सूर्य के केन्द्रीय भाग में निरंतर नाभकीय संलयन की चलती रहती है । जिससे आपर ऊर्जा मुक्त होती है । सूर्य अपनी इस ऊष्मा / ऊर्जा को लगातार में विकसित करता रहता है । पृथ्वी तक यह विकिरण के रूप में पहुंचता है । इसे ही सूर्यातप या आतपन / सौर विकिरण कहते है ।

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सूर्य के केन्द्रीय भाग में निरंतर नाभकीय संलयन की चलती रहती है । जिससे आपर ऊर्जा मुक्त होती है । सूर्य अपनी इस ऊष्मा / ऊर्जा को लगातार में विकसित करता रहता है । पृथ्वी तक यह विकिरण के रूप में पहुंचता है । इसे ही सूर्यातप या आतपन / सौर विकिरण कहते है । Aniket Babu (वार्ता) 15:41, 26 जून 2020 (UTC)उत्तर दें

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