इसके लेखक नल्लसिंह भाट है। यह ग्यारहवीं शताब्दी की रचना है। दुर्भाग्य से इस के ग्रंथ अनुपलब्ध हैं। इस ग्रंथ में विजय गढ़ के राजा विजयपाल के शौर्य और वीरता का वर्णन है।