29 फ़रवरी 2020
1 अप्रैल 2018
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रामायण में सभी राक्षसों का वध हुआ था। लेकिन💥 सूर्पनखा का वध नहीं हुआ था उसकी नाक और कान काट कर छोड़ दिया गया था । वह कपडे से अपने चेहरे को छुपा कर रहती थी । रावन के मर जाने के बाद वह अपने पति के साथ शुक्राचार्य के पास गयी और जंगल में उनके आश्रम में रहने लगी । राक्षसों का वंश ख़त्म न हो इसलिए, शुक्राचार्य ने शिव जी की आराधना की । शिव जी ने अपना स्वरुप शिवलिंग शुक्राचार्य को दे कर कहा की जिस दिन कोई "वैष्णव" इस पर गंगा जल चढ़ा देगा उस दिन राक्षसों का नाश हो जायेगा । उस आत्म लिंग क...
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