वार्ता:धर्मांतरण
सर्वप्रथम धर्म और मत की व्याख्या कर लेते है । इसके लिए स्वयं को धर्म कहने वाले सभी समुदायों के 50-50 लोगों को एकत्रित कर उनसे मात्र 2 प्रश्न पूछें :- 1. वे किसकी पूजा करते हैं ? 2. उनके धर्म की धार्मिक पुस्तक कौन सी है ? इन 2 प्रश्नों के उत्तर में हिंदुओं के अतिरिक्त अन्य सभी के उत्तर एक ही होंगे जैसे मुसलमानों का उत्तर होगा अल्लाह और कुरान, ईसाइयों के उत्तर होगा जीसस और बाइबल, सिखों का उत्तर गुरुग्रंथ साहिब तो बौद्धों का बुद्ध और त्रिपिटक, जैनियों का महावीर स्वामी और आगम होगा किन्तु हिन्दुओं में संभव है 50 लोगों के 50 उत्तर मिलें । ऐसा इसलिए है कि हिन्दू ही विश्व का एकमात्र धर्म है इसका निर्माण व स्थापना समाज ने मिलकर की है जिसमें विभिन्न पूज्य पुरुष या देवता होने पर भी वे आपस मे किसी का विरोध नहीं करते जबकि अन्य सभी तथाकथित धर्म केवल मत हैं क्योंकि वे केवल एक ही व्यक्ति द्वारा स्थापित किये गए हैं और उनमें ही जन्म ली हुई नई शाखाओं में सदैव विवाद रहता है जैसे इस्लाम मे ही शिया, सुन्नी, अहमदिया, पठान आदि और ईसाइयों में कैथोलिक, बैप्टिस्ट, ऑर्थोडॉक्स आदि कई फिरके हैं जो आपस मे एक दूसरे की मस्जिद या चर्च में नमाज या प्रार्थना नहीं करते उल्टा एक दूसरे के खून के प्यासे भी हैं । अतः इसे धर्मांतरण के स्थान पर मतांतरण कहना ही उपयुक्त होगा ।
Dharm Parivartan kab prastavana
संपादित करेंDharm Parivartan ke liye bataen 2409:4081:8580:158:0:0:2522:D0B0 (वार्ता) 14:31, 30 अप्रैल 2023 (UTC)