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कार्टूनिस्ट-चित्रकार विश्वा मित्र पंजाब के बेहतरीन चित्रकारों व कार्टूनिस्टों में गिने जाते हैं। उन्होंने अपना सफर एक स्टूडियो से शुरू किया 1986 में वह हिंद समाचार जालंधर में बतौर आर्टिस्ट काम करने लगे। उन्होंने हजारों की संख्या में कहानियों के चित्र बनाएं इसकेअलावा उनके कार्टून तीर निशाने पर और ठाह सोटा के नाम से प्रसिद्ध थे। उनका नाम संपादकीय, राजनीतिक और समाजिक परिवेश पर चंदशब्दों में गुदगुदाती हुई सटेक टिप्पणियों के लिए जाना जाता है। इनके कार्टून जो समाचार, पंजाब केसरीऔर जगबानी में लगातार 1986 सेप्रकाशित होते रहे। कैप्टन अमरेंद्र सिंह व परकाश सिंह बादल परबनाया गए उनके कार्ट्न की फोटोकापीयां बनवा कर एक रैली में बांटी गई थी। जब एकबार स. परकाश सिंह बादल पंजाब केसरी जालंधरआफिस आए तो पदमश्री विजय कुमार चोपड़ा से बोले कि उस बंदे केमिलाओ जिसने हमे जांघिया पहनाया था। वो विश्वा मित्र को मिल कर बहुत खुश हुए थे। विश्वा मित्र को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और बड़े-बड़े नेता, बुद्धिजीवी सम्मानित कर चुके हैं। वर्ष 1985 में भाजपा केएमएलए वैध ओम प्रकाश दत्त ने उन्हें नाखून से बनाई श्रीमति इंदरागांधी की पेंटिंग के लिए सम्मानित किया और अपनी कार में साथले जाकर लूथर स्टूडियो से फोटो खिचवाई। उनकी चिल्न प्रदर्शनी2000 में गुरु नानक लाइब्रेरी जालंधर में लगी थी। जिसका उद्द्घाटनपदमश्री विजय कुमार चोपड़ा ने किया था। श्री अविनाश चोपड़ा जीविशेष तौर पर पहुंचे थे। उनके गुरू श्री परमानंद ने उनके काम कीभरभूर सराहना की थी। उनहोने पदमश्री विजय कुमार चोपड़ा से कहाथाकि विश्वा मित्र के बनाए चित्रों में जो आंखे हैं उनमें पानी जैसीबारीकी हर कोई नहीं ला सकता। उस प्रर्दशनी की उनको भरपूर सराहना मिली चित्रकार विश्वा मित्र ने सन 2001 में एक खोए हुएबच्चे के मां-बाप से पुछ कर ऐसा स्कैच बनाया के को लोगों ने बच्चाचुराने वाले लोगों को अखबार में छपे हुए स्कैच देख कर सुबह हीपकड़ लिया | जिसकी पंजाब पुलिस और शहर के गणमान्य व्यक्तियों नेखूब प्रशंसा की और उनको जगह-जगह बुलाकर सम्मानित किया।कार्टूनिस्ट और चित्रकार विश्वा मित्र एक अच्छे कवि, कहानीकार औरलेखक भी हैं। उनकी रचनाएं अक्सर अखबारों में प्रकाशित होती रहती हैं। उनकी किताब ते “कविता रो पई” और “रिसदे जख्म” पंजाबी मेंजल्दी छप रही है। सैकड़ों किताबों के टाईटल बनाने वाले विश्वा मित्रमिलनसार व सच्च बोलने वाले इन्सान हैं। 1980 में वीर प्रताप मेंउनकी इंटरव्यू भी छपी थी जिसका हेडिंग था। जादू झलकता है विश्वामित्र की कला में । उसके बाद पंजाबी अजीत और अकाली पत्रकार मेंउनका दमदार इंटरव्यू छपा | उनके चावलों के दानों पर गुरूओं के बनाएचित्र लोग दूर से देखने आते थे।हरफनमौला विश्वा मित्र कला जगत में एक विशेष स्थान रखते हैं। कई कलाकारों की इंटरव्यू विश्वामित्र की कलम से अखबारों में प्रकाशित हो चुकी है अच्छे लेखक और चित्रकार होने के साथ-साथ वह एक मिलनसार और नेक दिल के इंसान ही है। वीरेन्र और मेहर मित्र के चहेते विश्वा मित्र अगर वीरेंद्र की वे बक्त मौत न होती तो आज फिल्मी कलाकार होते। उसके बाद 1993 में उनकी धर्मपत्नी का स्वर्गगास हो जिससे वो टूट गए।