वाल्मीकि जाति

भारत की जाति

वाल्मीकि हिन्दू सनातन धर्म को मानने वाली एक जाति व दलित समुदाय है। इनका पारम्परिक काम सफाई कार्य करना रहा है। वाल्मीकि समाज के अन्य नाम नायक, बेडार, बेडा, बोया, भंगी, महादेव कोली, मेहतर, नाईक भारत के अलग अलग राज्यों में इन नामों से भी जाना जाता है। दक्षिण भारत में वाल्मीकि एक क्षत्रिय, योद्धा जाति है।[1]

पंजाब में बसे चूहड़ा को भी इनका भाग माना जाता है जो सिख धर्म के अनुयायी हैं।[2] वाल्मीकि नाम वाल्मीकि से लिया गया है जिन्हें ये समुदाय अपना गुरू मानता है (देखें वाल्मीकि समुदाय)। वाल्मीकि समुदाय के लोग भगवान वाल्मीकि जी को ईश्वर का अवतार मानते हैं तथा उनके द्वारा रचित श्रीमद रामायण तथा योगवासिष्ठ को पवित्र ग्रन्थ मानते हैं।

इनका मूल नाम भंगी है जिसका अर्थ भांग पीने वाला होता है।[3] लेकिन ये अब अपमानजनक माना जाता है और इसका उपयोग सामाजिक रूप से सही नहीं माना जाता है। कुछ वाल्मीकि अपने को हरिजन कहलाना भी पसंद करते हैं।[4]

वाल्मीकि आज भी साफ सफाई का कार्य ही करते हैं और ये उनका रोजगार का मुख्य हिस्सा है। उनके कई सगंठन भी मौजूद है जो सरकारी नौकरी में इस कार्य में किसी और जाति के लोगों के आगमन का विरोध करते हैं।[5]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. मदकरी नायक
  2. The Oxford Handbook of Sikh Studies (अंग्रेज़ी में). ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. 2014. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780191004117. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)
  3. Shyamlal 1992, पृ॰ 22.
  4. Shyamlal 1992, पृ॰ 25.
  5. "सफाईकर्मी पद पर वाल्मीकि समाज की हो भर्ती". दैनिक जागरण. 24 जून 2016. अभिगमन तिथि 2 फरवरी 2018.

अग्रिम पठन

  • Shyamlal (1992). The Bhangi : a sweeper caste, its socio-economic portraits : with special reference to Jodhpur City (अंग्रेज़ी में). Bombay: Popular Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788171545506. |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)