वार्ता:ग़ुलाम क़ादिर

Latest comment: 5 वर्ष पहले by Buddhdeo Vibhakar

@Salma Mahmoud: किसी लेख की सच्चाई पर सवाल उठाने का आपको या किसी सदस्य को पूर्ण अधिकार है, परंतु इसका कोई आधार होना चाहिए। बिना आधार प्रस्तुत किए किसी लेख की तटस्थता एवं तथ्यात्मकता को विवादित बताना, बल्कि पूरे लेख के 'धोखा' होने की आशंका किस तरह के 'विवेकवाद' से प्रेरित है, यह तो बताना चाहिए न ! इस लेख में जो भी तथ्य दिये गये हैं या जो भी विचार प्रस्तुत किये गये हैं वे सारे स्पष्टतः पुस्तकों के प्रमाणों पर आधारित हैं और उन्हें गलत मानने से पहले आपको उन्हें पढ़ना चाहिए तथा उन्हें अप्रामाणिक सिद्ध करने वाले उचित प्रमाण प्रस्तुत करने चाहिए। इतिहास में गोविन्द सखाराम सरदेसाई एवं सर जदुनाथ सरकार की मान्यता कैसी है इस पर यहाँ विवाद नहीं किया जा सकता, परंतु किसी लेख को इस कदर समस्याग्रस्त बता देने से पहले कुछ आधार अवश्य प्रस्तुत करने चाहिए। कृपया भिन्न तथ्य सप्रमाण प्रस्तुत करें या अपने लगाये 'टैग' स्वयं हटा दें। सद्भावनाओं सहित Buddhdeo Vibhakar (वार्ता) 03:24, 11 अगस्त 2018 (UTC)उत्तर दें

पहली बात ये है कि लेख पक्षपाती है, बिलकुल ज्ञानकोशीय अंदाज़ में नहीं लिखा है। ये तेरे निजी इस्लामोफ़िबिक सोच की परछाई है। दूसरी, इसकी उल्लेखनीयता पर शक है, हिन्दी विकि एकमात्र विकि है जहाँ इस सख़्स पर लेख बना है? वह क्यों है? इस सख़्स से तेरी ज़ाती नफ़रत या क्या? तीसरी कि इसमें प्रतिष्ठित भोरोसेमन्द स्रोत नहीं है। मेरे ख़्याल से लेख पूरी तरह से पुनः लिखा जाए, या तो फिर इस बकवास को शीघ्र अति शीघ्र हटाया जाना चाहिए। --सलमा महमूद 13:05, 25 अगस्त 2018 (UTC)उत्तर दें

@Salma Mahmoud:, और @Buddhdeo Vibhakar: जी. सम्पूर्ण लेख किसी वेबसाइट या ब्लॉग से अनुबाद करके पेस्ट किया गया है जिसमे मशीनी अनुवाद साफ़ दिखाई दे रहा है इस प्रकार के लेख विकिपीडिया पर प्रश्न उठबाते हैं, पृष्ठ निर्माता से निवेदन है की लेख में तुरंत सुधार करें अन्यथा लेख से आज्ञानकोशीय सामग्री को हटा दिया जाएगा। धन्यवाद -जे. अंसारी वार्ता 13:18, 25 अगस्त 2018 (UTC)उत्तर दें

यह तो विकिपीडिया पर निजी अधिकार मानने जैसी बात हो गयी। मैंने सम्मानपूर्वक 'भिन्न तथ्य सप्रमाण प्रस्तुत' करने की बात कही और सलमा महमूद जी कोई तथ्य या सम्बद्ध विषय की जानकारी का एक वाक्य भी प्रस्तुत किये बिना सीधे 'तेरे निजी इस्लामोफ़िबिक सोच' और 'तेरी ज़ाती नफ़रत' पर उतर आयी। क्या यही संवाद की शिष्टता है? 'प्रतिष्ठित भरोसेमन्द स्रोत' कैसे होते हैं? और @J ansari: जी आपने पृष्ठ-संख्या सहित दर्जनभर स्रोत-संदर्भों की पूरी सूची होते हुए भी लेख को बिना जाँचे-परखे किसी वेबसाइट या ब्लॉग का अनुवाद कह डाला। ऐसा भी पूर्वाग्रह हो सकता है, मैंने सोचा नहीं था। खैर! इस लेख में निराधार एक वाक्य भी नहीं लिखा गया है। गुलाम कादिर के आरंभिक जीवन से संबंधित प्रामाणिक विवरण नहीं प्राप्त हुए थे तो मैंने वैसा कुछ नहीं लिखा है। इस लेख की सामग्री के औचित्य एवं प्रामाणिकता को जाँचने में सुविधा के लिए सूचित कर रहा हूँ कि आप या अन्य जो भी वरिष्ठ संपादक एवं पुनरीक्षक चाहें तो गोविंद सखाराम सरदेसाई पृष्ठ की 'बाहरी कड़ियाँ' में 'मराठों का नवीन इतिहास, भाग-3' के दिये गये लिंक (वेब पते) से PDF रूप में पुस्तक डाउनलोड कर इस लेख के सन्दर्भों में दी गयी पृष्ठ संख्याओं के सहारे सहज रूप में जाँच-परख कर सकते हैं (यदुनाथ सरकार की 'fall of the Mughal Empire' भी नेट पर pdf रूप में उपलब्ध है)। तभी अनायास स्पष्ट हो जाएगा कि लेख प्रामाणिक और ज्ञानकोशीय है या नहीं। वैसे मैंने दो और संदर्भ उद्धरण रूप में जोड़ दिये हैं। इतिहास में सर्वस्वीकृत तथ्य को कोई कितना भी चाहे, कैसे झुठलाया जा सकता है? Buddhdeo Vibhakar (वार्ता) 06:40, 27 अगस्त 2018 (UTC)उत्तर दें
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