहें। इससे तो भला है कि क्यों ना घर चलने की कोशिश की जाए। मेरे पास थोड़े से पैसे है, सुधा ने रामू का हाथ थामते हुए बोला। पत्नी की जिद के आगे रामू की ना चल सकी। उसने कहा चलो! वहां से रेलगाड़ी जा रही है। वहां पहुंचकर देखा तो लोग लिस्ट में नाम लिखवाने के चक्कर में लंबी लंबी कतारें लगी हुई थी। पत्नि के साथ होने पर रामू ने कहा अपने बश की बात नहीं है सुधा, यहां से चल तू हमारे पास एक और विकल्प है। भले ही ट्रक वाले इस समय ज्यादा पैसे लेंगे। हम ट्रक से ही घर चलेंगे। पत्नी ने हां में हां मिलाते हुए कहा ठीक है जैसे पहुंच सके। पति-पत्नी पैदल चलकर वे परीचौक पहुंचे। उसके बाद यमुना एक्सप्रेस वे पर चढ़कर देखा। तो बहुत से ट्रक निकल रहे थे। कहीं ट्रकों को हाथ से रोकने का प्रयास किया, लेकिन एक ट्रक ना रुक सका।आखिर में दोनों थक कर सड़क पर ही बैठ गए। कुछ देर बाद हॉर्न की तेज आवाज सुनाई देती हैं। सामने देखा तो एक ट्रक रुका था। केला के पेड़ की छाल से ट्रक भरा हुआ था। ड्राइवर ने पूछा कहां जाना है। तो रामू ने कहा आगरा! ड्राइवर ने कहा हम तो आगरा से तीन किलोमीटर पहले तक ही जाएंगे। रही बात बैठने की तो सरकार ने आगे केविन में दो ही लोगों को बैठने की अनुमति मिली है। आप चाहे तो पीछे बैठ सकते हो।और हां एक सवारी का एक एक हजार रुपए लगेंगे। कुल मिलाकर दोनों को दो हज़ार रुपए देने होंगे। रामू ने कहा कोई बात नहीं हमें मंजूर है, फिर क्या वो ट्रक में बैठ जाते हैं। ट्रक में बहुत गर्मी हो रही थी। फिर भी आज दोनों को घर जाने के लिए साधन मिलने पर उनको बहुत ख़ुशी मिलती हैं। सुधा ने कहा मुझे बहुत तेज़ भूख लग रही है। रामू ने सुधा के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा थोड़े समय का और इंतजार कर ले। घर जाकर खा लेंगे। कुछ समय बाद जैसे ही ट्रक आगरा के नजदीक पहुंचता हैं, तो ट्रक वाला उन दोनों से दो हज़ार रुपए लेकर उतार देता है और ड्राइवर रामू से कहता है भाई हम लोग यहीं तक जा सकते हैं। कुछ दूर पैदल चलते हुए रामू ने देखा कि आगे पुलिस चैक पोस्ट है और सुधा को बताता है कि आगे पुलिस है जाने नहीं देगी। पत्नी ने कहा मैं पुलिस वालों से प्रार्थना करूंगी। महिला होने के नाते शायद उन्हें मुझ पर दया आ जाएं। कुर्सी पर बैठे हुए दो पुलिस वालों ने तेज आवाज़ में पूछा कहां से आ रहे हो। इतने में सुधा आगे आकर हाथ जोड़कर बोली दिल्ली से आ रहे हैं साहब! अपने गांव नयापुरा जा रहे। उसी क्षण हॉर्न की आवाज सुनाई देती है। तो पुलिस वाले अपनी अपनी टोपी को सही करते हुए। गाड़ी को देख कर खड़े हो जाते हैं। उस गाड़ी के सामने वाले कांच पर सांसद लिखा हुआ था। गाड़ी रोककर नेता जी ने कहा परिवार साथ में है, दिल्ली से लखनऊ की तरफ जा रहे हैं। पुलिस वालों ने उन्हें बिना सवाल जवाब किए जाने दिया। गाड़ी को जाते देखकर रामू अपने मन में सोच रहा था कि हम मजदूर लोग इन नेताओं के दिखाए सपनों पर क्यों विश्वास कर लेते हैं। मेरी समझ में अब आ रहा है। रामू ने बड़बड़ाते हुए बोला सरकार कभी भी भ्रष्ट नहीं होती हैं। लेकिन भ्रष्टाचार के लिए सरकारें होती हैं। सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं। उसके बाद सुधा बोली हमें भी जाने दो साहब हमें बहुत भूख लगी है। जवाब में उन्होंने कहा आप लोग दिल्ली से पैदल चलकर आ रहे हैं। दिल्ली में बहुत तेज़ी से कोरोना मामलो की पुष्टि हुई है। जरूर आपको कोरोना वायरस के लक्षण हो सकते हैं। इतने में पुलिस के एक सिपाही ने एम्बुलेंस के लिए फोन कर दिया। और कुछ ही क्षणों में एंबुलेंस आ पहुंची। रामू और उसकी पत्नी सुधा को एम्बुलेंस में बैठाकर 14 दिन के लिए कॉरेंनटाइन में बंद कर दिया जाता हैं। रामू ने कहा यह और आफत आ गई अब घर कैसे पहुंचे। आख़िर घर पहुंचना ज़रूरी है...........................


अवधेश कुमार निषाद मझवार ग्राम पूठ पुरा पोस्ट उझावली फतेहाबाद आगरा Mob.8057338804 Email-avadheshkumar789@gmail.com Avadhesh7284 (वार्ता) 08:20, 27 मई 2020 (UTC)उत्तर दें

रचना Avadhesh7284 (वार्ता) 08:21, 27 मई 2020 (UTC)उत्तर दें

अवधेश कुमार निषाद मझवार संपादित करें

जीवन परिचय

नाम - अवधेश कुमार निषाद “मझवार” जन्म - 05/01/1997 पिता - श्री काशी राम वर्मा जी माता - श्रीमती राम देवी जी पत्नि- रेनू वर्मा (मनु)

शिक्षा - एल.एल. बी.(विधि स्नातक) बी.एस.सी.(विज्ञान स्नातक) सी.सी.सी. (कम्प्यूटर), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (प्रमाणपत्रीय दो वर्षीय कोर्स),

रत्न- युवा साहित्य साधक रत्न. प्रकाशित-सैकड़ों रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं, संकलनों, इंटरनेट में प्रकाशित जिनमें प्रमुख- मां की ज़रूरत, बेरोज़गारी का दर्द, रोटियों की खातिर, मिट्टी के दीपक, किसान पंचम काका, बेटी हम शर्मिंदा हैं, मेरा हौसला दयालु बेटियां, पथ की आश आदि

अप्रकाशित - करीब 200पाण्डुलिपियां गद्य-पद्य में

सम्मान- 100 से अधिक सम्मान पत्र - प्रशस्ति पत्र प्राप्त

रुचियां -अभिनय, पत्रकारिता, चित्रकारी, लेखन आदि | (कई फिल्मों, लघुफिल्मों, अलबमों में अभिनय, कई न्यूज पेपरों में पत्रकारिता व स्वतंत्र पत्रकारिता |)

विशेष -कई स्वलिखित लघुकथाओं पर शॉर्ट फिल्मों का निर्माण

सदस्य - साहित्यिक, सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक संगठनों में सदस्य व पदाधिकारी (अवैतनिक)

संचालक - वीर एकलव्य सेवा समिति (आगरा) उ.प्र.

अध्यक्ष - वीर एकलव्य सेवा समिति (आगरा) उ. प्र. सदस्य-ब्रजलोक साहित्य-कला-संस्कृति अकादमी एवं विश्व शांति मानव सेवा समिति

आजिविका - कृषि एवं मजदूरी....

पता - ग्राम पूठपुरा, पोस्ट उझावली तहसील फतेहाबाद,आगरा-283111, उ. प्र.

चलभाष - 8057338804, 8430100040,

8430635330 ई मेल - avadheshkumar789@gmail.com

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अवधेश कुमार निषाद मझवार ग्राम पूठ पुरा पोस्ट उझावली तहसील फतेहाबाद आगरा (उ.प्र.) 2409:4053:2D15:6927:0:0:AA8A:6801 (वार्ता) 16:59, 13 दिसम्बर 2021 (UTC)उत्तर दें

अवधेश कुमार निषाद मझवार संपादित करें

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नाम - अवधेश कुमार निषाद “मझवार” जन्म - 05/01/1997 पिता - श्री काशी राम वर्मा जी माता - श्रीमती राम देवी जी पत्नि- रेनू वर्मा (मनु)

शिक्षा - एल.एल. बी.(विधि स्नातक) बी.एस.सी.(विज्ञान स्नातक) सी.सी.सी. (कम्प्यूटर), राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS), औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (प्रमाणपत्रीय दो वर्षीय कोर्स),

रत्न- युवा साहित्य साधक रत्न. प्रकाशित-सैकड़ों रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं, संकलनों, इंटरनेट में प्रकाशित जिनमें प्रमुख- मां की ज़रूरत, बेरोज़गारी का दर्द, रोटियों की खातिर, मिट्टी के दीपक, किसान पंचम काका, बेटी हम शर्मिंदा हैं, मेरा हौसला दयालु बेटियां, पथ की आश आदि

अप्रकाशित - करीब 200पाण्डुलिपियां गद्य-पद्य में

सम्मान- 100 से अधिक सम्मान पत्र - प्रशस्ति पत्र प्राप्त

रुचियां -अभिनय, पत्रकारिता, चित्रकारी, लेखन आदि | (कई फिल्मों, लघुफिल्मों, अलबमों में अभिनय, कई न्यूज पेपरों में पत्रकारिता व स्वतंत्र पत्रकारिता |)

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अवधेश कुमार निषाद मझवार ग्राम पूठ पुरा पोस्ट उझावली तहसील फतेहाबाद आगरा (उ.प्र.) Avadhesh7284 (वार्ता) 17:01, 13 दिसम्बर 2021 (UTC)उत्तर दें

आख़िर पिता ही सब कुछ है-कविता संपादित करें

आख़िर पिता ही सब कुछ है




पिता जी है तो सब कुछ है, अगर घर है हमारे पास | वो सब है पिता जी की, धन-संपत्ति भी पिता की देन है ||

             आखिर पिता ही सब कुछ है....................


पिता है तो मान-सम्मान है, पिता है तो सब कोई अपने है| उनके बिना सब सपना है, वो है तो हमारी इज्जत है ||

              आखिर पिता ही सब कुछ है...................


पिता जी ही हैं भगवान हमारे, ब्रह्मा,विष्णु,महेश, हैं पिता हमारे | पिता ही सब देवों में महान है, अधूरा है आशीर्वाद बिना उनके ||

               आख़िर पिता ही सब कुछ है....................


पिता ही सिर पर अम्बर हैं, वो ही हमारे संसार है | पिता हैं तो सब कुछ निदान हैं, वो ही सब विपत्तियो का हल है ||

                आखिर पिता ही सब कुछ है...…...............


पिता जब एक होकर के भी, परिवार का ख्याल रखते हैं | पिता जी है तो कोई फिक्र नहीं मुझको, मझवार बखान नहीं कर सकता पिताजी का ||

                 आखिर पिता ही सब कुछ है...................


-अवधेश कुमार निषाद मझवार ग्राम पूठपुरा पोस्ट उझावली फतेहाबाद आगरा उ. प्र.-283111 मो.8057338804 Avadhesh7284 (वार्ता) 02:17, 25 जनवरी 2022 (UTC)उत्तर दें

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