रमाशंकर यादव 'विद्रोही'

क्रांतिकारी कवि
(विद्रोही से अनुप्रेषित)

रमाशंकर यादव (3 दिसम्बर 1957 – 8 दिसम्बर 2015), जिन्हें विद्रोही के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय कवि और सामाजिक कार्यकर्त्ता थे। वो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक छात्र के रूप में गये थे लेकिन अपने छात्र जीवन के बाद भी वो परिसर के निकट ही रहे।[1]

रमाशंकर यादव 'विद्रोही

जीवन परिचय

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उनका जन्म ३ दिसंबर, १९५७ को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के अंतर्गत आहिरी फिरोजपुर गांव में हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा गाँव में ही हुई। सुल्तानपुर में उन्होंने स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने कमला नेहरू इंस्टीट्यूट में वकालत में दाखिला लिया। वे इसे पूरा नहीं कर सके। उन्होंने १९८० में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर में प्रवेश लिया। १९८३ में छात्र-आंदोलन के बाद उन्हें जेएनयू से निकाल दिया गया। इसके बावजूद वे आजीवन जेएनयू में ही रहे। [2][3]

अंतिम समय में उन्होंने ऑक्युपाई यूजीसी] में जेएनयू के छात्रों के साथ हिस्सेदारी की। इसी दौरान ८ दिसंबर २०१५ को उनका निधन हो गया। [4]

विद्रोही मुख्यतः प्रगतिशील चेतना के कवि हैं। उनकी कविताएं लंबे समय तक अप्रकाशित और उनकी स्मृति में सुरक्षित रही। वे अपनी कविता सुनाने के अंदाज के कारण बहुत लोकप्रीय रहे। [5] २०११ ई॰ में इनकी रचनाओं का प्रकाशन 'नई खेती' शीर्षक संग्रह से हुआ।[6]कुछ प्रमुख पंक्तियाँ :

  1. सरोज कुमार (9 दिसम्बर 2015). "नहीं रहे जेएनयू के आदिविद्रोही कवि रमाशंकर यादव विद्रोही". आजतक. मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 जून 2016.
  2. "आशियाने की तलाश में एक कवि : बीबीसी". मूल से 1 सितंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अगस्त 2012.
  3. Poet Vidrohi, who lived on JNU campus for over 30 years, has died Archived 2015-12-22 at the वेबैक मशीन Dec 09, 2015
  4. "नहीं रहे जेएनयू के आदिविद्रोही कवि रमाशंकर यादव विद्रोही". आज तक. मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 दिसंबर 2015.
  5. Main Tumhara Kavi Hoon Trailer[मृत कड़ियाँ]
  6. "नई खेती / रमाशंकर यादव 'विद्रोही'". कविता कोश. मूल से 12 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 दिसंबर 2015.