विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण

विद्युत एवं चुंबकीय ऊर्जा के बीच संबंध

किसी चालक को किसी परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर उस चालक के सिरों के बीच विद्युतवाहक बल उत्पन्न होने को विद्युत्-चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic induction) कहते हैं। उत्पन्न विद्युत्वाहक बल का मान गणितीय रूप से फैराडे का प्रेरण का नियम द्वारा दिया जाता है। प्रायः माना जाता है कि फैराडे ने ही १८३१ में विद्युतचुम्बकीय प्रेरण की खोज की थी। फैराडे ने अपने दो नियम दिए थे

फैराडे के तार के कॉइल के बीच इंडक्शन दिखाने वाला प्रयोग: तरल बैटरी (दाएं) एक वर्तमान प्रदान करता है जो छोटे कॉइल (ए) के माध्यम से बहती है, एक चुंबकीय क्षेत्र बनाता है। जब कुंडल स्थिर होते हैं, तो कोई भी धारा प्रेरित नहीं होती है। लेकिन जब छोटे कॉइल को बड़े कॉइल (बी) से अंदर या बाहर ले जाया जाता है, तो बड़े कॉइल के माध्यम से चुंबकीय प्रवाह, एक करंट को प्रेरित करता है जिसे गैल्वेनोमीटर (जी) द्वारा पता लगाया जाता है।
प्रथम नियम- जब किसी विद्युत परिपथ बंद चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो परिपथ में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जिसका परिमाण चुंबकीय फ्लक्स के परिवर्तन को ऋणात्तमक दर के बराबर होता है इसे न्यूमैन का नियम भी कहते है। ,

जहाँ:

उत्पन्न E.M.F. (वोल्ट में)
ΦB चालक द्वारा घेरे गये क्षेत्र का सम्पूर्ण चुम्बकीय फ्लक्स