यह पृष्ठ यीशु लेख के सुधार पर चर्चा करने के लिए वार्ता पन्ना है। यदि आप अपने संदेश पर जल्दी सबका ध्यान चाहते हैं, तो यहाँ संदेश लिखने के बाद चौपाल पर भी सूचना छोड़ दें।

लेखन संबंधी नीतियाँ

पूर्व विषय संपादित करें

Here we need not have the name of jesus in english, but I have provided latin.

corrected link and spelling. --मितुल १९:०१, १३ जुलाई २००७ (UTC)

यीशु मसीह या ईसा मसीह संपादित करें

यह लेख ईसाई धर्म में जीसस क्राइस्ट के बारे में है, हिंदी में, जीसस क्राइस्ट को ईसाई धर्म में यीशु मसीह कहा जाता है, जबकि ईसा एक मुस्लिम शब्दावली है। इसीलिए यहाँ उनको ईसा नहीं कहना चाहिए।   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  08:52, 28 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

@Innocentbunny: जी भारत में ईसा मसीह नाम प्रचलित है लेकिन लेख का नाम बदलने से पूर्व आपको सुझाव कर लेना चाहिए था।

-जे. अंसारी वार्ता 08:57, 28 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

@Innocentbunny और J ansari: जी, मैं ये नहीं कहूंगा कि, भारत में ही ईसा मसीह प्रचलित है अपि तु हिन्दी भाषा में प्रचलित है ये स्वीकार करता हूँ। मेरे विचार से ईसा मसीह करना उचित होगा, परन्तु ये मैं केवल हिन्दी भाषा के स्तर पर कह रहा हूँ। आप के पास कोई अन्य तर्क हो, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी। अतः मैं केवल अंश दे रहा हूँ परन्तु आप दोनों की या अन्यों की चर्चा से निर्ष्कर्ष नीकले उसे मैं भी स्वीकार करूँगा। अस्तु। ॐNehalDaveND 10:54, 28 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
"यीशु" ईसा मसीह के बाल रूप को कहते हैं। इससे क्या मतलब कि "ईसा" अरबी से आया है। हिन्दी में ये सबसे लोकप्रिय शब्द है। इसलिये इसका स्थानांतरण उचित नहीं है। वो भी बिना चर्चा के (इस चर्चा से पहले ही नाम बदल दिया गया)।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 15:06, 28 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

@हिंदुस्थान वासी: जी आपका निर्णय स्वीकार्य है लेकिन इस लेख इस्लाम में यीशु मसीह का स्पष्टीकरण करें और लेखो को सही नामों पर पुन: स्थांतरण कर दिया जाए। धन्यवाद

-जे. अंसारी वार्ता 15:39, 28 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

@हिंदुस्थान वासी, J ansari, और NehalDaveND:ईसा मसीह इस्लामिक term है...क्रिस्चियन यीशु मसीह कहते हैं....यह लेख बाइबिल के यीशु मसीह के बारे में है....क़ुरान वाले ईसा मसीह के लिए यहाँ देखें [1] इसपर बात दिल्ली में भी हुई थी। बाइबिल में यीशु मसीह है और क़ुरान में ईसा मसीह है। अंग्रेजी में देखिये:[2][3] हालाँकि यह दोनों एक ही शख्सियत है, मगर यह दो अलग अलग लेख हैं, जिनपर उस एक ही शख्सियत के बारे में दो अलग अलग धर्मों के सन्दर्भ से लिखा गया है। मुस्लमान भले ही उन्हें ईसा कहें, मगर क्रिस्चियन उन्हें यीशु मसीह कहते हैं, हर बाइबिल के हिंदी संस्करण में भी यीशु मसीह ही लिखा है, और यह लेख यीशु मसीह के बारे में है। और क्रिस्चियन और इस्लामिक theology में उनके व्यक्तित्व और उनसे जुड़ी मान्यताओं में फर्क है, इसीलिए, दो अलग अलग पृष्ठ, एक बाइबिल के यीशु हेतु और दूसरा क़ुरान के ईसा अलाइ सलाम हेतु। मुझे पता है कि भारत में हिन्दू और मुसलमानों में ईसा मसीह नाम ही प्रचलित है, मगर ईसाई लोग उन्हें यीशु मसीह ही बुलाते हैं, और cristianity के यीशु मसीह को ईसा मसीह बुलाना, एक तरह से ईसाई परम्परा का अनादर होगा। इसीलिए इस्लाम वाले ईसा के लिए अलग पृष्ठ और मसीही धर्म के यीशु के लिए अलग। @हिंदुस्थान वासी: जी, यहाँ पे अरबी और फ़ारसी वाली समस्या नहीं है, यहाँ शब्दावली वे बात है, यह लेख ईसाई धर्म से सम्बंधित है, इसीलिए ईसाई शब्दावली, और जो लेख इस्लाम से सम्बंधित है, उसके लिए इस्लामिक शब्दावली। और ऐसा नहीं है कि ईसा मसीह के बाल रूप को यीशु कहते हैं, आप किसी भी ईसाई चर्च में जाइये या बाइबिल पढ़िए, या किसी ईसाई से पूछ लीजिये, की ईसाई धर्म के सन्दर्भ में "ईसा" कहना उचित है या "यीशु"...   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  19:20, 28 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
केवल हिंदू और मुसलमान term "ईसा" का उपयोग करते हैं। "यीशु" मसीही term है। और ईसा केवल मुस्लिम और हिंदुओं में popular है मसीही ईसा term का उपयोग बिल्कुल नहीं करते। बुखारी (वार्ता) 20:12, 28 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
हिन्दू, मुस्लिम को कुछ देर तक बाजू में रख दें और हिन्दी भाषा की बात करें तो हिन्दी में ईसा मसीह सर्व स्वीकृत शब्द है। इसे बदलना ठीक नहीं था। चर्चा किये बिना नहीं बदलना चाहिए। अंग्रेजी विकि का हमेशा हिन्दी विकि के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता।--आर्यावर्त (वार्ता) 01:39, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
शीर्षक तुरंत ठीक करना चाहिए। मुख्य लेख का नाम ईसा मसीह ही ठीक है। यीशु पुनरप्रेषित कर सकते हैं और लेख के अन्य नाम में भी लिख सकते हैं। इस्लाम में ईसा मसीह नाम से अलग लेख और मुख्य लेख ईसा मसीह रखना चाहिए। केवल इस्लाम में ही नहीं हिन्दू धर्म में ईसा मसीह लेख भी बन सकता है। भविष्य पुराण में भगवान ईशु और मुहम्मद साहब के जन्म और जीवनकार्य का उल्लेख है। ईशु की समाधि भारत में कश्मीर में है। उनके अज्ञात वर्षो में ईशु भारत आये थे ऐसा हिन्दू धर्म में माना जाता है।--आर्यावर्त (वार्ता) 01:47, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

@आर्यावर्त: जी सहमत हूँ। -जे. अंसारी वार्ता 02:16, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

@आर्यावर्त और J ansari: जी आप समझ नहीं रहे हैं..."ईसा" और "यीशु" दो अलग अलग कैरेक्टर हैं जो दो अलग अलग धार्मिक परम्परा के प्रतीक हैं। ईसा, इस्लामिक परंपरा में उपयोग होने वाला शब्द है और यीशु क्रिस्टियान परंपरा में...और दोनों ही हज़ारों साल से भारत में इन शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं...सिर्फ इसीलिए, क्योंकि आप ईसाई लोगों से उतना वाकिफ़ नहीं हैं, तो इसका मतलब ये नहीं है कि यीशु मसीह को आप प्रचलित शब्द नहीं मानेंगे। पुरे उत्तर भारत और पाकिस्तान के सारे हिंदी भाषी ईसाई, "यीशु मसीह" की पूजा करते हैं, अगर आपको नहीं पता है तो जा कर पता कर लें। किसी एक परम्पर से जुड़े चीज़ों को यदि आप, किसी दूसरी परम्परा की शब्दावली से पुकारेंगे, तो वो उस परम्परा की भावना, आस्था और सम्मान, सब के लिए अपमानजनक है। इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं कि, उदाहरण के लिए भारत का एक शहर है कानपूर, जिसे हज़ारों वर्ष से भारतीय लोग "Kanpur" के नाम से जानते हैं। फिर अचानक से अंग्रेज़ हिंदुस्तान आये और उनलोगों ने अपने लहजे के अनुसार उसका नाम बदल के Cawnpore कर दिया....और अंग्रेजी में Cawnpore आधिकारिक नाम हो गया...मगर क्या केवल इसलिए की अंग्रेज़ लोग उस शहर को Cawnpore बुलाते हैं, तो इसीलिए उसको Cawnpore कहना चाहिए? क्या भारतीयों का सम्मान कैसे होगा? Cawnpore लिखने से या Kanpur लिखने से? और इस Cawnpore और Kanpur वाले उदाहरण में तो दो अलग भाषाई परंपरा थी, लेकिन "यीशु" और "ईसा", यह तो दोनों ही हिन्दी भाषा के शब्द हैं...सिर्फ इसीलिए क्योंकि यहाँ ईसाईयों की संख्या पर्याप्त नहीं है, इसीलिए हमें लगते है कि ईसा मसीह सही क्रिश्चियन शब्द है। नहीं ऐसा नहीं है। मेरी खुली चुनौती है कि आप एक भारतीय हिंदी-भाषी क्रिस्टियान चर्च मुझे दिखा दें, जिसमें "ईसा मसीह" की पूजा की जाती हो, या मुझे एक ऐसे क्रिस्टियान से मिला दें, जो कहे की ईसाई धर्म के सन्दर्भ में, यीशु मसीह के बजाय "ईसा मसीह" कहना पर्याप्त होगा....   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  05:41, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@आर्यावर्त: जी आपको ये समझना चाहिए की ईसाईयों के लिए यह कितना अपमान-जनक होगा की उनके मसीह को गलत नाम से संबोधित किया जाए। इसमें @J ansari: जी आप बेहतर रौशनी दाल सकते हैं कि यदि इस्लामिक सन्दर्भ में "ईसा अलाइ सलाम" को यदि "यीशु मसीह" कह दिया जाए तो लोगों का क्या रिएक्शन होगा   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  05:47, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
और रही बात इस्लाम में यीशु शीर्षक की तो, अंग्रेजी वालों की मजबूरी है, क्योंकि उन्हें पास सिर्फ एक ही टर्म है, इसीलिए उन्होंने "Jesus" और "Jesus in Islam" जैसे शीर्षक अपनाए हैं, मगर हमारे पास इन दोनों के लिए दो अलग अलग term मौजूद हैं, तो हमें तो इस चीज़ को अपने भले के लिए और एक्सप्लॉइट करना चाहिये...इससे हमारी भाषा की सम्पन्नता प्रदर्शित होती है...   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  05:50, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

यह ईसाई विकिपीडिया नहीं, हिन्दी विकिपीडिया है। हिन्दी में "ईसा मसीह" शब्द सर्व स्वीकार्य है। इसका इस्लाम धर्म से संबंध नहीं माना जाता है। "यीशु" बाइबल से लिया गया शब्द है जो कि हिब्रू में है। इसलिए ईसाई इसका प्रयोग करते हैं। यह नाम रखने से ईसा सिर्फ़ ईसाइयों के है ऐसा प्रदर्शित होता है जबकि ऐसा नहीं है। इसलिये "इस्लाम में ईसा मसीह" जैसे फॉर्मूला ही सही है और इसका नाम गलत बदला गया है।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 06:31, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

हिंदुस्थान वासी जी से सहमत हूँ। मुख्य लेख ईसा मसीह के नाम से होना चाहिए और यीशु मसीह भी मुख्य लेख पर निर्देशित होना चाहिए। पाठक ईशु मसीह से ही चर्च करते हैं जो इस्लाम में ईसा मसीह का विवरण क्या है यहीं जानना नहीं चाहते। ऐसे विषय वालें लेख का शीर्षक इस्लाम में ईसा मसीह जैसा होना चाहिए।--आर्यावर्त (वार्ता) 10:02, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
मुझे लगता है इस्लाम में इसा मसीह योग्य नहीं रहेगा। जैसे मुझे ईसा मसीह खोजना है तो मैं वो नाम लिखूंगा, तो मुझे दोनों विकल्प दिखने चाहिये। अन्यथा मैं समझूंगा कि वो लेख नहीं है। अतः ईसा मसीह (इस लेख में ईसा मसीह (इस्लाम) से भ्रमित न हो वाला साँचा हो) और अन्य ईसा मसीह (इस्लाम) हो। उस लेख के शीर्ष भाग में विपरीत भ्रमित न हों वाला साँचा हो। परन्तु वास्तव में इन दोनों व्यक्ति विशेष से मैं परिचित नहीं अतः ये करना ही योग्य होगा ऐसा नहीं कह सकता। ॐNehalDaveND 10:31, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@हिंदुस्थान वासी: आप ने सही कहा लेकिन “यह ईसाई विकिपीडिया नहीं, हिन्दी विकिपीडिया है” बोलना भी गलत है इस तरह तो “यह इस्लामी विकिपीडिया भी नहीं है।”बुखारी (वार्ता) 22:07, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@NehalDaveND, Innocentbunny, J ansari, और आर्यावर्त: मेरी राय है कि मुख्य page को केवल “मसीह (व्यक्ति)” kardein (क्योंकि दोनों धर्मों में वह मसीह maana jata hai इस से दोनों धर्मों में युद्ध भी नहीं huga). और “ईसा मसीह” का wikidata (Jesus in Islam) से लिंक rehne dein. और “यीशु मसीह” को en:Jesus in Christianity के लिए huna चाहिए। धन्यवाद बुखारी (वार्ता) 22:07, 29 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
बुख़ारी जी, अगर मैं ग़लत नहीं हूँ तो आप पाकिस्तानी है? इसलिए आपका ज्ञान उर्दू भाषा पर आधारित है जहाँ ईसा और यीशू में फर्क समझा जाता है। हिन्दी में ऐसा नहीं है। मसीह करना तो पूर्णता गलत होगा।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 06:58, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@हिंदुस्थान वासी: में पाकिस्तान से बेशक हूँ। लेकिन में ने हिंदी बाइबल पढ़ी हुई है, श्रीमान पाकिस्तान से हूँ तो क्या हिंदी का पता नहीं हो सकता? हिंदी बाइबल में यीशु है ईसा नहीं। आप को ऊपर समाधान बताया है बाकी जैसा आप चाहें। -- बुखारी (वार्ता) 09:22, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
क्षमा करें @हिंदुस्थान वासी: जी, बुखारी जी भले ही पाकिस्तान के हैं, मगर वे यहाँ योगदान करते हैं, और उन्हें भी अधिकार है अपनी ज्ञान के अनुसार अपनी बात रखने का।@हिंदुस्थान वासी और आर्यावर्त: जी, मैं इस बात से पूरी तरह वाकिफ हूँ की भारत की अदिकांश आबादी यीशु मसीह से वाकिफ नहीं है, बल्कि लोग "ईसा मसीह" को अधिक जानते हैं। मगर आप इस बात को तो मानेंगे ना की यह लोगों की अज्ञानता ही है की उनको यीशु मसीह के बारे में नहीं पता। और यदि आप यह कह रहे हैं कि लोगों की अज्ञानता को ही सच माना जाए और उसे तथा की तरह प्रदर्शित कर दिया जाए, तो ऐसे तो फिर ज्ञानकोष का क्या फ़ायदा? क्या हमें ज्ञानकोष पर आधिकारिक तौरपर मान्यता प्राप्त शब्दावली का उपयोग करना चाहिए या सार्वभौमिक अज्ञानित के कारण उपजे अपभ्रंश का?   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  09:42, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
मैं @NehalDaveND: जी से सहमत हूँ की क्योंकि लोगों को यीशु मसीह का नहीं पता, और वो हर पृष्ठ पर ईसा मसीह को ही देखेंगे और ईसा मसीह को ही खोजेंगे, तो इसीलिए "ईसा मसीह" वाले पृष्ठ को बहुविकल्पी बना दिया जाए। हालाँकि इसपर अलद तरीके से विचार किया जा सकता है, मगर मेरा मत ये है कि क्योंकि ईसा मसीह एक विशेष शब्दावली है, इसीलिए उसके पृष्ठ पर ईसा मसीह के बारे में ही जानकारी हो, और पृष्ठ के सबसे ऊपर नोट दे दिया जाये, की "यह पृष्ठ इस्लाम के पैग़म्बर के बारे में है, ईसाई मान्यता के अनुसार ईश्वरपुत्र के लिए "यीशु मसीह" को देखें"   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  09:42, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@हिंदुस्थान वासी और आर्यावर्त: जी मैं ऐसा समझ रहा हूँ की संभवतः आपने भी "यीशु मसीह" शब्दावली को आधिकारिक तौरपर ईसाई संस्थानों में उपयोग होते नहीं देखा, या ऐसा कहें कि शायद आप गणमान्य का "यीशु मसीह" शब्द के प्रति exposure नहीं है, इसीलिए आपको इस शब्द का उपयोग अटपटा और गलत लग रहा है। मैं भी यीशु मसीह नहीं जानता था, मगर कुछ चर्चों में जाने के बाद और नेट पर खंगालने के बाद मुझे अपनी अज्ञानित का एहसास हुआ, की मैं इतने सालों तक इस्लामिक पैग़म्बर को ईश्वरपुत्र कह रहा था। मैं जानता हूँ, की आपके और हमारे जैसे लोग जो इब्राहीमी धर्मों की परंपरा से उतने अवगत नहीं हैं, ना ही जुड़े हुए हैं, उन्हें ईसा या यीशु, दोनों ही शब्दों से कोई फर्क नहीं पड़ता, और हो सकता है कि यीशु मसीह के पृष्ठ पर आने वाले 100 पाठकों को नहीं फर्क पड़ता होगा, क्योंकि वो भी अज्ञानता को तथ्य मानते हैं, मगर उन 10 ईसाई विश्वासियों का तो सोचिये जो यीशु के बारे में पढ़ने के लिए आएंगे। जहाँ तक मैं जानता हूँ, विकिनीतियों के आधार पर, ज्ञानकोष पर तथ्य-सम्मत सत्य होना चाहिए और culturally sensitive होना चाहिए। और "यीशु मसीह" इन दोनों पैमानों पर खरा उतरता है। आपसे विनम्र निवेदन है कि यदि आप यीशु मसीह शब्द के उपयोग से अधिक वाकिफ़ नहीं हैं, तो खुद थोड़ी research कर लीजिए।   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  09:42, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@Innocentbunny: जी, आप किञ्चित् मार्गान्तर पर हैं। बहुविकल्पी तब बनाना चाहिये, जब दो से अधिक पृष्ठ हों। यहाँ तो पंजाब (भारत, पाकिस्थान) वाली स्थिति हैं। कृपया उन दोनों लेखों में जाएँ। वैसे करना चाहिये। दूसरा चूँकि हिन्दी भाषा में ईसा पूर्व इत्यादि अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथ्य क्राइस्त से सँल्लग्न है, तो मुख्य लेख ईसा मसीह रहे और अन्य लेख ईसा मसीह (इस्लाम)। ये भी मैं हिन्दी भाषा में प्रयोगों के आधार पर बोल रहा हूँ। कृपया इसे इस्लाम के विरुद्ध पक्षपात के रूप में न देखें। आप दोनों में (क्राइस्त, इस्लाम) लागते हैं, तो मुझे आपत्ति नहीं है। अस्तु। ॐNehalDaveND 11:45, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
एक और बात कहनी रह गई कि, तथ्य के आधार पर तो येशु उचित होगा ही जैसा आप कह रहे हैं। परन्तु उसको पुनर्निर्दिष्ट किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो बिना विवाद समस्या का समाधान प्रत्यक्ष है। ये मरा अन्तिम परामर्श है। इसके पश्चात् कदाचित् मेरा कुछ लिखना उचित नहीं होगा। अस्तु। ॐNehalDaveND
@NehalDaveND: जी, ईसा मसीह, और यीशु मसीह, दोनों अलग अलग परंपरा के नाम हैं और दोनों ही ही दी भाषा के शब्द हैं, यदि कोई व्यक्ति, यीशु मसीह नहीं जानता है, तो ये उसकी अज्ञानिता है। अज्ञानता को परपंरा का नाम दे कर उसे तथ्य समझने की भूल ना करें। कहाँ, आप जैसे वरिष्ठ लोगों को और तथ्य सम्मत, सत्य, और स्थापित ज्ञान के प्रसार का सोचना चाहिए, तो आप लोग उल्टा सदियों से चली आ रही अज्ञानता को और बढ़ावा देने वाली बात कर रहे हैं। क्षमा करें, अगर मैं थोड़ा कटु हो गया तो, मगर आप स्वयं इस सवाल का जवाब दीजिये, की यदि आपको पता है कि ईसाई धर्म के सन्दर्भ में "ईसा मसीह" लिखना गलत है, तो फिर किस आधार पर हम इस लेख का शीर्षक ईसा मसीह लिखा रहे हैं? क्या इस आधार पर की "मुझे यीशु मसीह का नहीं पता था, इसीलिए मैं ईसा मसीह ही लिखूँगा, भले ही ईसाई लोग कुछ भी कहें"...? ज़रा सोचिए, ये ज़िद्दी तरह का व्यवहार है। ऐसी कई चीज़ें होती हैं, जिसके बारे में अधिकांश लोग भ्रमित होते हैं, और सच्चाई नहीं जानते, यह भी उसमें से ही एक है। अगर 1000 में से 900 लोग झूठ बोलते हैं, तो उससे वो झूठ सच तो नहीं हो जाती है। असली नाम "यीशु मसीह" है, तो पृष्ठ का शीर्षक यीशु मसीह ही होना चाहिये, बाकी के नामों को पुनरनिर्दिष्ट किया जाये।   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  12:03, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@Innocentbunny, हिंदुस्थान वासी, आर्यावर्त, J ansari, और BukhariSaeed: जी, एक सरल कार्य करते हैं। ईसा हिन्दी में प्रसिद्ध है परन्तु अनुचित है, ये सिद्ध करते हैं। इस से मुझे लगता है कि किसी को कोई आपत्ति नहीं है। यीशु, ईसा मसीह कहाँ उपयोग होता है और क्यों होता है, ये तथ्य जो जानते हैं वो सन्दर्भ कड़ी के साथ यहाँ प्रस्थापित करें। इनोसेन्टबनीजी की बातों से स्पष्ट है कि यीशु ही होना चाहिये। तो हिन्दी भाषा के जानने वालों के मध्य भ्रम उत्पन्न होगा। परन्तु ज्ञान भी होगा। अतः विवाद न करते हुए सब एक दूसरे के सन्दर्भ या तर्कों का परीक्षण करें और निर्णय लें। अब तक सब ने जो बोला उस में मैंने कहीं कड़ी नहीं देखी है, जो सन्दर्भ या तर्क देती हो। अतः मेरा ये मानना है, वो मानना है, मैं ये जानता हूँ, वो नहीं जानता मात्र कलह उत्पन्न करेगा। ऐसा न हो अतः धैर्य से और चर्चा की भाषा में (ताना न देवें किसी को) सन्दर्भ और तर्क प्रस्तुत करें। आशा है अब ये चर्चनीय विषय है न कि विवादित। ॐNehalDaveND 12:19, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
चर्चा में सम्मिलित सदस्य इस बात का ध्यान रखे कि ज्ञानकोष ,मान्यताओं से अधिक ,तथ्यों पर आधारित होता है।कृपा कर नाम बदलने के निर्णय से पूर्व तथ्यों को जांच ले ,तब तक हिन्दुस्तानवासी जी ने जैसा लिखा ,नाम मे बदलाव ना करे।तदुपरांत भी तथ्य स्थापित करें, मान्यता का साक्ष्य नही।स्वप्निल करंबेलकर | Swapnil Karambelkar (वार्ता) 17:39, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

चर्चा भाग 2 संपादित करें

  • पहले तो मैंने पुरानी स्थिति बहाल की है। चर्चा से पहले नाम बदलना नहीं चाहिए था। ये बहुत महत्त्वपूर्ण लेख है। अब इसपर चर्चा आगे बढ़ाते हैं। सबसे पहले तो @Innocentbunny और BukhariSaeed: मैंने उनको पाकिस्तानी होना कोई पूर्वाग्रह में खोकर नहीं कहा था। मेरा तात्पर्य उनके उर्दू ज्ञान और मुस्लिम संस्कृति की और इशारा करना था। पाकिस्तान में एक भाषा का दबदबा है और वो है उर्दू, हाँ कहीं-कहीं प्रादेशिक भाषा भी प्रभाव रखती है जैसे पंजाबी। लेकिन सब तरफ इस्लाम से जुड़ी शब्दावली ही इस्तेमाल होती है। इसलिये बुखारी जी का पॉइंट ऑफ़ व्यू सीमित है। खैर मैं अब भी कायम हूँ कि "ईसा मसीह" हिन्दी भाषा में धर्मनिरेपक्ष दर्जा रखता है और सबसे उपयुक्त शब्द है।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 16:46, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@Innocentbunny, J ansari, और BukhariSaeed: जी, केवल स्थिति पूर्ववत् हुई है और चर्चा समाप्त नहीं हुई है। अतः मैंने जैेस कहा था वैसे चर्चा करते हैं। तर्क और सन्दर्भ के आधार पर निर्णय लेते हैं। बिना किसी को ताना दिये या युद्ध वाली भाषा का प्रयोग किये। अस्तु। ॐNehalDaveND 16:59, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
Ap ne jis tarha bhi kaha ho janab Hindustan Vaasi, mujhe koi farq nahi padta۔ Apki bohat ghalat soch hai Pakistan main aisa bohat sai institutes hain jo bohat si languages sikhate hain۔ dusri baat maine baat yeeshu aur isa ki kari thi aap baar baar mairi country kyun beech mein la rahe hein? mein nai rae di thi kai Isa Masih (muslim term) ko en:Jesus in Islam sai link kardein aur "Yeeshu Masih" (masihi term) ko en:Jesus in Christianity sai link kardein, yeh Masihi bridari kai sath na insaafi hai vah "yeeshu masih" bolte hain۔ mujh par bharosa nahi to hindi wikipedia kai kisi christian user sai poch lain۔ बुखारी (वार्ता) 17:03, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
तो ये बताए ईसाई धर्म के लिये आपके पास क्या सुझाव है? ईसाई लोगों को हिन्दी में क्या कहा करे, क्रिश्चियन या मसीही!?--हिंदुस्थान वासी वार्ता 17:28, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@BukhariSaeed: जी आपकी राय का स्वागत है और भी चर्चाओं में अपने तर्क दें लेकिन कोई किसी प्रकार का भेदभाव न समझें यह सभी समान है ओर जहां तक हिंदुस्तान वासी जी का कथन है वह किसी राष्ट्र के प्रति ओर नकारात्मक नहीं है केवल उन्होंने आपकी स्थानीय ईसाई धार्मिक परिभाषा पर प्रकाश डाला था। शुक्रिया

-जे. अंसारी वार्ता 17:40, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

बुखारी जी एवं इनोसेंटबन्नी जी,ये तर्क कि ,किसी भी ईसाई से पूछ लीजिये,चर्च चले जाइये ,की बजाय कोई संदर्भ अथवा तथ्य प्रतिस्थापित करने की कृपा करें।कोई सर्वे अथवा सरकारी सांख्यिकी भी चलेगी।तब तक यथा स्थिति बनाई रखी जाए।बुखारी जी से नम्र निवेदन कि वे हिंदीअच्छी लिख लेते है अतः नागरी प्रयुक्त करें ।:स्वप्निल करंबेलकर | Swapnil Karambelkar (वार्ता) 11:17 pm, कल (UTC+5.5)
@हिंदुस्थान वासी: ji, Dekhein Hindi bhasa mein "ईसाई" bhi bola jata hai aur "मसीही" bhi۔ Kyunki "Isa" ka upyog sirf aur sirf "Quran" mein hai isi wajah sai Masihi is ka use nahi karte vah Hebrew word "ישוע" sai derived "Yeeshu" likhte hein۔ Aur Hindi bolne wale Masihi bhi khud ko masihi hi kehte hain wo khud ko esaee khilaana bura samjhte hein۔ Kuch Masihi scholars to isi aur yeesu ko do different log bataate hein۔ (is par apko net par bohat si videos and references mil jaenge۔) dhanyavād! बुखारी (वार्ता) 17:53, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
यदि मूल शब्द ही लें तो क्रिस्टियन देशों में जीसस क्राइस्ट शब्द का ही प्रयोग होता है। हिन्दी की बात करें तो ईशु शब्द ही उचित है इसमें कोई शंका नहीं है। हिन्दी जानने वालें पाठक इसे ईशु मसीह से ही चर्च करेंगे। यहाँ किसी ईसाई भाई ने कोई आपत्ति नहीं जताई और हम ही आपस में अपना ज्ञान बाँट रहे हैं। रही बात उल्लेख की तो भविष्य पुराण में भी ईशु मसीह शब्द का ही प्रयोग किया गया है।--आर्यावर्त (वार्ता) 19:12, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@आर्यावर्त: Kisi Masihi bhai nai isi liye is page kai name par kuch nahi kaha kyunki vah janta hi nahi tha kai Isa kon hai isi wajah sai us nai, agar janta bhi huga to vah isse islamic page samjha huga. dhanyavād! बुखारी (वार्ता) 19:31, 30 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

यह सत्य है कि ईसाई ईसा मसीह को यीशु ही कहते है। बाइबिल के हिन्दी संस्करण में यीशु नाम ही उल्लेखित है। मगर यह पृष्ठ एक सामान्य पृष्ठ है इसका नाम ईसा मसीह ही होना चाहिये। जब सभी भाषाओँ में एक ही व्यक्ति के लिये एक ही शब्द है तो इस मामले में मैं अत्यधिक प्रचलित शब्द ईसा मसीह के साथ हूँ। नेहल जी कहना सही है कि एक ही व्यक्ति का नाम अलग अलग नहीं होने चाहिये।-- गॉड्रिक की कोठरीमुझसे बातचीत करें 12:37, 31 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

ईसाई अपने को मसीही जरूर कहते हैं लेकिन "ईसाई" को गलत शब्द नहीं माना जाता है। कृपया आप लोग अपने मूल शोध के अलावा कोई विश्वसनीय स्रोत दें जिसमें कहा गया हो कि "ईसा" बहुत गलत शब्द है और इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। मुझे इतना समझ में आया है कि ईसाई समाज में जागृति हुई है कि ईसाई धर्म से संबंधित हिन्दी शब्दावली मुस्लिम परिप्रेक्ष्य से और ज्यादातर अरबी से निकली है। इसलिए इसको बदलना चाह रहे।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 15:11, 31 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
गुजराती भाषा में भी ईशु/इसु शब्द है। यहीं शब्द प्रयोग होता है। संस्कृत में रचित भविष्य पुराण में भी ईशु का सन्दर्भ मिलता है जिसमें भी ईशु मसीह शब्द का प्रयोग किया गया है। हिन्दी में तो ईशु शब्द का प्रयोग होता ही है और उसके पक्ष में सदस्यों की टिप्पणियाँ साक्ष्य है। गुजराती, संस्कृत का मैने बताया। उर्दू के विषय में भी उपरोक्त टिप्पणियों में बताया ही गया है और ये कहाँ जा रहा कि ये ईशु शब्द मुस्लिम संदर्भ से आया है। किंतु ये सही नहीं है। भविष्य पुराण में ईशु मसीह और स्वयं मुहम्मद पैगम्बर साहब के विषय में भी उनके जन्म के बहुत वर्ष पहले लिखा गया है। इस तरह सब से प्राचीन माने जाने वाला संदर्भ भविष्य पुराण में भी ईशु मसीह शब्द मिलता है और न केवल हिन्दी सहयोगी भाषाओं में भी यही शब्द उपयोग में है।--आर्यावर्त (वार्ता) 15:27, 31 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@आर्यावर्त, हिंदुस्थान वासी, BukhariSaeed, NehalDaveND, और Godric ki Kothri: जी, आज हनुमान जयंती के शुभ दिन पर आप सब लोगों से एक सवाल: चीनी भाषा में, अधिकांश लोग भगवान हनुमान को "मंकी गॉड" के नाम से जानते हैं, हालाँकि चीनी भाषा में "हनुमान" भी लिखना संभव है, और चीन के सारे बौद्ध अनुयायी उनको "हनुमान" ही बुलाते हैं और उनकी पूजा करते हैं, लेकिन अन्य चीनी लोग, अज्ञानित के कारण(मगर बिना किसी दुर्भावना के, धर्मनिरपेक्ष रूप से उनको "मंकी गॉड" बुलाते हैं। तो अब जवाब दीजिये की चीनी ज्ञानकोष में, उनके पृष्ठ का नाम "हनुमान" होना चाहिए या "मंकी गॉड"? और ज़रा यह भी बताइये की आपको कैसा लगेगा यह सुन के की हनुमान जी का पृष्ठ वहाँ मंकी गॉड के नाम से है, वो भी तब जब "हनुमान" शब्द चीनी शब्दावली का हिस्सा है, फिरभी? हम लोग, भारत मे क्योंकि नहीं जानते हैं कि यीशु और ईसा कितना serious issue हो सकता है, इसीलिए हम कह दे रहे हैं कि ईसा हिंदी में "धर्मनिरपेक्ष" शब्दावली है। ओस नही है। आप किसी भी ईसाई से पूछ लीजिये की उसका मसीह ईसा है या यीशु। हम यहाँ ज़बरदस्ती यीशु लिख कर ईसाई परम्परा का अनादर कर रहे हैं, यह बात आप लोगों को समझ नहीं आ रही है क्या? मुझे इस सवाल का भी जबाब दीजिये की यदि आपको पता है कि "ईसा" गलत शब्दावली है, और यीशु सही है, तो फिर किस आधार पर हैम यहाँ ईसा लिखें???   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  17:09, 31 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
Bilkul "Esa" koi bura name nahi magar yeh sirf Muslim bible (Quran) mein mention hai aur Masihi Jesus kai complete hindi name "Yeeshu Masih" kai 'Masih' sai khud ko "Masihi" kehte hain۔ Ab Muslims nai 'Esa' sai 'Esae' bana diya Kyunki Hindustan mein pehle Muslim Raaj tha shayad yeh usi ka parinaam hai۔ Urdu & Arabic speaking Masihi bhi 'Yasu Masih' (یسوع مسیح) kehte aur likhte hain aur sirf Persian Masihi 'Esa Masih' (عیسی مسیح) ka upyog karte hain۔ Is ka asaaan sa upaaye yeh hai kai Main page jo-ke english wikipedia par 'Jesus' kai name sai hai uske liye sirf 'Masih' (मसीह) ka upyog karein kyuki vah dono dharmo mein 'Masih' (Christ) kai name sai bhi Jane jaate hein۔ Meri raye hai kai "ईसा मसीह" ko en:Jesus in Islam sai link karna chahiye aur "यीशु मसीह" ko en:Jesus in Christianity۔ aur yeh sach hai kai Masihi 'Esa' ko koi Quranic personality samjhte hein (shayad iski wajah Quran ka peghambar aur Bible ka parameshvar ka beta hai)۔ बुखारी (वार्ता) 18:05, 31 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
बुखारी जी से नम्र निवेदन कि, वे हिंदी अच्छी लिख लेते है, अतः हिंदी विकिपीडीया के सामान्य शिष्टाचार के अंतर्गत ,नागरी प्रयुक्त करें ।अंग्रेजी विकिपीडिया में कदाचित आप हिंदी,उर्दू अथवा किसी अन्य भाषा में वार्तालाप नहीं करते होंगे ,उसी शिष्टाचार का यहाँ भी पालन करे।आपके विचारो का सम्मान किया जाएगा ,आप भी हिंदी विकी सदस्यों की अपनी भाषा के प्रति भावनाओ का आदर करेंगे ऐसी विनम्र विनती एवं आशा। स्वप्निल करंबेलकर | Swapnil Karambelkar (वार्ता) 18:36, 31 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
क्षमा करें! कीबोर्ड की समस्या है। में उर्दू विकिपीडिया पर editing करता हूँ। बुखारी (वार्ता) 18:53, 31 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@आर्यावर्त, हिंदुस्थान वासी, BukhariSaeed, NehalDaveND, और Godric ki Kothri: जी, यहां आपको, बाईबल का पूरा आधिकरिक सन्स्करण मिल जयेगा, कृपया, दहिने स्तम्भ में सूचिबद्ध, नया नियम (new testament) कि पहली कितब, "मत्ती के सुसमाचार" से शुरु करें, अन्त तक भी कहीं पर भी आपको, "ईसा" लिखा हुआ नहीं दिखेगा। आप बाइबल के किसी भी हिंदी संस्करण में मुझे ईसा लिखा हुआ दिखा दें, तो मैं ईसा पर विचार करूँ, मगर कोई भी क्रिस्टियान स्रोत, कभी भी ईसा नहीं लिखेगा, क्योंकि, इस और यीशु, दो अलग अलग कहानियों के पात्र हैं। _/\_ ईसा, क़ुरान का पर, अल्लाह का भेज गया नबी है, और यीशु, बाइबल का पात्र, ईश्वर का पुत्र, और पवित्र त्रिमूर्ति का हिस्सा है। इनके पृष्ठ अलग अलग ही होने चाहिए। यहाँ, मत्ती से पढ़ना आरम्भ करें। इसे केवल एक वैचारिक मतभेद की तरह ही देखें, इसे कोई भी, कृपया, प्रतिष्ठा का विषय ना बनाएँ :)    निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  19:25, 31 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें
@Swapnil.Karambelkar: जी, हालाँकि, आपकी नागरी लिपि उपयोग करने वाली बात नीतियों के आधार पर बिलकुल सही है, मगर, बुखारी जी कोई संभवतः, टंकण में समस्या आ सकती है, इसीलिए, ताकि, वो आसानी से अपनी बात साफ़ साफ रख सकें, इसीलिए, हमें उन्हें कमसेकम वार्ता पृष्ठ पर रोमन में लिखने की छूट दे सकते हैं। केवल मेरा सुझाव है, ताकि वे अपनी बात साफ़ साफ़ लिख सकें। :) ताकि ऐसा नहीं हो की देवनागरी टंकण सीखे सीखते वो स्ट्रेस में आ के लिखना ही छोड़ दें। बल्कि मैं @BukhariSaeed: जी का अत्यंत शुक्रगुज़ार हूँ की वे, पाकिस्तान के होते हुए भी, हिंदी विकिपीडिया में योगदान करते हैं। उनके इस जज़्बे को मैं सलाम करता हूँ, नमन करता हूँ। उनका काम सराहना योग्य है.    निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  19:25, 31 मार्च 2018 (UTC)उत्तर दें

ईसा मसीह पर क्या ईसाइयों का एकाधिकार है जो उनकी बाइबल को ही स्रोत मानकर यीशु किया जाए। इसके लिए "ईसायत में ईसा मसीह" लेख बनाकर लिखा जा सकता है। मैं फिर दोहराता हूँ ये ईसाई विकिपीडिया नहीं है और इस शब्द को साम्प्रदायिक रंग न दें।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 05:51, 1 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

@हिंदुस्थान वासी: जी, ज़रा इस दृष्टि से भी तो देखिए कि ये लेख ईसा मसीह के बारे में है ही नहीं। ईसा और यीशु, दो अलग अलग कहानियों के पात्र हैं। ये लेख बाइबल के "यीशु" के बारे में है, जो ईश्वरपुत्र है। इस्लाम के नबी के बारे में नहीं है। केवल आप और मेरे कह देने से यह शब्द "सर्वमान्य" और "धर्मनिरपेक्ष" नहीं हो जाता है ना सिरजी।☺️ वास्तविक दुनिया में, यह शब्द उतना ही साम्प्रदायिक है, जितना कि "हनुमान" और "मंकी गॉड"। अधिकांश लोगों के लिए धर्मनिरपेक्ष है, क्योंकि ना तो इस विषय पर उनको ज्ञान है, ना दिलचस्पी है। मगर जिन लोगों को इसके बारे में ज्ञान है, और दिलचस्पी है, उनकी राय तो सुनिए। सर्वमान्यता और धर्मनिरपेक्षता के लिए हमें करोड़ों अज्ञानी लोगों की बातों को तो पैमाना नहीं मान सकते हैं ना...करोड़ों अज्ञानियों का सर्वेक्षण करने से बेहतर केवल एक ज्ञानी व्यक्ति की बात सुनी जाए... है ना? ईसा मसीह, इस्लाम का नबी है, क़ुरान का पात्र है। यीशु मसीह, बाइबल का पात्र है, और ईसाइयों के मसीह है। या बिल्कुल मूल पर चल जाते हैं....यह विषय उल्लेखनीय और ज्ञानकोशीय है या नहीं? अगर है तो क्यों है? इसके उल्लेखनीयता का स्रोत क्या है? जवाब ये, की यह विषय उल्लेखनीय और ज्ञानकोशीय इसीलिए है, क्योंकि यह विषय ईसाई धर्म के केन्द्रीय पत्र, के बारे में है, जोकि दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है, जिसके लगभग 3 अरब विश्वासी हैं, दुनियाभर में, इसीलिए यह उल्लेखनीय है। इसके उल्लेखनीयता का मूल स्रोत क्या है? जवाब: ईसाइयत की एकमात्र पवित्र किताब, बाइबल। क्या बाइबल हिंदी भाषा में है? हिंदी भाषा में इसका नाम क्या है? जवाब: बेशक, बाइबल हिन्दी में है, और लगभग एक हज़ार साल से ईसाई भारत में हैं, वो इसको "यीशु" नाम से बुलाते हैं, और इसी नाम से उसको जाना जाता है। अब ये सवाल आता है कि मगर अधिकांश लोग तो "ईसा" नाम जानते हैं। इसका जवाब ये है, की ईसा, क़ुरान का पात्र है, वह इस्लाम का नबी है, उसकी कहानी का स्रोत क़ुरान है। ईसा भी उल्लेखनीय विषय है, मगर यीशु से अलग विषय है। क़ुरान में यह claim किया गया है कि जोलोग खुद को ईसाई कहते हैं, वो लोग गुमराह हो चुके हैं, और उन्होंने मसीह की बातों तो ठीक से समझा नहीं था। उसमें, मसीह के वास्तविक हीब्रू नाम, "यीशूआ/यीशु" के अरबी रूप, "ईसा" से उनका बोध किया गया है और कहा गया है, की वो ईश्वरपुत्र नहीं है, बल्कि अल्लाह द्वारा भेज गया नबी है। बाइबल में दी गयी कहानी, क़ुरान में दिए गए बोधों से अलग है। बाइबिल वाले पत्र से जुड़ी मान्यताएँ, और कहानियाँ, क़ुरान वाले पत्र से अलग है। दोनों खुद में ही उल्लेखनीय हैं, इतना, की इन दोनों धर्मों के सन्दर्भ में इस पत्र के बारे में इतना बड़ा लेख बनाया है सकता है, की उसको एक साथ पढ़ना और समझ पाना अत्यंत कठिन हो जाएगा पाठक के लिए। यदि हम एक ही लेख में इन दोनों विष्ययों का व्याख्यान करें, तो कोई भी उसको पढ़ के समझ नहीं पायेगा ठीक से, क्योंकि दोनों विष्ययों से जुड़ी बातें बिल्कुल अलग अलग दिशा में है। फिर यह भी निर्णय लेना होगा कि इसपर इस्लामिक कथा और शब्दावली को प्राथमिकता दी जाए या ईसाई शब्दावली और कथा को? अगर सारे धर्मों/पंथों को बराबर मानते हैं, तो फिर हम उसमें से एक को प्राथमिकता क्यों दें? क्योंकि दूसरे के पक्ष में आवाज़ उठाने वाले यहां काम हैं इसिलए?   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  08:50, 1 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

@Innocentbunny, हिंदुस्थान वासी, Swapnil.Karambelkar, आर्यावर्त, BukhariSaeed, NehalDaveND, और J ansari: आप सभी के लिये मैं अंग्रेजी विकी में मैं गंगा बनाम गैंजेस बहस का हिस्सा पेश करना चाहता हूँ। (यह कड़ी देखें) वहाँ पर भी गैंजेस नाम केवल इस आधार पर रखा गया है क्योंकि वह शब्द अत्यधिक प्रचलित है, जबकि हम भारतीय अंग्रेजी में गंगा ही लिखते हैं। शेष इनोसेंटबनी जी ने भी अच्छे तर्क प्रस्तुत है। इसलिये मैं फ़िलहाल इस चर्चा में तटस्थ हूँ।-- गॉड्रिक की कोठरीमुझसे बातचीत करें 04:36, 2 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

@Godric ki Kothri: जी, प्रचालित शब्द पे जाने से पहले यह सोचिए कि इस लेख की ज्ञानकोशियता का मूल क्या है? यह लेख आया कहाँ से? यह लेख बाइबल के पात्र "यीशु मसीह" के बारे में है। "ईसा मसीह" एक दूसरी परम्परा के किताब के पत्र का नाम है, जोकि प्रचलित है। यह लेख उस प्रचलित पत्र के बारे में है ही नहीं। जो लोग यह समझ रहे हैं कि यह लेख ईसा के बारे में है, वो लोग इसी बिंदु को भूल रहे हैं। गैंजेज़ और गंगा वाले बहस में एक स्थान के नाम पर बहस थी, मगर यहाँ पर बहस एक धर्मग्रंथ के पात्र की है। और वहाँ पर अंग्रेज़ी शब्द vs (बहुत हद तक) ग़ैर-अंग्रेज़ी शब्द वाली बात भी थी, जोकि यहाँ नहीं है।   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  10:55, 2 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें
और अगर प्रचलित के तर्क को हर जगह लागू करें, तो आज भी पूरे हिन्दुस्तान में "कलतत्ता" ज़्यादा प्रचलित शब्द है, नाकी "कोलकाता", और कोलकाता तो हिन्दी शब्द भी नहीं है, तो फिर किस आधार पे उस शहर के पृष्ठ का नाम "कोलकाता" रखा गया है?? हर जगह प्रचलित नहीं चलता श्रीमान, आधिकारिक हिंदी शब्दावली सबसे पहले। उसके बाद प्रचलित।    निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  11:15, 2 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें
अभी आपने ऊपर कहा है कि गंगा वाली बहस स्थान पर थी। इसलिये आपने उस उदाहरण को नकार दिया। ऐसे ही कोलकाता वाली बहस भी नकार देनी चाहिए। आपकी ये बात यहीं पर खंडित हो जाती है (इसपर कोलकाता पेज पर बहस कर सकते हैं)। अब आते है मूल बात पर, देखिए मैं भी आपसे अब सहमत हूँ कि "ईसा" और "यीशु" एक तरह से दो अलग पात्र है। लेकिन इस लेख का नाम बदलने पर बिल्कुल सहमत नहीं हूँ। अंग्रेज़ी विकिपीडिया पर en:Jesus in Islam से लेख है न कि ईसा इब्न मरियम नाम से (वो पहली लाइन में लिखा है)। वो ईसा कर सकते हैं और आपकी राय से उन्हें करना भी चाहिए। आखिर "जीसस" इस्लाम में क्या कोई अर्थ रखता है?! अब आप बताए इन तथ्यों और तर्क को देखकर कि हमें कैसे आगे बढ़ना चाहिए।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 14:24, 2 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

नमस्कार मैं एक क्रिशन धर्म से हु और इस चर्चा मैं शामिल होना चाहता हु। बाइबिल के अनुसार यीशु ये शब्द वापरा गया है। इसकी अधिक जानकारी आपको पर मिलेगी। परंतु इन्हें येशु/ईशा भी कहा जाता है। मरे मत है कि यीशु ये शब्द ठीक रहेगा और येशु/ईशा को यहा पुनर्प्रेषित किया जाए --Tiven2240 (वार्ता) 16:25, 2 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

हिंदुस्थान वासी जी , अंग्रेज़ी विकिपीडिया पर Jesus In Islam इस लिए है क्योंकि English क़ुरान में Jesus ही है न की ईसा। और अगर हिंदी बाइबिल में अगर ईसा होता तो यहां भी पेज का नाम रखना सही होता। बुखारी (वार्ता) 11:48, 3 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें
@हिंदुस्थान वासी: जी, मैंने, कलकत्ता वली बात केवल एक उदाहरण के तौरपर की थी, मैं कोलकाता नाम से ही सहमत हूँ। उसी तरह से व्यक्तियों के ही सन्दर्भ में प्रचलित नाम हमेशा सही नहीं होता, इसका एक बहुत अच्छा उदाहरण है, सत्यजीत राय जिनको अंग्रेजी में Satyajit Ray लिखा जाता है, अतः पूरा हिंदुस्तान उनको सत्यजीत रे के नाम से जनता है, मगर की इसलिए उनके पृष्ठ के नाम हम सत्यजीत रे कर दें?.... ऐसी ही बात यहाँ है। मेरा मत यही है की यह लेख बाइबिल के पात्र के बारे में है, अतः ईसाइयत के सन्दर्भ में इसपृष्ठ का नाम यीशु मसीह ही हो, और क़ुरान वाले पात्र के लिए एक दूसरा पृष्ठ हो, ईसा मसीह के नाम से। और दोनों पृष्ठों में ऊपर एक नॉट लिख दें की यह पृष्ठ इस्लाम/ईसाइयत के पात्र के बारे में है, और दूसरे पात्र की जानकारी हेत {यहाँ} जाएँ। अब हम यहाँ पर एक बहस कर सकते हैं की "यदि 'मसीह' केवल एक उपादी है, और नाम नहीं, तो क्या इन दो पृष्ठों के नामों में 'मसीह' लगाना चाहिए या नहीं?" इस विषय पर फ़िलहाल मैं तटस्थ हूँ: मुझे लगता है, की यीशु मसीह और ईसा मसीह, इन दोनों नामों में 'मसीह' बहुत हद तक एक संज्ञा बन चूका है, मगर हमें ये भी देखना चाइये, की हम बाइबिल और क़ुरान को स्रोत मान रहे हैं, और बाइबिल में कहीं भी 'यीशु मसीह' कहीं नहीं लिखा गया, बल्कि हर जगह 'यीशु' ही लिखा गया है, और उसी तरह क़ुरान में हर बार "ईसा इब्न मरियम" और "ईसा" का ज़िक्र है, तो क्या हम यीशु और ईसा इब्न मरियम के नाम से दो पृष्ठ बनायें? और बाकि सारे संभावित नामों को उनपर पुनरप्रेषित कर दें? मेरे ख्याल से यही अच्छा होगा। और उसके अलावा हमें 'मसीह' उपादि के बारे में अलग पृष्ठ बनाना चाहिए। @BukhariSaeed और Tiven2240: जी की बात से भी मैं सहमत हूँ।    निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  07:30, 4 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

नतीजा संपादित करें

इस पूरी चर्चा का नतीजा यह हुआ कि ईसाई धर्म से संबंधित पृष्ठ का नाम यीशु कर दिया जाय और इस्लाम संबंधित पृष्ठ का नाम ईसा इब्न मरियम किया जाए।

  • इस शब्दावली का आधार, और इन विषयों की उल्लेखनीयता का स्रोत, हम दोनों संप्रदायों के पवित्र किताब, बाइबल और क़ुरान को मानते हैं, अतः दोनों किताबों में उपयोग किये गए नाम को आधिकारिक शीर्षक माना जायेगा।
  • नाम के आगे "मसीह" इसीलिए नहीं लगाया जा रहा है, क्योंकि मसीह नाम का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक उपादी/ख़िताब है, और खुद में ही एक अलग विषय है।
मसीह का एक अलग पृष्ठ बनाया गया है। अभी तक दिए गए तर्क के आधार पर यह निर्णय लिया जा रहा है और कार्यान्वित किया जा रहा है।

यदि इस चर्चा में रुचि रखने वाले किसी भी अन्य सदस्य को इससे कोई आपत्ति, विरोध या टिप्पणी/राय है तो बेझिझक पेश करे, अन्यथा अगले एक हफ्ते यानी अगले शुक्रवार, 20 अप्रैल के बाद से यह निर्णय स्थाई हो जाएगा एवं इसके बाद इस विषय के शीर्ष/शब्दावली की कोई भी अन्य मतभेद को दूसरी चर्चा का हिस्सा माना जायेगा। कृपया आगे की चर्चा नीचे करें   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  19:02, 12 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

ये नतीजा आपने अपने हिसाब से, अपनी पसंद का लिख दिया? आप से अनुरोध है कि स्वयं ही निर्णय न लें।-आर्यावर्त (वार्ता) 02:19, 13 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

निर्णय पर चर्चा संपादित करें

में इस निर्णय से पूरा सहमत हूँ। --Tiven2240 (वार्ता) 01:07, 13 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

आप से अनुरोध है कि, आप पक्षकार है अतः निर्णय आप लेंगे तो अपने पक्ष में ही लेंगे जो उचित नहीं। आप केवल अपना पक्ष रख दें। निर्णय समुदाय को लेने दें।--आर्यावर्त (वार्ता) 02:21, 13 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें
@आर्यावर्त: ये आप क्या कर रहे हैं? एक पृष्ठ पे, जिसपर बहस चल रही है, उसपर बिना चर्चा का हिस्सा हुए, बिना कोई तर्क दिए, आपने किस आधार पर इसे पूर्ववत करके सुरक्षित कर दिया? आपको नहीं लगता है कि कोई भी निर्णय काम करने से पहले तर्क देने के बाद कार्य करना चाहिए?   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  02:58, 14 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें
नमस्ते, @Innocentbunny: जी, आप से अनुरोध है कि आप स्वयं ही निर्णय न लें क्योंकि आप प्रस्तावक हैं। यहाँ ज्यादातर ऐसी चर्चाओं में निर्णय ऐसे प्रबंधक घोषित करते हैं जो चर्चा में तटस्थ रहे हो और पुख्त चर्चा के बाद निर्णय घोषित किया जाता है। प्रारम्भ में भी पहले आपने नाम बदल दिया था और बाद में चर्चा आरम्भ की थी। ऊपर चर्चा में आपने लिखा कि २० अप्रैल के बाद बदल दिया जाएगा; जो उचित नहीं है क्योंकि निर्णय प्रस्तावक को नहीं लेना चाहिए जब उनके प्रस्ताव पे कुछ सदस्यों की सम्मति न हो। २० अप्रैल तो दूर रही आपने उसी दिन पृष्ठ का नाम भी बदल दिया और स्वयं ही निर्णय ले लिया। अतः इसे पुरानी स्थिति में स्थापित किया गया है। आप से अनुरोध है कि जब आपने शीर्षक बदलने हेतु पुनः चर्चा का आरंभ किया ही है और पुरानी चर्चा का भी परिणाम घोषित नहीं हुआ है तब तक धैर्य रखें और समुदाय को निर्णय लेने दें।--आर्यावर्त (वार्ता) 04:05, 14 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें
समुदाय यानी "@आर्यावर्त:" जी स्वयं? यह नियम कहाँ लिखा है? मेरी आपत्ति इस बात से नहीं है कि आप इस चर्चा में क्यों घुस रहे हैं, मेरा सवाल यह है कि आपने बिना तर्क दिए या चर्चा में हिस्सा लिए हुए, या बिना बताया हुए, बिना किसी कारण के, इस पृष्ठ को पूर्ववत करके सुरक्षित किस आधार पर कर दिया? और "समुदाय निर्णय लेगा"...ये नियम कौनसी विकिनीति में है? मुझे जहाँतक पता है, चर्चा में इच्छुक लोग मिलकर एक निष्कर्ष पर आते हैं...आप इस तरह से, बिना वजह कार्रवाही करके अपने अधिकारों का गलत उपयोग कर रहें हैं। मैने स्वयं निर्णय नहीं लिया है, इस निर्णय पर हर किसी की स्वीकृति थी, और लंबी चली चर्चा के बाद यह निष्कर निकला, और उसके हिसाब से मैंने नाम बदला था। मगर अचानक से आपने बिना तर्क के, बिना कारण के पूर्ववत कर दिया, और केवल पूर्ववत ही नहीं किया, सुरक्षित भी कर दिया। क्या मैं पूछ सकता हूँ कि ऐसा क्यों किया? क्या मैने कोई बर्बरता की थी? इतना सीरियस क्या हो गया था कि सुरक्षित करने की ज़रूरत आन पड़ी? यह मैंने यहां लिखा भी था कि अभी तक कि बहस के नतीजे के अनुसार में यह कर रहा हूँ, और यदि किसी को कुछ और तर्क देना है तो दे। आपने ये सब पढ़ा नहीं?   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  04:28, 14 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

नाम बदलाव के लिये चर्चा संपादित करें

इस पन्ने का नाम यीशु कर दिया जाए और एक ईसा इब्न मरियम या खाली ईसा नाम से लेख बनाया जाए। नीचे तर्क के आधार पर अपनी सहमति या असहमति लिखें।


और हालाँकि बताने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए, मगर बता देता हूँ कि विकिपीडिया लोकतंत्र नहीं है, तर्कतंत्र है, किसी विषय पर मतदान से निर्णय लेने का कोई मतलाब नहीं है। जो तर्क सबसे अव्वल साबित हो वही निर्णय होता है। और आज हैरानी की बात ये है कि उम्र भर "तानाशाही" का विरोध करते आ रहे लोग आज स्वयं तानाशाही पर कैसे उत्तर आए?   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  04:08, 14 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

एक और सुझाव संपादित करें

@हिंदुस्थान वासी: जी, मेरे दिमाग में एक और ख़याल आया है, अब जब एक पृष्ठ का नाम यीशु है, और दूसरे का नाम ईसा इब्न मरियम है, तो क्या अब हमें ईसा मसीह, जोकि बहु प्रचलित नाम है, उसे यीशु पे पुनःप्रेषित कर दें, या और भी बेहतर होगा यदि उसे बहुविकल्पी बना दिया जाए।   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  11:58, 16 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

ईसा मसीह को इस पर ही अनुप्रेषित करने से सहमत। क्योंकि पाठक सामान्य जानकारी के लिये ही ईसा मसीह खोजेगा, खाली इस्लाम के पैगम्बर के लिये नहीं।--हिंदुस्थान वासी वार्ता 15:01, 16 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें
👍   निरपराधवत् मृदुरोमकः    वार्ता  09:38, 20 अप्रैल 2018 (UTC)उत्तर दें

आप क्यों कहते हैं कि अंतिम दिनों में प्रभु यीशु का नाम बदल दिया जाएगा? क्या यह राय सही है? संपादित करें

आप क्यों कहते हैं कि अंतिम दिनों में प्रभु यीशु का नाम बदल दिया जाएगा? क्या यह राय सही है? 2409:4043:4D11:377F:0:0:2A49:1A0A (वार्ता) 15:06, 9 मार्च 2022 (UTC)उत्तर दें

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