विशुद्धसागर
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विशुद्धसागर एक दिगम्बर साधु है।उन्हें उनकी विद्वत्ता और तप के लिए जाना जाता है।
आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज | |
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नाम (आधिकारिक) | आचार्य श्री विशुद्धसागर जी महाराज |
व्यक्तिगत जानकारी | |
जन्म नाम | राजेन्द्र कुमार जी |
जन्म |
१८ दिसम्बर १९७१ भिडं (म.प्र.) |
माता-पिता | राम नारायण जी और श्रीमती रत्तीबाई |
शुरूआत | |
सर्जक | आचार्य विराग सागर जी |
जीवनी
संपादित करेंहाल ही में आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज के देह परिवर्तन के पश्चात आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी को ही मुनि संघ की बागडोर दी गई है।आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी का जन्म १८ दिसम्बर १९७१ को भिडं (म.प्र.) मे हुआ था | उनके पिता का नाम राम नारायण जी ( मुनि श्री विश्वजीत सागर जी ) व माता का नाम श्रीमती रत्तीबाई है | आचार्य श्री १०८ विराग सागर जी महाराज द्वारा क्षुल्लक दीक्षा (११ अक्टुबर १९८९ भिडं) , ऐलक दीक्षा (१९ जून १९९१ पन्ना) , मुनि दीक्षा (२१ नवंबर १९९१ श्रेयासं गिरि) एवमं आचार्य पद (३१ मार्च २००७ महावीर जयन्ती औरंगाबाद महाराष्ट्र) प्राप्त किया | विशुद्ध सागर जी महाराज दिगंबर समाज 5मे एकता के लिए जानते है मूल से तो 20 पंथी परंपरा के है पर ज्यादातर बुंदेलखंड में 13 पंथ परंपरा का पालन करते है, और अपने मीठे 4प्रवचनों के लिए जाने जाते है
शिष्य गण
संपादित करेंमुनिश्री मनोज्ञ सागर जी महाराज, मुनिश्री प्रशम सागर जी महाराज, मुनिश्री प्रत्यक्ष सागर जी महाराज(समाधिस्थ) मुनिश्री सुप्रभ सागर जी महाराज, मुनिश्री सुव्रत सागर जी महाराज, मुनिश्री सुयश सागर जी महाराज, मुनिश्री अनुपम सागर जी महाराज, मुनिश्री प्रणत सागर जी महाराज आदि |
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