वार्ता:नवगीत संग्रह
"राग भरे आवेश की रचना को गीत कहा जाता है"- दिनेश सिंह. समकालीन सामाजिकता एवं मनोवृत्तियों को लयात्मकता के साथ व्यक्त करती काव्य रचनाएँ नवगीत कहलाती हैं। और ऐसे नवगीतों के संग्रह को नवगीत-संग्रह कहा जाता है. नवगीत की व्यापक पहचान बनाने में जिस पत्रिका और उसके संपादक का विशिष्ट योगदान रहा, वह है- नये-पुराने -दिनेश सिंह। स्व. कन्हैया लाल नंदन जी लिखते हैं " बीती शताब्दी के अंतिम दिनों में तिलोई (रायबरेली) से दिनेश सिंह के संपादन में निकलने वाले गीत संचयन 'नये-पुराने' ने गीत के सन्दर्भ में जो सामग्री अपने अब तक के छह अंकों में दी है, वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं रही . गीत के सर्वांगीण विवेचन का जितना संतुलित प्रयास 'नये-पुराने' में हुआ है, वह गीत के शोध को एक नई दिशा प्रदान करता है. गीत के अद्यतन रूप में हो रही रचनात्मकता की बानगी भी 'नये-पुराने' में है और गीत, खासकर नवगीत में फैलती जा रही असंयत दुरूहता की मलामत भी. दिनेश सिंह स्वयं न केवल एक समर्थ नवगीत हस्ताक्षर हैं, बल्कि गीत विधा के गहरे समीक्षक भी. (श्रेष्ठ हिन्दी गीत संचयन- स्व. कन्हैया लाल नंदन, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली, २००९, पृ. ६७) ।
Start a discussion about नवगीत संग्रह
विकिपीडिया की सामग्री को यथासम्भव रूप से सर्वश्रेष्ठ बनाने के लिए लोगों द्वारा जहाँ पर चर्चा की जाती है उन्हें वार्ता पृष्ठ कहा जाता है। नवगीत संग्रह में सुधार कैसे करें, इसपर अन्यों के साथ चर्चा आरम्भ करने के लिए आप इस पृष्ठ को काम में ले सकते हैं।