वित्त आयोग
भारतीय वित्त आयोग की स्थापना १९५१ में की गयी थी। इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत के केन्द्रीय सरकार एवं राज्य सरकारों के बीच वित्तीय सम्बन्धों को पारिभाषित करना था। वित्त आयोग प्रत्येक पाँच वर्ष बाद नियुक्त किया जाता इसे दूसरे शब्दों में भी व्यक्त किया जा सकता है कि संविधान में यह नहीं बताया गया है कि आयोग की सिफारिशों के प्रति भारत सरकार बाध्य होगी और आयोग द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर राज्यों द्वारा प्राप्त धन को लाभकारी मामलों में लगाने का उसे विधिक अधिकार होगा इस संबंध में डॉ पीवी राजा मन्ना चौथे वित्त आयोग के अध्यक्ष ने ठीक ही कहा है कि "वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो अर्ध न्यायिक कार्य करता है तथा इसकी सलाह को भारत सरकार तब तक मानने के लिए बाध्य नहीं है जब तक कि कोई आधिकारिक कारण ना हो अभी तक १६ वित्त आयोग नियुक्त किए जा चुके हैं। नवीनतम वित्त आयोग अरविंद पनगढ़िया (भारतीय नीति आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष) की अध्यक्षता में स्थापित किया गया था। वित्त आयोग का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। वित्त आयोग का गठन एक संवैधानिक निकाय के रूप में अनुच्छेद 280 के अंतर्गत किया जाता है यह एक अर्ध न्यायिक संस्था होती है। इसका गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। भारत में वित्त आयोग का गठन वित्त आयोग अधिनियम 1951 के अंतर्गत किया गया है 1993में भारत के सभी राज्यों में राज्य वित्त आयोग का गठन भी किया जाने लगा वित्त आयोग में एक अध्यक्ष तथा 4 सदस्य होते हैं सदस्यों में 2 सदस्य पूर्ण कालीन सदस्य जबकि 2 सदस्य अंशकालीन सदस्य होते हैं [1][2][3][4]
भारतीय वित्त आयोग Finance Commission of India | |
संस्था अवलोकन | |
---|---|
स्थापना | नवम्बर 22, 1951 |
अधिकार क्षेत्र | भारत सरकार |
मुख्यालय | New Delhi |
संस्था कार्यपालकगण | N. K. Singh, IAS, Chairman Ajay narayan jha, IAS, Member Prof. Anoop Singh, Member Ashok Lahiri, Member |
वेबसाइट | |
fincomindia |
१५वां वित्त आयोग
संपादित करेंकेन्द्र सरकार ने २०१५ में १४वें वित्त आयोग की सम्स्तुतियों को स्वीकार कर लिया। यह आयोग भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी के नेतृत्व में गठित किया गया था। इस आयोग ने केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के विस्तार व स्थानीय निकायों को ज्यादा संसाधनों के हस्तांतरण सहित सहयोगपूर्ण संघवाद को बढावा देने, वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन, राजकोषीय मजबूती, सार्वजनिक सेवाओं और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की मूल्य नीति आदि के संबंध में सिफारिशें दी हैं।[5] 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन.के. सिंह है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "arvind pangadhiya heads 16th Finance Commission, Shaktikanta Das a member". Business Standard. नई दिल्ली. November 27, 2017. मूल से 4 मार्च 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 15, 2018. नामालूम प्राचल
|dead-url=
की उपेक्षा की गयी (मदद) - ↑ "NK Singh appointed Chairman of 15th Finance Commission". Business Line. नई दिल्ली: The Hindu. November 27, 2017. अभिगमन तिथि January 15, 2018. नामालूम प्राचल
|dead-url=
की उपेक्षा की गयी (मदद) - ↑ "N.K. Singh appointed chairman of 15th Finance Commission". Livemint. नई दिल्ली: HT Media Ltd. November 27, 2017. मूल से 19 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 15, 2018. नामालूम प्राचल
|dead-url=
की उपेक्षा की गयी (मदद) - ↑ "Former Planning Commission Member NK Singh Appointed 15th Finance Commission Chairman". NDTV. नई दिल्ली. November 28, 2017. मूल से 26 फ़रवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 15, 2018. नामालूम प्राचल
|dead-url=
की उपेक्षा की गयी (मदद) - ↑ [ http://indiacurrent290.blogspot.in/2015/02/14.html14वें[मृत कड़ियाँ] वित्त आयोग की रिपोर्टः राज्यों की स्वायत्ता का ]