विज्ञान प्रगति
हिन्दी की एक विज्ञान पत्रिका है।[1] विज्ञान प्रगति ने हिन्दी विज्ञान पत्रकारिता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है।
परिचय
संपादित करें'विज्ञान प्रगति' हिन्दी में वैज्ञानिक एवं तकनीकी विषयों पर अद्यतन सामग्री देने वाली मासिक पत्रिका है। इसका प्रकाशन सन् १९५२ से आरम्भ हुआ। इसके प्रकाशन का मूल उद्देश्य सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में होने वाले वैज्ञानिक अनुसंधानों के बारे में सूचना देना था।
स्वतत्रता प्राप्ति के बाद भारत में जब हिन्दी को समुचित स्थान दिलाने के प्रयास कए जा रहे थे तब वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सी. एस. आई. आर.) ने जन-मानस में हिन्दी भाषा में विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण एवं दूरदर्शी निर्णय लिया जिसके फलस्वरूप वर्ष 1952 में विज्ञान प्रगति नामक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका के प्रकाशन का कार्य प्रारंभ हुआ। आरंभ में यह पत्रिका एक न्यूजलेटर के रूप में, सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं में किए जा रहे वैज्ञानिक अनुसंधानों के बारे में सूचनाएं प्रकाशित करती थी। बाद में इसका प्रकाशन जन-मानस में वैज्ञानिक दृष्टिकोण जगाने तथा अंधविश्वास से छुटकारा दिलाने के लिए एक लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका के रूप में किया जाने लगा। तब से लेकर आज तक अपने नाम के अनुरूप विज्ञान प्रगति भारत के लोगों को विज्ञान की प्रगति के बारे में जानकारी देती आ रही है। अगस्त 2010 में पत्रिका ने अपना 675वां अंक प्रकाशित किया। जनवरी 2011 यह लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका अपने प्रकाशन के 60वें वर्ष में प्रवेश कर गयी।
अपना उद्देश्य 'जन-मानस के लिए विज्ञान' के अनुसार विज्ञान प्रगति भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के योगदान को मानव कल्याण तथा उसके समाज पर प्रभाव के विभिन्न क्षेत्रों पर जानकारी प्रदान करती है। इस पत्रिका में अपना अमूल्य सहयोग देने वालों में श्री शिवराज पाटिल, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष; डॉ एस. जेड. कासिम, पूर्व सदस्य (विज्ञान) योजना आयोग; डॉ॰ आर एक माशेलकर, पूर्व महानिदेशक सीएसआईआर; प्रो. ए. रहमान, पूर्व निदेशक निस्टैडस; प्रो. यशपाल; तथा डॉ॰ एन. विट्ठल सम्मिलित हैं।
विज्ञान प्रगति विभिन्न सामयिक विषयों पर विशेषांकों का प्रकाशन भी करती है। विज्ञान प्रगति की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी प्रसार संख्या लोकप्रिय विज्ञान पत्रिकाओं में से सर्वाधिक है। देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में इस पत्रिका के 10-11 लाख से ज्यादा पाठक होंगे। विदेशों में भी विज्ञान प्रगित के पाठक उपलब्ध हैं।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "मेरी दुनिया मेरे सपने, शीर्षक: ऑनलाइन/ऑफलाइन हिन्दी मैग्ज़ीन का वृहद संग्रह।". मूल से 1 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जुलाई 2013.
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- औपचारिक जालस्थल
- आनलाइन विज्ञान प्रगति
- विज्ञान प्रगति के अंकों के मुखपृष्ठ
- विज्ञान प्रगति की हीरक जयन्ती
- pride in Hindi through science - Ram Naik विज्ञान को हिन्दी के माध्यम से पहुंचाना गौरव की बात - राज्यपाल श्री राम नाईक