विजयदत्त श्रीधर
विजयदत्त श्रीधर (जन्म : 10 अक्टूबर 1948) एक हिन्दी पत्रकार, पत्रकारिता इतिहास के अध्येता एवं लेखक हैं। वे भोपाल स्थित 'माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान' के संस्थापक हैं। [1][2] उन्होने अपनी निष्कलुष पत्रकारिता, लेखकीय कृतित्व और सर्जना से भारतीय पत्रकारिता के युगपुरुषों की परम्परा को न केवल आगे बढ़ाया बल्कि शोधपरक सर्जनात्मक अवदान से समृद्ध किया है। वे भारतीय पत्रकारिता इतिहास के न केवल अध्येता हैं वरन् पत्रकारिता इतिहास लेखन में वैज्ञानिक दृष्टि के मर्मज्ञ एवं पत्रकारिता के बहुआयामी अनुशासन के सर्जक भी हैं।
विजयदत्त श्रीधर | |
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जन्म | बोहानी |
पेशा | पत्रकार, लेखक |
जीवनसाथी | निर्मला श्रीधर |
बच्चे |
गौरव श्रीधर वैभव श्रीधर विवेक श्रीधर गरिमा श्रोती |
माता-पिता | सुन्दरलाल श्रीधर |
पुरस्कार |
पद्मश्री भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार |
भारत सरकार द्वारा सन २०१२ में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।[3]
जीवनी
संपादित करेंविजयदत्त श्रीधर का जन्म 10 अक्टूबर 1948 को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बोहानी गाँव में हुआ। आपके पिताश्री पं. सुन्दरलाल श्रीधर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और गाँधीवादी कार्यकर्ता थे।
सन 1974 में श्रीधरजी ने भोपाल से प्रकाशित 'देशबंधु' समाचार-पत्र से विधिवत पत्रकार जीवन की शुरुआत की। इससे पहले 2 साल तक अंशकालिक पत्रकार के रूप में पत्रकारिता का ककहरा सीखा। 4 वर्ष बाद 1978 में प्रतिष्ठित समाचार पत्र नवभारत से जुड़े। यहां उन्होंने 23 वर्ष का लंबा कार्यकाल बिताकर सम्पादक के पद से अवकाश लिया। आंचलिक क्षेत्रों में नवभारत के मुकाबले उस समय कोई अखबार ठहरता नहीं था।
आंचलिक पत्रकारों के लिए उन्होंने 1976 में मध्यप्रदेश आंचलिक पत्रकार संघ की स्थापना की। बाद में पत्रकारिता और जनसंचार पर केंद्रित मासिक पत्रिका 'आंचलिक पत्रकार' का संपादन और प्रकाशन भी किया। उनके कार्यकाल में नवभारत शीर्ष पर पहुंच गया था। सूझबूझ और मुद्दों पर पैनी नजर रखने वाले श्रीधरजी ने नवभारत को सबसे अधिक मजबूत आंचलिक क्षेत्रों में ही किया। प्रमुख शहरों से दूर कार्यरत आंचलिक पत्रकारों की उन्हें बेहद चिंता रहती है।
धुन के पक्के विजयदत्त श्रीधर ने गौरवमयी भारतीय पत्रकारिता के इतिहास को संजोने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। दो खंडों में प्रकाशित उनकी पुस्तक 'भारतीय पत्रकारिता कोश' हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में सप्रे संग्रहालय के बाद उनका दूसरा सबसे बड़ा योगदान है।
माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, भोपाल की स्थापना, पत्रकारिता विषयक शोध एवं इतिहास प्रलेखन के प्रामाणिक प्रयत्नों तथा सामाजिक सरोकारों की पत्रकारिता के लिये विजयदत्त श्रीधर को वर्ष 2012 में भारत सरकार ने पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया। ‘भारतीय पत्रकारिता कोश’ आपकी महत्त्वपूर्ण कृति है। आपकी पुस्तक ‘पहला सम्पादकीय’ को भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार (वर्ष 2011) से सम्मानित किया है। शिक्षा एवं शोध में असाधारण अवदान के लिये स्वराज संचालनालय, संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश शासन के महर्षि वेद व्यास राष्ट्रीय सम्मान (वर्ष 2012-2013) से सम्मानित किया गया। छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘माधवराव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान’ (2015) से सम्मानित किया है। विजयदत्त श्रीधर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में शोध निदेशक (2005-2010) रहे हैं। सितम्बर 1981 से पत्रकारिता, जनसंचार और विज्ञान संचार की शोध पत्रिका ‘आंचलिक पत्रकार’ का सम्पादन कर रहे हैं।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Interview on MXM India". MXM India. 2014. अभिगमन तिथि December 15, 2014.
- ↑ "I Sahitya". I Sahitya. 2014. अभिगमन तिथि December 15, 2014.
- ↑ "Padma Shri" (PDF). Padma Shri. 2014. मूल (PDF) से November 15, 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि November 11, 2014.