विरल्मिन्द
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विरल्मिन्द एक नायनमार सन्थ था तमिल नादु से।
बच्च्पन
संपादित करेंवोह सेनगुनुरु गओ मे जनम लिया और वेल्लला जाति से था।
यात्र
संपादित करेंसेनगुरु तो किया औत तिरुवरूर को आया और मन्दिर तो जया। एक दिन विरल को शन्कर भग्वान को पुजा दिया था। ये शरारत देखा और उस्को गुस्सा आया।
विरल को सुन्दरार को बोला
“ | आपनें भगवान शिव के भक्तों का अपमान किया है / आपके इस कृत्य से यह आभासित है कि आप शिव भक्तों के समूहों के बीच में रहनें के योग्य नहीं हैं/ इस कारण आपको समूह के बीच में रहनें से वंचित किया जाता है/ और शिव नें आपके हाथें दृवारा समर्पित असम्पूर्ण पूजा को बिना कोई विचार किये स्वीकार कर लिया/ किसी विजातीय दृवारा किये ऐसे कृत्य को आध्यात्मिक स्वरूप में सम्मान के साथ उचित स्थान देना चाहिये | ” |
सुन्दरार के विरल का श्रद्दा देखा | प्रनाम किया विरल को और विरल क भाव और भक्ति को सराहना किया। एक पैदगम गाया था विरल का प्रशंस मे। इस्के बाद शन्कर भग्वान विरल क गौरव को बताया और स्वर्ग-लोक को जाया। स्वर्ग-लोक मे विरल तो गन क राजा बनाया।
बहार
संपादित करें- ६३ नयनार - स्वमि शिवानन्द
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