सर विलियम बार्ट टेंपिल, (Sir William Temple, 1st Baronet ; १६२८ - १६९९) अंग्रेज राजनीतिज्ञ और निबन्धकार थे।

विलियम टेम्पिल

परिचयसंपादित करें

इनका जन्म लंदन में उत्पन्न हुआ। उसने स्टार्टफर्ड और कैंब्रिज में शिक्षा पाई। १६४७ में उसने विदेशों की यात्रा आरंभ की। १६६३ में इंग्लैंड वापस लौटा, और राज्यमंत्री आर्लिग्टन का सहयोगी बन गया। दो वर्ष पश्चात् उसे कई समस्याओं के संबंध में बातचीत चलाने के लिए यूरोप भेजा गया। १६६६ में वह ब्रसेल्स में इंग्लैंड का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया। जब हालैंड से युद्ध चल रहा था, टेंपिल का काम तटस्थ स्पेन से अच्छे संबंध बनाए रखना था, जिसके लिए चौदहवें लुई द्वारा स्पैनिश नीदरलेंड्स की स्थिति के लिए भी यह खतरनाक था। यदि लुई ने फ्लांडर्स को जीत लिया होता तो नीदरलैंड्स की स्वतंत्रता अवश्य खतरे में पड़ जाती।

टेंपिल ने अपनी सरकार से इस बात का आग्रह किया कि फ्रांस के बढ़ाव को रोका जाय, और इसके लिये उसने उपाय भी बतलाया। अंततोगत्वा दिसंबर, १६६७ में उसे निर्देश मिला कि वह फ्रांसीसी आक्रमणों को रोकें। जनवरी १९६८ में इंग्लैंड और संयुक्त़ नीदरलैंस के बीच एक संधि हुई, जिसमें कुछ समय बाद स्वीडन भी सम्मिलित हो गया। यह विदेशीय सुरक्षात्मक समझौता फ्रांस के अतिक्रमण के विरुद्ध हुआ था। जिस कौशल से संधि और उसके परिणाम निभाए जा सके, उसका बड़ा क्षेत्र टेंपिल को है। फ्रांस सम्राट बीच में ही रोक दिया गया और बिना प्रत्याक्रमण के ही उसे सारे विजित प्रदेश वापस करने पड़े। दुर्भाग्य से चार्ल्स द्वितीय के कारण त्रिदेशीय संधि की नीति ही पलट गई। इसी समय टेंपिल ने हालैंड से व्यापारिक संधि करके अच्छे संबंध स्थापित कर दिए। वह हेय में दो बार राजदूत नियुक्त हुआ। १६७८ में हुई हठवादिता के कारण वह फ्रांस को समझौते के लिए बाध्य करने को नियुक्त हुआ और वह अपने उद्देश्य में सफल हुआ।

मूरपार्क में टेंपिल की मृत्यु हुई। उसने कुछ पुस्तकें भी लिखी हैं।

सन्दर्भसंपादित करें