विनय पिटक एक बौद्ध ग्रंथ है। यह उन तीन ग्रंथों में से एक है जो त्रिपिटक बनाते है। इस ग्रंथ का प्रमुख विषय विहार के भिक्षु, भिक्षुणी आदि है। विनय पिटक का शाब्दिक अर्थ "अनुशासन की टोकरी" है। बौद्ध धर्म में भिक्षु और भिक्षुणी के रूप मे प्रवेश करने वाले शिष्य (अनुयायी) के आचरण व्यवस्थित करने के निमित्त निर्मित अनुशासन के नियमों को विनय कहते है। अतः विनय पिटक विनय से संबन्धित नियमों का व्यवस्थित संग्रह है[1]।
विनय पित्तक का ६ संस्करण पूर्ण रूप से संरक्षित है। इन में से ३ अभी भी धार्मिक कार्य के लिए प्रयोजित है।
- थेरवाद संप्रदाय का पालि संस्करण
- 'डुल-बा, जो मूलसर्वास्तिवाद का तिब्बती अनुवाद है। तह तिब्बती अनुयायीयौं द्वारा प्रयोजित संस्करण है
- विनयवस्तु
- भिक्षुऔं का प्रतिमोक्षसुत्र
- भिक्षुऔं का विनयविभंग
- भिक्षुणीऔं का प्रतिमोक्षसुत्र
- भिक्षुणीऔं का विनयविभंग
- विनयक्षुद्रवस्तु
- विनयोत्तरग्रंथ
- सु-फेन लु (Ssŭ-fen lü) (ताइशो कॅटालॉग क्रम 1428), धर्मगुप्तक संस्करण का चिनिया अनुवाद; यह संस्करण चिनिया सम्प्रदाय और उससे निकला संप्रदाय जैसे कि कोरियाली, भियतनामी और जापान के रित्सु संप्रदाय प्रयोग करते है
- भिक्षुविभंग
- भिक्षुणीविभंग
- स्कंधक
- संयुक्तवर्ग
- विनयैकोत्तर
- शिह्-सुंग लु (T1435), सर्वास्तिवाद संस्करण का अनुवाद
- भिक्षुविभंग
- स्कंधक
- भिक्षुणीविभंग
- एकोत्तरधर्म
- उपालिपरिप्रिच्चा
- उभयतोविनय
- संयुक्त
- पराजिकाधर्म
- संघवसेश
- कुशलध्याय
- वु-फेन लु (T1421), महिशासक संस्करण का अनुवाद
- भिक्षुविभंग
- भिक्षुणीविभंग
- स्कंधक
- मो-हो-सेंग-चि लु (T1425), महासांघिक संस्करण का अनुवाद
- भिक्षुविभंग
- भिक्षुणीविभंग
- स्कंधक
इस के साथ साथ ही विभिन्न संस्करणौं का विभिन्न भाग विभिन्न भाषाऔं में पाया जाता है।