अलंकार चन्द्रोदय के अनुसार विरोधाभास अलंकार, हिन्दी कविता में प्रयुक्त एक अलंकार का भेद है।

विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।

उदाहरण के तौर पर :1. "मोहब्बत एक मीठा ज़हर है"

इस वाक्य में ज़हर को मीठा बताया गया है जबकि ये ज्ञातव्य है कि ज़हर मीठा नहीं होता। अतः, यहाँ पर विरोधाभास अलंकार की आवृति है।

2. या अनुरागी चित्त की समुझै नहिं कोय।

 ज्यों-ज्यों बूडै़ स्याम रंग त्यों-त्यों उज्जवल होय।।

इसे विरोधीलंकार भी कहा जाता है, जिसका शब्दकोशीय अर्थ 'एक वक्तव्य, जिसमें विरोधाभाषी या विरोधी विचारों को मिलाया गया हो, जैसा कि गर्जनापूर्ण शांति या मीठा दुख' होता है।[1]

  1. एस॰ गुरूमूर्ति (19 जुलाई 2013). "यह राष्ट्रवाद कैसे भुला दें?". राजस्थान पत्रिका. अभिगमन तिथि 28 जुलाई 2013.[मृत कड़ियाँ]