विधिक रीतिवाद
न्यायिक औपचारिकता दोनों न्यायोचित होने के एक सकारात्मक या वर्णनात्मक सिद्धांत और एक आदर्श सिद्
विधिक रीतिवाद (Legal formalism) न्यायनिर्णयन का वर्णनात्मक सिद्धान्त भी है और न्यायधीशों द्वारा मामलों का निर्णय कैसे किया जाय, इसका मानकीय सिद्धान्त भी।
जहाँ तक इसके वर्णनात्मक होने का प्रश्न है, रीतिवादियों का विचार है कि न्यायधीशों को निर्णय तक पहुँचने के लिये तथ्यों से सम्बन्धित अविवादित सिद्धान्तों का प्रयोग करना चाहिये।
मामलों की संख्या बहुत अधिक होने का अर्थ है कि 'सिद्धान्तों' की संख्या भी बहुत अधिक होगी, किन्तु रीतिवादियों का मत है कि इन सिद्धान्तों का भी तार्किक आधार है जिसे विधिविशेषज्ञ आसनी से खोज सकते हैं।