विद्या दास भारत की एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं। विद्या अपने पति अच्युत दास के साथ मिलकर ओडिशा के आदिवासियों के लिए १९८७ से काम कर रही हैं। वे 'अग्रगामी' नामक एक अशासकीय संस्था चलाती हैं जिसकी विशेष बात ये है कि वो किसी एक क्षेत्र में आदिवासियों की सहायता नहीं करता बल्कि उनका एनजीओ आदिवासियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में उनका विकास करने में जुटा हुआ है।

वर्ष 2000 में उन्हें वाईडब्लूसीए 'रोल ऑफ ऑनर' के पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 2003 में जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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