विक्रम योग
संस्थापक: विक्रम चौधरी
स्थापना: 20 वीं सदी के उत्तरार्द्ध से बढ़ रहा है।
अभ्यास विधि: unchanging sequence of postures in a heated room designed as a rejuvenating exercise to strengthen the entire body from head to toe
व्युत्पन्न रूप:
सम्बंधित अध्ययन केंद्र
योग कॉलेज ऑफ़ इंडिया, कोलकाता, भारत

विक्रम योग योग की एक प्रणाली है जिसे विक्रम चौधरी ने परंपरागत योग तकनीकों से तैयार किया था और 1970 के दशक की शुरुआत में इसे लोकप्रियता मिलनी शुरू हुई थी।[1][2] विक्रम की कक्षाएं लगभग 90 मिनट तक चलती हैं और इसमें 26 मुद्राओं और 2 साँस संबंधी व्यायामों की श्रृंखला का एक सेट पूरा कराया जाता है। विक्रम योग का अभ्यास आदर्श रूप से 105° फारेनहाइट तक गर्म किये गए और 40% आर्द्रता वाले कमरे में कराया जाता है जो इसे खुले तौर पर हॉट योगा के एक स्वरूप में पहचान दिलाता है।

सिद्धांत

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विक्रम योग का लक्ष्य सामान्य तंदुरुस्ती कायम करना है और विक्रम चौधरी यह दावा करते हैं कि गर्म किया गया स्टूडियो तनाव और थकान को कम करते हुए, गहराई तक फैलाव और चोट से बचाव की सुविधा देता है। विक्रम का दावा है कि उनकी प्रणाली शरीर की प्रत्येक मांसपेशी, जोड़ और अंग को उत्प्रेरित करती है और तंदुरुस्ती जगाती है। श्री चौधरी के मुताबिक, कई लोग अपने फेफड़े की क्षमता का केवल 50 प्रतिशत तक ही इस्तेमाल कर पाते हैं और इस तरह ज्यादा ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखने के क्रम में फेफड़ों को अनिवार्य रूप से फैलाव दिया जाना चाहिए। 2007 के एक साक्षात्कार में श्री चौधरी ने कहा था कि जब कोई व्यक्ति प्राणायाम का अभ्यास कर रहा होता है उसे अंततः ऑक्सीजन के रूपांतरण और अवशोषण को बढ़ाने के साथ-साथ रक्त परिसंचरण में सुधार के लिए सक्षम होना चाहिए, जैसा कि हृदयवाहिनी (कार्डियोवस्कुलर) गतिविधियों के कई अन्य स्वरूपों में होता है।

श्री चौधरी का दावा है कि विक्रम योग के दौरान दो प्रक्रियाओं के कारण रक्त परिसंचरण बेहद प्रभावित होता है जिसे एक्सटेंशन और कम्प्रेशन कहा जाता है। कहा जाता है कि ये दोनों प्रक्रियाएं एक साथ मिलकर काम करती हैं जिससे मानव शरीर के अंदर प्रत्येक जोड़, मांसपेशी और अंग को ताजा ऑक्सीजन प्राप्त होता है। किसी विशिष्ट आसन (मुद्रा) का अभ्यास करते हुए अभ्यासकर्ता शरीर के किसी ख़ास हिस्से को फैलाता और सिकोड़ता है, इस प्रकार परिसंचरण अस्थायी रूप से रुक जाता है। परिसंचरण में इस रुकावट के कारण हृदय को उस कमी की प्रतिक्रिया स्वरूप अधिक रक्त पम्प करना पड़ता है। अतिरिक्त मात्रा में ताजा रक्त पंप किये जाने की प्रक्रिया को एक्सटेंशन कहा जाता है। एक बार जब आसन पूरा हो जाता है और व्यक्ति उस मुद्रा से बाहर आ जाता है, तो उन धमनियों में नया ऑक्सीजन युक्त रक्त फिर से संचारित होने लगता है जहाँ इसे संकुचित किया जा रहा था। ताजा रक्त की मात्रा में बदलाव और इसके तीव्र प्रवाह के कारण, ऐसा कहा जाता है कि संक्रमण, जीवाणु और हानिकारक पदार्थों को इस प्रक्रिया के जरिये बाहर निकाला जा सकता है। योग की अन्य शैलियाँ भी इस सिद्धांत को बढ़ावा देती हैं (सीएफ: आतंरिक अंगों पर गहरे उतार-चढ़ाव (डीप ट्विस्ट्स) के प्रभाव के संदर्भ में बी.के.एस. आयंगर की "स्क्वीज एंड सोक" संबंधी सादृश्यता).

विक्रम योग अपने लंबे समय से कायम चिकित्सकीय फायदों और परमानंद संबंधी प्रभाव के लिए व्यापक रूप से लोकप्रिय है। ताप नमी युक्त भारत में योग संबंधी परिस्थितियों को कायम रखता है जो शरीर को शुद्ध करता है और इसके हानिकारक पदार्थों को बाहर निकाल देता है, यही कारण है कि विक्रम योग की कक्षा में अक्सर एक नयी "ताजगी" का अनुभव होता है।

विक्रम योग इस सवाल पर काफी विवाद का विषय रहा है कि क्या 100 डिग्री फारेनहाइट से अधिक तापमान वाले कमरे में कठिन व्यायाम का अभ्यास करना सुरक्षित है या नहीं। विक्रम योग का अभ्यास करने वालों के लिए चक्कर आना और मतली का अनुभव करना आम बात है।

प्रतिस्पर्धा

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विक्रम योग का एक अन्य विवादास्पद पहलू क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर विक्रम प्रतिस्पर्धाओं के प्रसार से संबंधित है। जबकि योग के अन्य स्वरूपों के अभ्यासकर्ताओं का कहना है कि प्रतिस्पर्धा शांति और एकता के विचार का विरोध करना है, विक्रम का कहना है, "प्रतिस्पर्धा हर लोकतांत्रिक समाज का आधार है। 'प्रतिस्पर्धा' के बिना कोई लोकतंत्र कायम नहीं होता है।"[3]

संयुक्त राज्य अमेरिका में श्री चौधरी ने इस प्रणाली के अभ्यास, अध्यापन और कारोबार के ज्यादातर पहलुओं में व्यापक स्तर पर कॉपीराइटों का दावा किया है और इन्हें लागू करने के प्रति आक्रामक रहे हैं।[2] हालांकि इन दावों का निर्णायक रूप से कोई हल नहीं निकला है (यानी इन दावों पर किसी न्यायिक फैसले द्वारा), विक्रम चौधरी ने कई योग शिक्षकों और स्टूडियो से कानूनी निपटारों को हासिल कर लिया है।[2]

26 आसन (मुद्राएं)

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# संस्कृत अंग्रेज़ी
1 प्राणायाम सीरीज स्टैंडिंग डीप ब्रीडिंग
2 पाद-हस्तासन के साथ अर्द्ध चंद्रासन हाफ मून पोज विद हैंड्स टू फीट पोज
3 उत्कटासन ऑकवार्ड पोज
4 गरुड़ासन ईगल पोज
5 दण्डायमान - जनुशिरासन स्टैंडिंग हेड टू नी पोज
6 दण्डायमान - धनुरासन स्टैंडिंग बो पुलिंग पोज
7 तुलादण्डासन बैलेंसिंग स्टिक पोज
8 दण्डायमान - विभक्तपाद - पश्चिमोत्तानासन स्टैंडिंग सेपरेट लेग स्ट्रेचिंग पोज
9 त्रिकोणासन ट्राएंगल पोज
10 दण्डायमान - विभक्तपाद - जनुशिरासन स्टैंडिंग सेपरेट लेग हेड टू नी पोज
11 ताड़ासन माउन्टेन पोज
12 पदंगुस्तासन टो स्टैंड पोज
13 शवासन कॉर्प्स पोज
14 पवनमुक्तासन विंड रिमूविंग पोज
15 भुजंगासन कोबरा पोज
16 सलभासन लोकस्ट पोज
17 पूर्ण-सलभासन फुल लोकस्ट पोज
18 धनुरासन बो पोज
19 सुप्त-वज्रासन फिक्स्ड फर्म पोज
20 अर्द्ध-कूर्मासन हाफ टॉरटोइज पोज
21 उष्ट्रासन कैमेल पोज
22 ससंगासन रैबिट पोज
23 और 24 पश्चिमोत्तानासन के साथ जनुशिरासन हेड टू नी पोज विद स्ट्रेचिंग पोज
25 अर्द्ध-मत्स्येन्द्रासन स्पाइन ट्विस्टिंग पोज
26 कपालभाति ब्लोइंग इन फर्म
  1. "विक्रम चौधरी योगा इंक." के लिए व्यावसायिक पंजीकरण Archived 2013-10-21 at the वेबैक मशीननंबर: सी2288343 Archived 2013-10-21 at the वेबैक मशीन
  2. Farrell, Maureen (September 3, 2009). "Bikram Yoga's New Twists". Forbes.com. मूल से 14 जनवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जनवरी 2011.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जनवरी 2011.

बाहरी कड़ियाँ

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साँचा:Yoga