हिन्दू वर्ण व्यवस्था: अवतरण इतिहास

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2 अप्रैल 2024

20 मार्च 2024

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19 फ़रवरी 2024

23 जनवरी 2024

3 जनवरी 2024

2 जनवरी 2024

16 दिसम्बर 2023

14 दिसम्बर 2023

12 दिसम्बर 2023

27 नवम्बर 2023

26 अक्टूबर 2023

24 अक्टूबर 2023

  • सद्यपिछला 17:1817:18, 24 अक्टूबर 2023एसकेएस2345 वार्ता योगदान 43,248 बाइट्स −5 भाई अगर तुम्हारे दिल में देश प्रेम है तो शिल्पी और वैध ब्राह्मण वर्ण से हटाना है तो ये सनातन ग्रंथ को ही मिटा दो जो इनको ब्राह्मण वर्ण बता रहे है अगर इन ग्रंथों मिटा दो कोई वर्ण ही नही रह जायेगा सभी एक समान हो जायेगे नही तो अभी तो सभी लोग विज्ञानिक इंजिनियर बन रहे है डाक्टर बन रहे है अगर इनको पता हो जायेगा वो शिल्पी और वैध है भूचाल आ जायेगी सब लोगो का पत्ता करेगे क्यों की कब तक सचाईं को कब तक रोका जाएगा क्यों की शिल्पी ब्रह्म के स्वरूप वैध भगवान स्वरूप पूर्ववत करें टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
  • सद्यपिछला 16:2816:28, 24 अक्टूबर 2023Aviram7 वार्ता योगदानछो 43,253 बाइट्स +9 Reverted 1 edit by एसकेएस2345 (talk) to last revision by राजकुमार(GlobalMobileTwinkle) पूर्ववत करें टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
  • सद्यपिछला 16:0416:04, 24 अक्टूबर 2023एसकेएस2345 वार्ता योगदान 43,244 बाइट्स −9 slider धर्म कर्म हमारा समाज शिल्पकर्म एक ब्राह्मण कर्म February 17, 2021 jjv@news मुंबई | शिल्पकर्म की उत्पत्ति वेदांग कल्प के शुल्व-सूत्र से हुई है और वास्तुकला की उत्पत्ति वेदांग ज्योतिष की संहिता स्कंद से हुई है वेदांग ग्रंथों का अध्ययन करना ब्राह्मणो का प्रमुख कर्तव्य आदिकाल से रहा है शुल्व-सूत्र से यज्ञवेदी (यज्ञकुंड) , यज्ञशाला , यज्ञमंडप , यज्ञपात्र , मूर्ति आदि का निर्माण होता हैं जो ब्राह्मण शुल्व-सूत्र में निहित शिल्पकर्म नहीं जानता वो ये निर्माण नहीं कर सकता जो ब्राह्मण शिल्पकर् पूर्ववत करें टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन

23 अक्टूबर 2023

21 अक्टूबर 2023

20 अक्टूबर 2023

19 अक्टूबर 2023

12 अक्टूबर 2023

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