विकिपीडिया:प्रयोगस्थल

भारत में कृषि अनुसंधान का संचार अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा किया जा रहा है तथापि देश में अधिकांश कृषि अनुसंधान सर्जक तथा ज्ञान के प्रचार प्रसार करता के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अनु.प) कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विस्तार के क्षेत्र में देश का सर्वोच्च संगठन है जिसमें 99 अनुसंधान संस्थाओं तथा 637 कृषि विज्ञान केंद्र का एक व्यापक नेटवर्क विद्यमान है इसके अतिरिक्त भा.कृ.अनु.प देश के 69 कृषि विश्वविद्यालय को क्षेत्रीय विशिष्ट अनुसंधान तथा शैक्षिक प्रयासों में सहमत प्रदान करती है देश में पंधारियों व बेसिक समुदाय के लाभ के लिए परिषद द्वारा अनेक अनुसंधान जर्नल पत्रिकाएं न्यूज लेटर रिपोर्ट्स दस्ती पुस्तक पाठ्यक्रम पुस्तक और मोनोग्राफ बुलेटिन आदि मुद्रित रूप में उपलब्ध कराने के साथ-साथ यह मूड में भी प्रकाशित किए जाते हैं

           सूचना विस्फोट के इस युग में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी धीरे-धीरे सूचना संकलन भंडारण व उसके पुनः उपयोग की पुरानी वीडियो का स्थान ले रहा है इस प्रौद्योगिकी से सूचना के प्रकाशन तथा वितरण की प्रक्रिया में भी रूपांतरण हुआ है मुलाकात कृषि ज्ञान प्रबंधन निदेशालय की मुख्य भूमिका परिषद के ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि तथा संबद्ध विशेष में सूचना को एकत्र करना भंडार करना वह उसका प्रचार प्रचार करना नर्स प्रणाली में कृषि वैज्ञानिकों को शिक्षा तथा अनुसंधान के उनके दिन प्रतिदिन के कार्यों में सहायता पहुंचाने के लिए बड़ी मात्रा में सूचना को संकट करना भंडारण करने उसका पुनः उपयोग करने प्रचारित प्रसारण करने के लिए आधुनिकतम प्रयोग गांव का उपयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है विभिन्न कृषि संस्थाओं संगठन एजेंसियां व प्रकाशकों द्वारा विकसित कृषि संबंधी बेवसाइट तथा डेटाबेस नवीनतम सूचना उपलब्ध करा रहे हैं 
             वैज्ञानिक अनुसंधान को जनसंचार के विभिन्न माध्यमों जैसे सूचना अनुसंधान जनरल ऑन अनुसंधान समीक्षा पत्रों सम्मेलन आदि में प्रस्तुत किए जाने वाले अनुसंधान पत्र शोध पर बंद हो या डिटराइजेशन पुस्तक के अध्यायों और न्यूज लेटर आदि के माध्यम से प्रचारित प्रसारित किया जाता है कृषि वैज्ञानिक के लिए जनसंचार के ऐसे अनेक माध्यम उपलब्ध है जिनका उपयोग में अपने अनुसंधान व उनके परिमानों को जन सामान्य तक पहुंचाने के लिए कर सकते हैं वैज्ञानिक जन सामान्य तथा अपने साथी वैज्ञानिक तथा अपने अनुसंधान से संबंधित सूचनाओं को प्रसारित करने के लिए निम्न मध्यम या मीडिया का उपयोग कर रहे हैं
        किसी संगठन के सकल विकास के लिए ज्ञान प्रबंधक का बहुत महत्व है जिसमें अधिगम माड्यूल्स के विकास डिजिटलीकृत विषय वस्तु के सृजन विज्ञान प्रबंधक के मंच के सृजन सूचना एवं संचार की उन्नति प्रक्रियाओं के माध्यम से कृषि शिक्षा और उसके प्रचार प्रसार को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है इंटरनेट के माध्यम से संचार बढ़ रहा है तथा कृषि एवं समुदाय के लिए व्यापार के अवसर भी बढ़ रहे हैं जो पूर्व में ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अलग-अलग था ज्ञान व प्रचार प्रसार नवीन ज्ञान की खोज की तुलना के सामान्य रूप में महत्वपूर्ण है 
  1. ज्ञान संपन्न समाज#

ज्ञान संपन्न समाज में सूचना एक महत्वपूर्ण स्रोत है और इसका प्रबंधन परंपरागत आंकड़ा प्रबंधन की तुलना में बहुत भिन्न तथा अनूठा अधिकांश टाइम में परंपरागत प्रबंधन संबंधी पहलुओं को संकलन के साथ-साथ परिवर्तन के प्रबंधन के अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों के प्रबंधन को शामिल किया जाता है वर्तमान में सूचना से जुड़े व्यवसायविदो की भूमिका मुक्त अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए दस्तावेजों का प्रदर्शन सूची पत्र कारण व सूचीबद्ध कारण से जुड़े मुद्दों से संबंधित है सूचना का उसकी भाग दरी तथा प्रबंधन की दृष्टि से व्यापक रूप में जाना चाहिए

  1. कृषि ज्ञान प्रबंधन किस लिए?#

चुकी ज्ञान सभी उद्योगों और सेवाओं का एक मुख्य संसाधन बन गया है तथा इसका प्रबंधन भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया प्रभावी कृषि ज्ञान प्रबंधन निरंतर नई नई खोजने को करने तथा टिकाऊ कृषि के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जिससे ज्ञान से प्रचलित होने वाली बाजार आधारित अर्थव्यवस्था में कृषि का उत्पादन बढ़ाने में बहुत सहायता मिलती है किसी भी ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के समान इसकी सफलता और असफलता विज्ञान तक हमारी सही प्रकार की पहुंचे व उपयोग पर निर्भर करती है कृषि ज्ञान उत्पादन में अनेक परिवर्तन हो रहे हैं और इसके असंगत उपयोग है निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकता की पूर्ति के लिए खदान रिहाई और औषधीय की मांग भी निरंतर बढ़ रही है अतः फॉर्म उत्पादन को फॉर्म संशोधन के विवेकपूर्ण उपयोग तथा फॉर्म उत्पादकता के अन्य निवेशों के सही-सही इस्तेमाल के माध्यम से न केवल टिकाऊ बनाए रखना बल्कि उसे बढ़ाना भी जरूरी हो गया है क्योंकि मानवीय भीम क्लबोन तथा पर्यावरणीय अपघटन के कारण खेती के अंतर्गत आने वाली भूमि दिन प्रतिदिन सुकृति जा रही है अतः खेती के अंतर्गत भूमि के और क्षेत्र को लाना संभव नहीं है इसलिए फॉर्म उत्पादन बढ़ाने की दृष्टि से कृषि ज्ञान प्रबंधनएक ऐसा मंच उपलब्ध कराने में सक्षम है जिससे कृषि उत्पादन के विभिन्न घटकों के लिए कृषि ज्ञान का आधार निर्मित हो सकता है और इससे समय पर निर्णय लेते हुए उन पर अमल किया जा सकता है

       कृषि ज्ञान की भागीदारी विनिमय तथा उसका प्रचार प्रसार कृषि ज्ञान प्रबंधन के मूल्य तत्व ज्ञान प्रबंधक का मौलिक उद्देश्य सूचना तथा बौद्धिक संपदा को सार्थक मूल्य में रूपांतरित करना है मूल्य विचार ज्ञान और सूचना की ऐसी संपदा का उपयोग करते हुए किसी संगठन को सफल बनाना उसमें सुधार लाना और उसे गतिशील बनाना है जो संगठन तथा उसके सदस्यों के पास सामूहिक रूप से होती है कृषि ज्ञान प्रबंधक के संदर्भ में इसके मूल्य उद्देश्य निम्न कहे जा सकते हैं 
  1. .#कृषि वैज्ञानिकों तथा किसानों को व्यापक मात्रा में सूचना के प्रबंध फॉर्म उत्पादन को अधिकतम बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ कृषि संबंधी विधियों के प्रति गहरी अंतर दृष्टि रखते हुए सही समय पर सही निर्णय लेना व सूचना का विश्लेषण करना
  2. .#दरब को कम करने तथा अनुसंधान या कृषि से जुड़ी हुई क्रियाविधियों में बार-बार लगने वाली लागत को कम करने के लिए किसी परियोजना या विधि से प्राप्त किए गए अनुभवों की भागीदारी करना
   तकनीकी पर त्वरित निवेश की सलाह देना और खाद्य उत्पादन से संबंधित ज्ञान उपलब्ध कराना तथा इसके साथ-साथ मांग परिवर्तित होते हुए भोजन संबंधी आदतों उपभोक्ताओं की पसंद बाजार मूल्य आदि के बारे में त्वरित जानकारी उपलब्ध कराना 
  1. ज्ञान प्रबंध के उपयोग#

१.किसी संगठन में मौजूद सर्वाधिक मूल्यवान संपत्ति को बनाए रखने व उसे बढ़ावा देना तथा ज्ञान की वृद्धि को प्रवर्धित करना २. किसी संगठन के स्वामित्व में मौजूद बौद्धिक पूंजी का प्रबंध व उसका नियंत्रण ३. ज्ञान निधि के अतिरिक्त प्रवाह को रोकना तथा उसके उपयोग व पुनः उपयोग को प्रोत्साहित करना ४. ज्ञान के विनिमय तथा क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना ५. नई-नई खोजों करना तथा सामूहिक लक्षण को प्राप्त करना