विनायक सेन
विनायक सेन भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता हैं जिनको वहाँ के एक न्यायालय ने देशद्रोह का अपराधी पाया है और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
जीवन परिचय
संपादित करेंखादी का बिना प्रेस किया हुआ कुर्ता-पाजामा और पैरों में साधारण स्पोर्ट्स शू पहने 58 वर्षीय डॉक्टर बिनायक सेन को देखकर अक्सर उनके समूचे व्यक्तित्व का पता नहीं चल पाता.
जेल में दो बरस रहने से पहले तक समय पहले तक उनकी लंबी दाढ़ी हुआ करती थी और लोग उन्हें साधारण सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानते थे। लेकिन अब पुलिस उन्हें नक्सलियों का सहयोगी बताती है और छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने भी उन्हें देशद्रोह का दोषी ठहराया है। उन्हें अदालत ने नक्सलियों के साथ साँठगाँठ और उनका सहयोग करने का दोषी पाया है। बिनायक सेन हमेशा इन आरोपों का खंडन करते रहे हैं। वे कहते रहे हैं कि वे नक्सलियों का समर्थन नहीं करते लेकिन राज्य की ग़लत नीतियों का जमकर विरोध करते हैं।
कार्यक्षेत्र
संपादित करेंपेशे से चिकित्सक डॉ बिनायक सेन छात्र जीवन से ही राजनीति में रुचि लेते रहे हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ में समाजसेवा की शुरुआत सुपरिचित श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी के साथ की और श्रमिकों के लिए बनाए गए शहीद अस्पताल में अपनी सेवाएँ देने लगे। इसके बाद वे छत्तीसगढ़ के विभिन्न ज़िलों में लोगों के लिए सस्ती चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के उपाय तलाश करने के लिए काम करते रहे। डॉ बिनायक सेन सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता तैयार करने के लिए बनी छत्तीसगढ़ सरकार की एक सलाहकार समिति के सदस्य रहे और उनसे जुड़े लोगों का कहना है कि डॉ सेन के सुझावों के आधार पर सरकार ने ‘मितानिन’ नाम से एक कार्यक्रम शुरु किया। इस कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता तैयार की जा रहीं हैं।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके योगदान को उनके कॉलेज क्रिस्चन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर ने भी सराहा और पॉल हैरिसन अवॉर्ड दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य और मानवाधिकार के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जोनाथन मैन सम्मान दिया गया। डॉ बिनायक सेन मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की छत्तीसगढ़ शाखा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। इस संस्था के साथ काम करते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ में भूख से मौत और कुपोषण जैसे मुद्दों को उठाया और कई ग़ैर सरकारी जाँच दलों के सदस्य रहे। उन्होंने अक्सर सरकार के लिए असुविधाजनक सवाल खड़े किए और नक्सली आंदोलन के ख़िलाफ़ चल रहे सलमा जुड़ुम की विसंगतियों पर भी गंभीर सवाल उठाए. सलवा जुड़ुम के चलते आदिवासियों को हो रही कथित परेशानियों को स्थानीय और राष्ट्रीय मीडिया तक पहुँचाने में भी उनकी अहम भूमिका रही।
सरकार के साथ टकराव
संपादित करेंछत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाक़े बस्तर में नक्सलवाद के ख़िलाफ़ चल रहे सलवा जुड़ुम को सरकार स्वस्फ़ूर्त जनांदोलन कहती रही है जबकि इसके विरोधी इसे सरकारी सहायता से चल रहा कार्यक्रम कहते हैं। सलवा जुड़ुम के ख़िलाफ़ मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आवाज़ें उठाईं और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर सवाल खड़े किए। आख़िर 2010 में राज्य सरकार ने इसे बंद कर दिया है। छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 2005 में जब छत्तीसगढ़ विशेष जनसुरक्षा अधिनियम लागू करने का फ़ैसला किया तो उसका मुखर विरोध करने वालों में डॉ बिनायक सेन भी थे।
उन्होंने आशंका जताई थी कि इस क़ानून की आड़ में सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। उनकी आशंका सही साबित हुई और इसी क़ानून के तहत उन्हें 14 मई 2007 को गिरफ़्तार कर लिया गया। छत्तीसगढ़ पुलिस के मुताबिक़ बिनायक सेन पर नक्सलियों के साथ साठ-गांठ करने और उनके सहायक के रूप में काम करने का आरोप है। उन पर आरोप है कि उन्होंने नक्सलियों के केंद्रीय संगठन के नेता नारायण सान्याल से एक महीने में 35 बार जेल में मुलाकात की और नक्सलियों के संदेशों के आदान-प्रदान का काम उन्होंने किया। हालांकि वे ख़ुद इसे निराधार बताते हैं और पीयूसीएल इसे सरकार की दुर्भावना के रूप में देखती है। डॉ बिनायक सेन को मई, 2009 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ज़मानत मिली। दो वर्ष जब वे जेल में रहे तो उनकी रिहाई के लिए देश के बुद्धिजीवी और सामाजिक कार्यकर्ता अपील करते रहे।
दुनिया भर के 22 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने भी डॉ बिनायक सेन की रिहाई की अपील की थी। नोबेल पुरस्कार विजेता चाहते थे कि उन्हें जोनाथन मैन सम्मान लेने के लिए अमरीका जाने की अनुमति दी जाए लेकिन ऐसा नहीं हो सका। डॉ बिनायक सेन की पत्नी डॉ इलीना सेन भी जानीमानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं और वे डॉ सेन को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करती रही हैं।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- विनायक सेनः अनसुलझे सवाल
- डॉ विनायक सेन राष्ट्रद्रोह के दोषी करार, नक्सलियों से थे संबंध
- बिनायक सेन को उम्रकैद[मृत कड़ियाँ]
- विनायक को जन नायक न बनाएं
- विनायक सेन के समर्थकों की आलोचना
- राष्ट्रद्रोह, राजद्रोह और जनविद्रोह
- विकल्पहीन नहीं हैं विनायक
- विनायक सेन के बारे
- इंकलाब के ढहते अर्थ
- विनायक: नायक या खलनायक