वासुदेव बलवंत गोगटे हिन्दू महासभा के सक्रिय कार्यकर्ता थे। इन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से कला स्नातक एवं विधि स्नातक किया था। उनके पुणे में फर्गुसन कॉलिज के अध्ययन के दौरान ही सरकार ने १९३१ में १६ निर्दोष नागरिकों को मात्र मार्शल लॉ का उल्लंघन करने के आरोप में फांसी पर लटका दिया था। इसके प्रतिशोधस्वरूप इन्होंने तत्कालीन गवर्नर, हॉटसन पर गोलीबारी कर उसकी हत्या का एक असफल प्रयास किया। इसके परिणामस्वरूप इन्हें सात वर्ष काकारावास मिला। ये १९३७ में रिहा हुए। उसके बाद विधि में स्नातक किया व वकालत करने लगे। १९४८ में गांधी हत्याकाण्ड के षडयंत्र के आरोप में इन्हें गिरफ्तार किया गया। ये पुणे नगरपालिका के सदस्य और बाद में अध्यक्ष भी निर्वाचित हुए थे। बाद में ये महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी रहे। इनके प्रयासों से ही वहां वासुदेव बलवंत फड़के का स्मारक निर्माण हुआ। २४ नवंबर, १९७४ में इनका देहान्त हो गया।

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