17 जनवरी 2023
16 जनवरी 2023
14 जनवरी 2023
21 सितंबर 2022
रोहित साव27 (वार्ता) के अवतरण 5256155 पर पुनर्स्थापित : Reverted to the best version
−1,055
सम्पादन सारांश नहीं है
छो+171
14 जून 2022
सृंगी रिषिहि बसिष्ठ बोलावा। पुत्रकाम सुभ जग्य करावा॥ भगति सहित मुनि आहुति दीन्हें। प्रगटे अगिनि चरू कर लीन्हें॥ भावार्थ- वशिष्ठ ने श्रृंगी ऋषि को बुलवाया और उनसे शुभ पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया। मुनि के भक्ति सहित आहुतियाँ देने पर अग्निदेव हाथ में चरु (हविष्यान्न खीर) लिए प्रकट हुए।
+785
भारत में निवेश सिखवाल समाज श्रृंग ऋषि के वंशज हैं
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18 जुलाई 2021
Singh Gurmej (Talk) के संपादनों को हटाकर संजीव कुमार के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
छो−1,320
ऋषि श्रृंगी का एक तपस्या स्थान
छो+1,320
17 अगस्त 2020
2409:4063:4E2A:F463:D8D7:2A53:56A:51E (Talk) के संपादनों को हटाकर अनुनाद सिंह के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
छो−285
→ऋष्यशृंग
+285
6 अगस्त 2020
सम्पादन सारांश नहीं है
+1
+छवि #WPWP #WPWPHI
+162
2409:4043:81D:A1CC:BEAC:2658:BE3B:A739 (वार्ता) के 1 संपादन वापस करके InternetArchiveBotके अंतिम अवतरण को स्थापित किया (ट्विंकल)
छो−58
→सन्दर्भ
+58
16 जून 2020
27 मई 2020
4 मार्च 2020
9 अप्रैल 2019
7 सितंबर 2018
2402:8100:301A:6833:1:2:668D:6925 (Talk) के संपादनों को हटाकर 2405:205:3185:2F85:798F:7D31:4EEE:BA47 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
छो+2
सम्पादन सारांश नहीं है
−2