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प्राचलमूल्य
सदस्य की सम्पादन गिनती (user_editcount)
3
सदस्यखाते का नाम (user_name)
'Anusaaraka'
समय जब ई-मेल पते की पुष्टि की गई थी (user_emailconfirm)
'20091104163711'
सदस्य खाते की आयु (user_age)
3067
समूह (अंतर्निहित जोड़कर) जिसमें सदस्य है (user_groups)
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सदस्य मोबाइल इंटरफ़ेस की मदद से संपादित कर रहे हैं या नहीं (user_mobile)
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वैश्विक सदस्य-समूह जिनमें सदस्य है (global_user_groups)
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Global edit count of the user (global_user_editcount)
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Whether the user is editing from mobile app (user_app)
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पृष्ठ आइ॰डी (page_id)
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पृष्ठ नामस्थान (page_namespace)
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पृष्ठ शीर्षक (बिना नामस्थान) (page_title)
'प्रेमानंद बाणी'
पूर्ण पृष्ठ शीर्षक (page_prefixedtitle)
'प्रेमानंद बाणी'
पृष्ठ पर योगदान देने वाले अंतिम दस सदस्य (page_recent_contributors)
[ 0 => 'Anusaaraka' ]
Page age (in seconds) (page_age)
315
कार्य (action)
'edit'
सम्पादन सारांश/कारण (summary)
''
Time since last page edit (in seconds) (page_last_edit_age)
42
Old content model (old_content_model)
'wikitext'
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'wikitext'
पुराने पृष्ठ विकिलेख, सम्पादन से पहले (old_wikitext)
' == आवश्यक सूचना == यह लेख automated तरीके से '''यूट्यूब चैनल 'भजन मार्ग' से प्रेमानंद जी महाराज''' के shorts videos से <mark>तैयार</mark> <mark>किए</mark> <mark>गए</mark> हैं। <mark>उन्हें</mark> यहां <mark>शामिल</mark> <mark>करने</mark> का एकमात्र उद्देश्य <mark>किसी</mark> <mark>भी</mark> की <mark>त्रुटियों</mark> को सुधारना और <mark>खोज</mark> योग्य प्रारूप <mark>में</mark> साधकों के लिए बार-बार पढ़ने के लिए एक पुस्तक बनाना है। पहले के numbers उस लेख के वीडियो id हैं | जिसे आप चाहें तो youtube में जाकर सुन सकते हैं | जैसे की यह id "-1bElt_UzUE" को सुनने के लिए आप यह टाइप कर सकते हैं | <nowiki>https://www.youtube.com/shorts/-1bElt_UzUE</nowiki> == लेख == -1bElt_UzUE तो प्रणाम करते हैं कहते हैं कलयुग चल रहा है प्रणाम करते हैं 10 10 202 हजार लोग मार्ग में अगर हम वहां से सवा बजे निकलते हैं तो व क बजे से लगे होंगे क बजे खड़े रहे होंगे कहां से आए होंगे और किसी के चेहरे में कोई निराशा नहीं नाचते हुए उत्साहित होते मुझे तो सतयुग दिखाई दे रहा है सबब राधा राधा राधा राधा राधा कहां उनकी नींद है कहां उनकी सुविधाएं छोटे-छोटे गोद में बच्चे लिए धक्का खाते हुए खड़े हुए हैं बलिहारी उनको प्रणाम है क्या देखने के लिए खड़े हैं क्या मिल जाता है उनको ना एक चाय मिलती ना एक लड्डू मिलता है कैसे भगवान की कृपा पात्र जन हैं अपने तो संत नहीं है संतों की चरण धूल के आश्रित है वो केवल संत दर्शन मात्र के लिए दूर-दूर से गाड़ियों से आकर के रोड में खड़े उनके चरणों में मन प्रणाम करता है कि उनको ये नहीं कि मैं कीचड़ में घुसा खड़ा हू या ये अशुद्ध दोने पत्तल उनके ऊपर खड़ा और कहीं से भी दर्शन हो जाए मैं खड़ा हूं प्रणाम है -7I1nPTNwkI जानते हो संतों को जो पीड़ा होती है किसकी होती है यह प्रसाद मिलता है इनको क्या पता आपने कह दिया जाओ सब कुछ माफ वह पूरा हिसाब आपके ऊपर लागू होगा य कोई खिलवाड़ समझते हो उत्तर दे देना कोई खिलवाड़ बातें बनाना उत्तर नहीं होता महाराज आज तक जो पा कोई बात नहीं तुम छलो राधा राधा जपो आगे बढ़ो हम देख लेंगे देख लेंगे ऐसे कैसे जैसे महाप्रभु चैतन्य देव ऐसे करके गंगाजल खड़े करके आप ले रहे हैं आप क्या जानते हो इस रात से जो आज तुम चैन से मुस्कुरा कर बात करते हो तो तुम्हारे जीवन में कुछ ट्रांसफर हुआ है तुम्हारा उधर और उधर का उधर अगर जान जाओ तो रोते रहोगे कि हम पर कितनी कर फिर भी हम उनकी अवहेलना करते हैं वो कृपा प कृपा करते जा रहे हैं हम उनकी अवहेलना प अवहेलना करते चले जा रहे हैं बड़ा विचित्र खेल बहुत विचित्र खेल -7gk9lB90go आपने मेरे जीवन को चमत्कारों से भर दिया मुझे आपसे प्यार हो गया है गुरुदेव कृपया मेरे जीवन में एक चमत्कार और कीजिए गुरुदेव मेरी ये आखिरी चाह है जो आपके बल से ही पूर्ण हो सकती है कि मेरा निरंतर नाम जप चलने लगे भजनानंद महात्माओं का संग भजन करने की प्रेरणा भजन में रुचि भजन बचाने की कला और भजन पचाने की कला ये सब प्र पर भजन करना उपासक को होता है पूर्ण आचरण करते हुए भगवान को समर्पित करना और नाम जप में इतना प्रीति हो जाना कि जैसे थोड़ा भी नाम जब छूटा तो हम सय ना पावे इतना नाम में प्रीति हो जाए कि भगवान आ जाए और कह दे मेरे दर्शन करो मेरा नाम छोड़ दो जपना तो मैं राजी नहीं हू नाम से इतना महत्व बुद्धि हो जाए कि त्रिभुवन की राज लक्ष्मी एक तरफ दे और कह दिया जाए कि नाम छोड़ दो वो ना छोड़े तब उसे महा भागवत कहते हैं पहले नाम में हमारी महत्व बुद्धि हो जाए -IOBH5yJbqI कि एक बार अगर राधा कहा है तो भारी पड़ जाएगा यमराज को हिसाब देना एक बार जीवन में भगवन नाम लिया है एक नाम अगर एक बार का है राधा तो ये तुम्हें हर समस्या का समाधान देते हुए एक दिन राधा में बना देगा -K0zsECP5Z0 सब जगह ठोकरें लगती कोई नहीं अपना हो तब भगवान याद आते द्रोपदी जी को तब तक भगवान याद नहीं आए जब तक किसी और का सहारा रहा हमें लगता है हर विधान मेरे भगवान का मंगलमय है यदि हम कह रहे मांगो यदि नहीं पूरी हो रही तो य विचार कर लो कि कोई मंगल भगवान का विधान है नहीं उनको देने में क्या था अब हम शांत हो जाते हैं ना भगवान पर श्रद्धा करते हैं और ना उस मांग के आप देख लेना मंगल होता चला जाएगा हमने ऐसा देखा है कि अगर यह मिनट भगवान कृपा ना करते तो बस खत्म जीवन ही खत्म ऐसी ऐसी परिस्थितियां देखिए बचा लिया बचा लिया एक एक कदम पर व अपने जनों को बचाते हैं विश्वास करो बिना मांगे वो देते हैं बिना चाहे वो सुरक्षा करते -T0BbKeIr_E हमारे को जो दुख मिलता है उसका करण होता है हमारा कोई एन कोई पाप इस जन्म का या पूर्व जन्म का हम लोगों से बहुत से ऐसी गलतियां हुई जिनको अभी हम सोचें तो पूरे जीवन में हमें को लगेगा की हां गलती हुई है सबसे हो जाति गलतियां पूर्व में पता नहीं कौन-कौन सी गलती हुई है तो उन्हें का जब परिणाम आता है तो दुख रूप बंता है वो विपत्ति बंता है वो संकट बंता है तो हमें चाहिए की नाम जाप के द्वारा उसको नष्ट करें नाम में समर्थ है राधा राधा राधा वल्लभ श्री हरि नाम जाप करो सुख का परम साधन प्रभु का नाम है जितना नाम जाप करोगे ना वो नाम जाप आपके उन कर्मों को नष्ट कर देगा जो दुख देने वाले अधिक से अधिक अधिक से अधिक जब आपको समय मिले अपने कार्य से राधा राधा बीच में कार्य करते भी बोल सकते राधा राधा -Z5WEtFD31Q थोड़ा नाम जप करने से समझ में नहीं आएगा आधा पेठ जैसे भोजन होने के बाद फिर स्वाद की तरफ दृष्टि जाती है ऐसे ही 24 घंटे में 12 घंटे जब भजन हो तब स्वाद की तरफ दृष्टि और जहां स्वाद मिला तो फिर परमानंद पर पहले कवल में भी तो भूख मिट रही थी गया तो था ही ना पहला ऐसे एक एक नाम जप संसार से वैराग्य भगवान से प्रेम अपने स्वरूप का बोध तीनों काम साथ हो रहे हैं पर वो आधा पेट जब होगा तब पता चलेगा कि हमने क्या एक कवल पवा के थाली हटा दे तो नाराज हो जाएगा यार इससे तो अच्छा भूख थे अब शुरू किया अब हमें तो लाओ पहले तो ऐसे जब नाम जब शुरू करोगे तो ये अंदर की जो भूख है वो और व्याकुलता पैदा करेगी बकार अंदर जो छुपे वो सब बढ़ेंगे नष्ट होने के लिए साधक अगर यहां नहीं समझ पाता तो छोड़ बैठता कि या बड़ा इसमें अशांति है बड़ी घबराहट है बड़ी गंदी बातें मन में आ रही है क्योंकि मन साफ किया जाता है ना नाम जप से तो इससे प्राण भी संयमित हो जाएंगे पर अभ्यास बहुत जोर का और बहुत काल तक निरंतर आदर पूर्वक नाम का बारबार च तो बस जाता है सिद्ध पुरुष का होता है और साधक को जपना पड़ता है -cOIcutS_9w अब जो कटुता फैल रही है ना यह अच्छा नहीं लगता ये हमारे भारत देश की रीति नहीं है ये कटुता फैल रही है पहले से ही हमारे आचरण ठीक नहीं है इसलिए कटुता फैल रही संबंधों में नहीं देखो माता पिता पुत्र में पति-पत्नी में भाई भाई में इतनी कटुता फैल रही अज्ञान के का थोड़ी सी बंटवारे की बात आई तो अपने सगे भाई की हत्या कर दी थोड़ी सी बात प्रतिकूल हो गई तो पत्नी की हत्या कर पति की हत्या कर दी पुत्र की हत्या पिता माता की हत्या देखो ना जो संसार में क्या हो रहा है यही बुद्धि भ्रष्ट हो गई है इसी बुद्धि को सत्संग के द्वारा सुधारा जा सकता है दूसरा कोई मार्ग नहीं है -ctB15ur6XM भगवत प्राप्ति परमानंद में पर अभी कह दे कि भगवत प्राप्ति भयभीत हो जाओगे अभी तुम्हें भगवत प्राप्ति कराते सब सब खत्म हो जाएगा सब नष्ट हो एक बार आप यही कहोगे महाराज जी बिल्कुल आपकी बात सत्य सब सत्य पर 10 दिन का तो समय दे दो नहीं 10 दिन का समय नहीं दे सकते पाच दिन का दे दो और जब यहां से आ जाओगे ना कहोगे गुरु जी तुम्हारी कंठी मेमना जी बा लेकिन य जा रो के तुम हमें छोड़ के भगवत प्राप्ति हम जानते हैं तुम्हारे को कितना प्यार करते तुम्हारे बिला जिएंगे नहीं पापा हां लगेगा गुरु बाबा जी है भगवत प्राप्ति तुम करो हमें ले जा भगवत प्राप्ति ए फोन नंबर ब्लॉक कर दो वृंदावन का वहां से कोई फोन भीना आ जाए चर्चा ही नहीं कोई माया इतनी बलवती है -fIXtv01DT4 जब आप सेवा नहीं करेंगे ध्यान से सुनिए तो आपके अंदर क्रिया वेज उत्पन्न होगा सेवा करने से पाप नष्ट होते हैं क्रिया वेद वो हमारा सार्थक हो जाता है क्योंकि भगवतिक सेवा है और मां निष्पाप होने पर प्रसन्न होने लगता है जब हम एन लेते हैं वस्त्र लेते हैं सुविधा लेते हैं जगत की और जगदीश की सेवा से मुंह चुराते हैं तो क्रिया वेद प्रकट हुआ आप उसका प्रयोग नहीं किया इस दिन मां पर अटैक कर रहा है अब मां उसे क्रिया को ना संभल कर के करण वो विपरीत चिंतन करवा रहा है विपरीत चिंतन होने के करण एक तो क्रिया वेद दूसरा विपरीत चिंतन तीसरा उसके अंदर आनंद नहीं तो वो किन होने लगता है किन होते होते ऐसा डर लगे लगता है की प्रकाश से डर लगे लगता है लोगों से डर लगे लगता है यहां तक उसे अपने से भी डर लगे लगता है और उसे स्थिति का नाम हो जाता है डिप्रेशन हमारी बात को समझिए आप -gbN2P5Izng बच्चा बच्ची जो जवान और जो माताएं बहने धर्म का ज्ञान नहीं रख रहे धर्म का ज्ञान त्याग रहे चाहे स्त्री हो चाहे पुरुष हो अशांति दुख चिंता और बहुत ही परिणाम दुखद समय आने दो हर कर्म एक बीज की तरह है बोधिया है वो फसल का इंतजार तत्काल थोड़ी होता है तत्काल कुछ नहीं होता है आप दूध को तत्काल दही नहीं बना सकते लिए समय चाहिए किसान बीज बोता है तो चार महीने छ महीने फसल ऐसे ही तुमने कर्म बोध ये गलत फ परिणाम देख लेना जिन बच्चों में संयम नहीं है वह खुद वर्तमान में परिणाम देखें और जो संयम में वह अपना देखे आज हमारा संयम नष्ट होता चला जा रहा है गृहस्थ में है लेकिन संयम पूर्वक गृहस्थ धर्म का बर्ताव करें जब तक गृहस्थ में नहीं तब तक तो पूर्ण संयम -pB22pVb9k8 हमारे जीवन का एक साल कम हो गया हमें लगता है बैठ कर के इस बात पर चिंतन करना चाहिए कि एक साल कम हो गया मेरे जीवन का मैंने लाभ क्या लिया मैंने कौन सी अमोग वस्तु क्या प्राप्त की ये सब जानने वाला है कोई अमोक एक बार राधा बोला ये एक साल में एक बढ़िया बात हुई कि एक राधा नाम हमने जमा कर लिया तो एक स्वास कीमती रही नहीं तो सब बेकार गए और लोग उत्सव मनाते नहीं कि आज बर्थडे काय उत्सव मनाते हैं गौर से देखो तुम्हारी शवास एक साल की नष्ट हो गए अब जीवन पता नहीं कितना है तुमने एक साल में क्या कमा लिया क्या गवा दिया दोनों बातों का निर्णय करना हमें लगता है रात भर बैठकर नाम कीर्तन करना चाहिए कि आज जन्मदिन है अब हम नाम कीर्तन करके अपने जन्म को सार्थक करेंगे कौन मनाएगा ऐसा कि भाई डोलक मदीना लगाओ सब लोग आज हमारा बर्थडे राधा राधा कोई ले आएगा बर्थडे तब मनाया जाएगा जब वो निषिद्ध वस्तुओं का प्रयोग हो और उद्दंडता हो तो बोले आज वहां पार्टी बर्थडे में चलते हैं -rkXUSPJECw कोई चार आदमी दो हाथ पकड़े दो पैर पकड़े ऊपर चढ़ा के ले जा रहे हो अगर तुम कहो कितना सम्मान से ले जा रहे चार लोग उसको चार ले ले जा रहे समान से ऊपर से पटकने जा रहे हैं अधर्म आचरण करने वाला ऊंचाई पर जो चढ़ता है उसको पटकने के लिए चढ़ाया जाता है कि ऐसी ऊंचाई से ब्लास्ट होगा एकदम नष्ट हो जाएगा धर्मात्मा आदमी दीपक की तरह जलता है और अधर्मी हाइलोजन की तरह एकदम फोकस हुए ये जय जय जय जय मिट्टी में मिल गए मिट्टी में मिल गए दुकान मकान स्वयं सब नष्ट भ्रष्ट आंखें खोल के देख लो तुम लोग तो समाचार पढ़ते हो संसार को देखते हो जिसे कहते हैं मिट्टी में मिल जाना सब मिट्टी में मिल गए इसीलिए हम सबसे प्रार्थना करते हैं नशा मत करो मांस मत खाओ पराई बहनी बेटियों की तरफ गंदी दृष्टि से मत देखो नाम जप करो उससे क्या होगा आपका प्रकाश हो जाएगा 01Dv931vCYY जैसे स्वप्न में संत महापुरुषों का दर्शन संभाषण भगवत शी विग्रह का दर्शन तीर्थों का अवगाहन भगवत संबंधी वार्ता किसी से यह आपका हृदय भक्ति युक्त हो रहा है पवित्र हो रहा है इसको गुणों के अंतर्गत नहीं मानेंगे कि सतोगुण रजोगुण तमोगुण के प्रभाव से प्रभावित हो रहा है अगर स्वप्न में संत आ रहे हैं तो आ रहे हैं वो आए हैं स्वप्न में यदि भगवत चर्चा हो रही तो क्योंकि त्रिकाल सत्य है इसलिए स् में भी सत्य है तो जो सत्य है जैसे भगवान भगवान का नाम भगवान का रूप भगवान की लीला और भगवान संबंधी जो भी वो सब सत है तो उसमें ये नहीं सोचा जाए कि ये हमारी शायद कल्पना हो ऐसा नहीं संत महापुरुष जन पधार हैं ज्यादा गाढ़ भाव हो जाए तो भगवान स्वप्न में पधार हैं तो वो उनका स्वप्न में आना या जागृत में आना या उसमें कोई भेद थोड़ी होता है स्वप्न जागृत हमारे लिए भेद है भगवान के लिए थोड़ी है 06oKik_1EtA महाराजी युवावस्था में हमें धन की प्राप्ति के लिए ही यत्न करना चाहिए या भक्ति मार्ग में चलते हुए जो ईश्वर द्वारा प्रदान किया गया है उसी में संतोष कर लेना चाहिए बहुत उत्तम बात है कि पूर्व प्रारब्ध के अनुसार जैसे हम नहीं चाहते पर हमें दुख भोगना पड़ता है अगर हम सुख की विचारना करें तो भोगना पड़ेगा ना तो आप समझो नाम जब चल रहा है भगवत स्मरण चल रहा है तो ये सांसारिक लौकिक भोगों की तो बात जाने दो अनंत महिमा शली भगवान को अधीन कर सकता है जो रिद्धि सिद्धियां लोक लोका के सुखों की तो बात जाने दो जो बड़े-बड़े महापुरुष नाम के आनंद में डूबे वही नाम है बस हम नाम को पकड़ ले पक्का विश्वास कर लीजिए तो निश्चिंत हो जाओ लोग परलोक के हर सुख तुम्हारे चरणों में आएंगे संत महात्माओं को लोग कहते हैं ना कितना वै भोग कितना ऐसा ऐसे ये छल कपट से नहीं होता है जब उन्होंने चित्त को भगवान में जोड़ दिया तो दुनिया को वैभव उन के चरणों में लुटने लगा अगर दुनिया का मालिक अधीन हो जाता है तो माया कृत वस्तुओं की क्या बात है 0BgSy624Z_E अगर कोई ग्रस्त जन भगवान प्रभु राम जी या किसी भी भगवान का नाम या छवि बनाते हैं तो उसका दोष इस शरीर को तो नहीं लगेगा म जैसे किसी के हाथ में नाम लिख दिया अब वह उसी हाथ से अपवित्र कार्य करे और वह नाम का बार-बार तो वह अपमान नाम का हुआ उसके आप करता हुए और वह करवाने वाला हुआ और तो बराबर इस पर तो आप और टैटू बनाए जरूरी है भगवान का ही अपमान हो ऐसे हम कार्य करें हमें लगता है कि जीने की और भी धाराएं हैं आप और चित्रकारी कीजिए और मतलब हमें लगता है 100 में दो चार ऐसे होंगे जो भगवान के बनवाते होंगे क्योंकि राजसी सांसारिक भाव रखने वाले रजोगुण लोग भगवान को का बनवाए तो हमें लगता है बच्चा कि जब ऐसी कोई बात आवे तो आप उसके लिए कह दे कि हम नाम नहीं अंकित करेंगे और ना भगवान का रूप अंकित करेंगे 0JdhxSl6T3g जब हम इस शरीर से संसार के असत भोगों को भोगते हैं तो संसार का प्रभाव शरीर को मलिन करता है जब हम मन से इसका मनन चिंतन संकल्प करते हैं तो मन को अपवित्र करता है जब बुद्धि से निश्चय करते तो बुद्धि अपवित्र होती है और जब इसके हम भोक्ता बनते हैं तो हमारा अहम अपवित्र हो जाता है सब अपवित्र ही अपवित्र है अपवित्र अंतःकरण में अपवित्र विचारों की ही बाहुल्य होता होगी आप अंदर से देख लो नाम जब शुरू करो फिर देखो अंदर जैसे ऐसे यहां कुछ कूड़ा नहीं दिखाई दे रहा लेकिन हटो और सब झाड़ करर सोनी लगाओ फिर तुम्हें अलग कड़ दिखाई देगा वो है तो नाम की सोनी फेंको अंदर राधा राधा राधा अभी दिखाई देगा कितना कूड़ा करकट जमा है जब हम मन से भगवान का मनन करते हैं दूसरों का हित मनन करते हैं तो मन पवित्र होता है जब हमारा स्वयं का दासत भगवान के प्रति होता है कि ये सब भगवान की कृपा से हो रहा है तो अहम पवित्र हो जाता है अभी सब मलिन है इसलिए नाम जप करो अपने कर्तव्य का पालन करो सत्संग जरूर सुनते रहो क्योंकि सत्संग वो तुमको रास्ता बताएगा रास्ते में चलने की सामर्थ देगा और रास्ते की सावधानियां कि हम परमार्थ में कैसे चले जिससे भ्रष्ट ना हो जाए 0LSoWjD_JKA पार्वती जी तपस्या कर रही थी हि मालय में तो भगवान शिव ने उनकी प्रीति परीक्षा के लिए सप्त ऋषियों को भेजा सप्त ऋषि आए अतिथ सत्कार किया भगवती अंबा ने क्योंकि ऋषि महात्मा तो पाद अंबा से पूछा कि आप इतना कठोर तप कर रहे सूखे पत्ते खाकर अपर्णा भगवती अपर्णा नाम से सूखे पत्ते भगवान शिव की प्राप्ति के लिए पा रहे थे र तो उ कहा आप किस लिए इतनी कठोर तपस्या कर रहे हैं तो उने कहा आप लोग हमारी बात सुनकर हसेंगे हंसने का मतलब एक कहा मैं और कहा आराध बोध संपन्न भगवान शिव उन कहा शिव में ऐसा क्या है फ भगवान शिवले ही भेज सीता की भसम लगाते हैं मुंडो की माला है ना कोई महल है ना कोई सोने का श्रृंगार ना कोई ऐसा क्या सुविधा है अंबा की दृष्टि बदल गई से क सत ऋषण ने कहा देखो आपको नाराज होने की जरूरत नहीं तपस्या करने की ज आपको दूला दिला देते हैं बैकुंठ नाथ विष्णु भगवान माता जी ने कहा कोटि जन्म लग रगर हमारी और बरम संभु नता राव को ये है बात आखिरी जो प्रीति की है करोड़ों बार जन्म लूंगी और हर बार तपस्या भगवान शिव के लिए करूंगी और उन्हीं को पति रूप में वर्ण करूंगी माना महादेव में कोई गुण नहीं है विष्णु में सब गुण है लेकिन जिसका मन जिससे रम जाता है उसको उसी से काम है 0XHYnltScM8 जब किसी से बात किया जाता है राधा अंदर बोला और उसके चेहरे में राधा लिखे हुए हैं अब आंख में आंख मिलाकर हम बात कर रहे हैं वो समझ रहा मेरी तरफ देख रहे हैं नहीं उसके और हमारे बीच में राधा नाम अब बात कर रहे हैं और चिंतन राधा नाम का हो रहा है युक्ति होती है प्रसाद पा रहे हैं राधा राधा राधा पात्र मार्जन कर रहे राधा सोनी लगा रहे राधा रसोई बना रहे राधा हल जोत रहे राधा ऑफिस जा रहे राधा राधा राधा अभी आनंद की अंदर अनुभूति होने लगे पर ऐसा प्रमाद स्वभाव हो गया है कि नाम में महत्व नहीं चकि हृदय में हमारे द्वारा कुमार्ग गामी वासना एं एकत्रित की गई है तो पाप वंत कर सहज स्वभाव भजन मूर्ति भाव न काऊ और आप तो शरणागत है आप महत्व बुद्धि कीजिए तो निरंतर नाम चलने लगेगा 0YSDpXjHhGk [संगीत] प्रतिकूलता आए तो प्रसन्न हो जाओ तुम पवित्र किए जा रहे हो तुम्हारे अशुभ का नाश हो रहा है अब आगे महामंगल मोद आने वाला है अनुकूलता आवे तो सावधान हो जाओ भोग मत करो उसको बांटो उसको दूसरों के सुख में लगा दो हर्षित मत हो भोगता मत बनो प्रतिकूलता पर तुम विजय प्राप्त कर लोगे जब तुम उसका भोग करते हो अनुकूलता का तो भय खड़ा हो जाता है अगर यह अनुकूलता ना मिली तो मैं जी नहीं पाऊंगा कहीं ऐसा हुआ तो अनुकूलता का भोग सब करने में राजी है इसीलिए सब चिंता भय शोक से ग्रसित है भगवान यहां तुम्हें परम सुख प्रदान करने के लिए अमृत में वचन कहते हैं सुख दुख में सम रहना ये मानव देह की कला है इसी में आप रह सकते हैं पशु बन के नहीं कौन सुख दुख में समान होता है जो गुरुजनों के चरणों का आश्रय लेकर के जो भजन परायण है धर्म परायण है उसमें क्षमता आने लगती है क्या सत है क्या असत है इसका निर्णय करने की'
नया पृष्ठ विकिलेख, सम्पादन के बाद (new_wikitext)
' == आवश्यक सूचना == यह लेख automated तरीके से '''यूट्यूब चैनल 'भजन मार्ग' से प्रेमानंद जी महाराज''' के shorts videos से <mark>तैयार</mark> <mark>किए</mark> <mark>गए</mark> हैं। <mark>उन्हें</mark> यहां <mark>शामिल</mark> <mark>करने</mark> का एकमात्र उद्देश्य <mark>किसी</mark> <mark>भी</mark> की <mark>त्रुटियों</mark> को सुधारना और <mark>खोज</mark> योग्य प्रारूप <mark>में</mark> साधकों के लिए बार-बार पढ़ने के लिए एक पुस्तक बनाना है। पहले के numbers उस लेख के वीडियो id हैं | जिसे आप चाहें तो youtube में जाकर सुन सकते हैं | जैसे की यह id "-1bElt_UzUE" को सुनने के लिए आप यह टाइप कर सकते हैं | <nowiki>https://www.youtube.com/shorts/-1bElt_UzUE</nowiki> == लेख == -1bElt_UzUE तो प्रणाम करते हैं कहते हैं कलयुग चल रहा है प्रणाम करते हैं 10 10 202 हजार लोग मार्ग में अगर हम वहां से सवा बजे निकलते हैं तो व क बजे से लगे होंगे क बजे खड़े रहे होंगे कहां से आए होंगे और किसी के चेहरे में कोई निराशा नहीं नाचते हुए उत्साहित होते मुझे तो सतयुग दिखाई दे रहा है सबब राधा राधा राधा राधा राधा कहां उनकी नींद है कहां उनकी सुविधाएं छोटे-छोटे गोद में बच्चे लिए धक्का खाते हुए खड़े हुए हैं बलिहारी उनको प्रणाम है क्या देखने के लिए खड़े हैं क्या मिल जाता है उनको ना एक चाय मिलती ना एक लड्डू मिलता है कैसे भगवान की कृपा पात्र जन हैं अपने तो संत नहीं है संतों की चरण धूल के आश्रित है वो केवल संत दर्शन मात्र के लिए दूर-दूर से गाड़ियों से आकर के रोड में खड़े उनके चरणों में मन प्रणाम करता है कि उनको ये नहीं कि मैं कीचड़ में घुसा खड़ा हू या ये अशुद्ध दोने पत्तल उनके ऊपर खड़ा और कहीं से भी दर्शन हो जाए मैं खड़ा हूं प्रणाम है -7I1nPTNwkI जानते हो संतों को जो पीड़ा होती है किसकी होती है यह प्रसाद मिलता है इनको क्या पता आपने कह दिया जाओ सब कुछ माफ वह पूरा हिसाब आपके ऊपर लागू होगा य कोई खिलवाड़ समझते हो उत्तर दे देना कोई खिलवाड़ बातें बनाना उत्तर नहीं होता महाराज आज तक जो पा कोई बात नहीं तुम छलो राधा राधा जपो आगे बढ़ो हम देख लेंगे देख लेंगे ऐसे कैसे जैसे महाप्रभु चैतन्य देव ऐसे करके गंगाजल खड़े करके आप ले रहे हैं आप क्या जानते हो इस रात से जो आज तुम चैन से मुस्कुरा कर बात करते हो तो तुम्हारे जीवन में कुछ ट्रांसफर हुआ है तुम्हारा उधर और उधर का उधर अगर जान जाओ तो रोते रहोगे कि हम पर कितनी कर फिर भी हम उनकी अवहेलना करते हैं वो कृपा प कृपा करते जा रहे हैं हम उनकी अवहेलना प अवहेलना करते चले जा रहे हैं बड़ा विचित्र खेल बहुत विचित्र खेल -7gk9lB90go आपने मेरे जीवन को चमत्कारों से भर दिया मुझे आपसे प्यार हो गया है गुरुदेव कृपया मेरे जीवन में एक चमत्कार और कीजिए गुरुदेव मेरी ये आखिरी चाह है जो आपके बल से ही पूर्ण हो सकती है कि मेरा निरंतर नाम जप चलने लगे भजनानंद महात्माओं का संग भजन करने की प्रेरणा भजन में रुचि भजन बचाने की कला और भजन पचाने की कला ये सब प्र पर भजन करना उपासक को होता है पूर्ण आचरण करते हुए भगवान को समर्पित करना और नाम जप में इतना प्रीति हो जाना कि जैसे थोड़ा भी नाम जब छूटा तो हम सय ना पावे इतना नाम में प्रीति हो जाए कि भगवान आ जाए और कह दे मेरे दर्शन करो मेरा नाम छोड़ दो जपना तो मैं राजी नहीं हू नाम से इतना महत्व बुद्धि हो जाए कि त्रिभुवन की राज लक्ष्मी एक तरफ दे और कह दिया जाए कि नाम छोड़ दो वो ना छोड़े तब उसे महा भागवत कहते हैं पहले नाम में हमारी महत्व बुद्धि हो जाए -IOBH5yJbqI कि एक बार अगर राधा कहा है तो भारी पड़ जाएगा यमराज को हिसाब देना एक बार जीवन में भगवन नाम लिया है एक नाम अगर एक बार का है राधा तो ये तुम्हें हर समस्या का समाधान देते हुए एक दिन राधा में बना देगा -K0zsECP5Z0 सब जगह ठोकरें लगती कोई नहीं अपना हो तब भगवान याद आते द्रोपदी जी को तब तक भगवान याद नहीं आए जब तक किसी और का सहारा रहा हमें लगता है हर विधान मेरे भगवान का मंगलमय है यदि हम कह रहे मांगो यदि नहीं पूरी हो रही तो य विचार कर लो कि कोई मंगल भगवान का विधान है नहीं उनको देने में क्या था अब हम शांत हो जाते हैं ना भगवान पर श्रद्धा करते हैं और ना उस मांग के आप देख लेना मंगल होता चला जाएगा हमने ऐसा देखा है कि अगर यह मिनट भगवान कृपा ना करते तो बस खत्म जीवन ही खत्म ऐसी ऐसी परिस्थितियां देखिए बचा लिया बचा लिया एक एक कदम पर व अपने जनों को बचाते हैं विश्वास करो बिना मांगे वो देते हैं बिना चाहे वो सुरक्षा करते -T0BbKeIr_E हमारे को जो दुख मिलता है उसका करण होता है हमारा कोई एन कोई पाप इस जन्म का या पूर्व जन्म का हम लोगों से बहुत से ऐसी गलतियां हुई जिनको अभी हम सोचें तो पूरे जीवन में हमें को लगेगा की हां गलती हुई है सबसे हो जाति गलतियां पूर्व में पता नहीं कौन-कौन सी गलती हुई है तो उन्हें का जब परिणाम आता है तो दुख रूप बंता है वो विपत्ति बंता है वो संकट बंता है तो हमें चाहिए की नाम जाप के द्वारा उसको नष्ट करें नाम में समर्थ है राधा राधा राधा वल्लभ श्री हरि नाम जाप करो सुख का परम साधन प्रभु का नाम है जितना नाम जाप करोगे ना वो नाम जाप आपके उन कर्मों को नष्ट कर देगा जो दुख देने वाले अधिक से अधिक अधिक से अधिक जब आपको समय मिले अपने कार्य से राधा राधा बीच में कार्य करते भी बोल सकते राधा राधा -Z5WEtFD31Q थोड़ा नाम जप करने से समझ में नहीं आएगा आधा पेठ जैसे भोजन होने के बाद फिर स्वाद की तरफ दृष्टि जाती है ऐसे ही 24 घंटे में 12 घंटे जब भजन हो तब स्वाद की तरफ दृष्टि और जहां स्वाद मिला तो फिर परमानंद पर पहले कवल में भी तो भूख मिट रही थी गया तो था ही ना पहला ऐसे एक एक नाम जप संसार से वैराग्य भगवान से प्रेम अपने स्वरूप का बोध तीनों काम साथ हो रहे हैं पर वो आधा पेट जब होगा तब पता चलेगा कि हमने क्या एक कवल पवा के थाली हटा दे तो नाराज हो जाएगा यार इससे तो अच्छा भूख थे अब शुरू किया अब हमें तो लाओ पहले तो ऐसे जब नाम जब शुरू करोगे तो ये अंदर की जो भूख है वो और व्याकुलता पैदा करेगी बकार अंदर जो छुपे वो सब बढ़ेंगे नष्ट होने के लिए साधक अगर यहां नहीं समझ पाता तो छोड़ बैठता कि या बड़ा इसमें अशांति है बड़ी घबराहट है बड़ी गंदी बातें मन में आ रही है क्योंकि मन साफ किया जाता है ना नाम जप से तो इससे प्राण भी संयमित हो जाएंगे पर अभ्यास बहुत जोर का और बहुत काल तक निरंतर आदर पूर्वक नाम का बारबार च तो बस जाता है सिद्ध पुरुष का होता है और साधक को जपना पड़ता है -cOIcutS_9w अब जो कटुता फैल रही है ना यह अच्छा नहीं लगता ये हमारे भारत देश की रीति नहीं है ये कटुता फैल रही है पहले से ही हमारे आचरण ठीक नहीं है इसलिए कटुता फैल रही संबंधों में नहीं देखो माता पिता पुत्र में पति-पत्नी में भाई भाई में इतनी कटुता फैल रही अज्ञान के का थोड़ी सी बंटवारे की बात आई तो अपने सगे भाई की हत्या कर दी थोड़ी सी बात प्रतिकूल हो गई तो पत्नी की हत्या कर पति की हत्या कर दी पुत्र की हत्या पिता माता की हत्या देखो ना जो संसार में क्या हो रहा है यही बुद्धि भ्रष्ट हो गई है इसी बुद्धि को सत्संग के द्वारा सुधारा जा सकता है दूसरा कोई मार्ग नहीं है -ctB15ur6XM भगवत प्राप्ति परमानंद में पर अभी कह दे कि भगवत प्राप्ति भयभीत हो जाओगे अभी तुम्हें भगवत प्राप्ति कराते सब सब खत्म हो जाएगा सब नष्ट हो एक बार आप यही कहोगे महाराज जी बिल्कुल आपकी बात सत्य सब सत्य पर 10 दिन का तो समय दे दो नहीं 10 दिन का समय नहीं दे सकते पाच दिन का दे दो और जब यहां से आ जाओगे ना कहोगे गुरु जी तुम्हारी कंठी मेमना जी बा लेकिन य जा रो के तुम हमें छोड़ के भगवत प्राप्ति हम जानते हैं तुम्हारे को कितना प्यार करते तुम्हारे बिला जिएंगे नहीं पापा हां लगेगा गुरु बाबा जी है भगवत प्राप्ति तुम करो हमें ले जा भगवत प्राप्ति ए फोन नंबर ब्लॉक कर दो वृंदावन का वहां से कोई फोन भीना आ जाए चर्चा ही नहीं कोई माया इतनी बलवती है -fIXtv01DT4 जब आप सेवा नहीं करेंगे ध्यान से सुनिए तो आपके अंदर क्रिया वेज उत्पन्न होगा सेवा करने से पाप नष्ट होते हैं क्रिया वेद वो हमारा सार्थक हो जाता है क्योंकि भगवतिक सेवा है और मां निष्पाप होने पर प्रसन्न होने लगता है जब हम एन लेते हैं वस्त्र लेते हैं सुविधा लेते हैं जगत की और जगदीश की सेवा से मुंह चुराते हैं तो क्रिया वेद प्रकट हुआ आप उसका प्रयोग नहीं किया इस दिन मां पर अटैक कर रहा है अब मां उसे क्रिया को ना संभल कर के करण वो विपरीत चिंतन करवा रहा है विपरीत चिंतन होने के करण एक तो क्रिया वेद दूसरा विपरीत चिंतन तीसरा उसके अंदर आनंद नहीं तो वो किन होने लगता है किन होते होते ऐसा डर लगे लगता है की प्रकाश से डर लगे लगता है लोगों से डर लगे लगता है यहां तक उसे अपने से भी डर लगे लगता है और उसे स्थिति का नाम हो जाता है डिप्रेशन हमारी बात को समझिए आप -gbN2P5Izng बच्चा बच्ची जो जवान और जो माताएं बहने धर्म का ज्ञान नहीं रख रहे धर्म का ज्ञान त्याग रहे चाहे स्त्री हो चाहे पुरुष हो अशांति दुख चिंता और बहुत ही परिणाम दुखद समय आने दो हर कर्म एक बीज की तरह है बोधिया है वो फसल का इंतजार तत्काल थोड़ी होता है तत्काल कुछ नहीं होता है आप दूध को तत्काल दही नहीं बना सकते लिए समय चाहिए किसान बीज बोता है तो चार महीने छ महीने फसल ऐसे ही तुमने कर्म बोध ये गलत फ परिणाम देख लेना जिन बच्चों में संयम नहीं है वह खुद वर्तमान में परिणाम देखें और जो संयम में वह अपना देखे आज हमारा संयम नष्ट होता चला जा रहा है गृहस्थ में है लेकिन संयम पूर्वक गृहस्थ धर्म का बर्ताव करें जब तक गृहस्थ में नहीं तब तक तो पूर्ण संयम -pB22pVb9k8 हमारे जीवन का एक साल कम हो गया हमें लगता है बैठ कर के इस बात पर चिंतन करना चाहिए कि एक साल कम हो गया मेरे जीवन का मैंने लाभ क्या लिया मैंने कौन सी अमोग वस्तु क्या प्राप्त की ये सब जानने वाला है कोई अमोक एक बार राधा बोला ये एक साल में एक बढ़िया बात हुई कि एक राधा नाम हमने जमा कर लिया तो एक स्वास कीमती रही नहीं तो सब बेकार गए और लोग उत्सव मनाते नहीं कि आज बर्थडे काय उत्सव मनाते हैं गौर से देखो तुम्हारी शवास एक साल की नष्ट हो गए अब जीवन पता नहीं कितना है तुमने एक साल में क्या कमा लिया क्या गवा दिया दोनों बातों का निर्णय करना हमें लगता है रात भर बैठकर नाम कीर्तन करना चाहिए कि आज जन्मदिन है अब हम नाम कीर्तन करके अपने जन्म को सार्थक करेंगे कौन मनाएगा ऐसा कि भाई डोलक मदीना लगाओ सब लोग आज हमारा बर्थडे राधा राधा कोई ले आएगा बर्थडे तब मनाया जाएगा जब वो निषिद्ध वस्तुओं का प्रयोग हो और उद्दंडता हो तो बोले आज वहां पार्टी बर्थडे में चलते हैं -rkXUSPJECw कोई चार आदमी दो हाथ पकड़े दो पैर पकड़े ऊपर चढ़ा के ले जा रहे हो अगर तुम कहो कितना सम्मान से ले जा रहे चार लोग उसको चार ले ले जा रहे समान से ऊपर से पटकने जा रहे हैं अधर्म आचरण करने वाला ऊंचाई पर जो चढ़ता है उसको पटकने के लिए चढ़ाया जाता है कि ऐसी ऊंचाई से ब्लास्ट होगा एकदम नष्ट हो जाएगा धर्मात्मा आदमी दीपक की तरह जलता है और अधर्मी हाइलोजन की तरह एकदम फोकस हुए ये जय जय जय जय मिट्टी में मिल गए मिट्टी में मिल गए दुकान मकान स्वयं सब नष्ट भ्रष्ट आंखें खोल के देख लो तुम लोग तो समाचार पढ़ते हो संसार को देखते हो जिसे कहते हैं मिट्टी में मिल जाना सब मिट्टी में मिल गए इसीलिए हम सबसे प्रार्थना करते हैं नशा मत करो मांस मत खाओ पराई बहनी बेटियों की तरफ गंदी दृष्टि से मत देखो नाम जप करो उससे क्या होगा आपका प्रकाश हो जाएगा 01Dv931vCYY जैसे स्वप्न में संत महापुरुषों का दर्शन संभाषण भगवत शी विग्रह का दर्शन तीर्थों का अवगाहन भगवत संबंधी वार्ता किसी से यह आपका हृदय भक्ति युक्त हो रहा है पवित्र हो रहा है इसको गुणों के अंतर्गत नहीं मानेंगे कि सतोगुण रजोगुण तमोगुण के प्रभाव से प्रभावित हो रहा है अगर स्वप्न में संत आ रहे हैं तो आ रहे हैं वो आए हैं स्वप्न में यदि भगवत चर्चा हो रही तो क्योंकि त्रिकाल सत्य है इसलिए स् में भी सत्य है तो जो सत्य है जैसे भगवान भगवान का नाम भगवान का रूप भगवान की लीला और भगवान संबंधी जो भी वो सब सत है तो उसमें ये नहीं सोचा जाए कि ये हमारी शायद कल्पना हो ऐसा नहीं संत महापुरुष जन पधार हैं ज्यादा गाढ़ भाव हो जाए तो भगवान स्वप्न में पधार हैं तो वो उनका स्वप्न में आना या जागृत में आना या उसमें कोई भेद थोड़ी होता है स्वप्न जागृत हमारे लिए भेद है भगवान के लिए थोड़ी है 06oKik_1EtA महाराजी युवावस्था में हमें धन की प्राप्ति के लिए ही यत्न करना चाहिए या भक्ति मार्ग में चलते हुए जो ईश्वर द्वारा प्रदान किया गया है उसी में संतोष कर लेना चाहिए बहुत उत्तम बात है कि पूर्व प्रारब्ध के अनुसार जैसे हम नहीं चाहते पर हमें दुख भोगना पड़ता है अगर हम सुख की विचारना करें तो भोगना पड़ेगा ना तो आप समझो नाम जब चल रहा है भगवत स्मरण चल रहा है तो ये सांसारिक लौकिक भोगों की तो बात जाने दो अनंत महिमा शली भगवान को अधीन कर सकता है जो रिद्धि सिद्धियां लोक लोका के सुखों की तो बात जाने दो जो बड़े-बड़े महापुरुष नाम के आनंद में डूबे वही नाम है बस हम नाम को पकड़ ले पक्का विश्वास कर लीजिए तो निश्चिंत हो जाओ लोग परलोक के हर सुख तुम्हारे चरणों में आएंगे संत महात्माओं को लोग कहते हैं ना कितना वै भोग कितना ऐसा ऐसे ये छल कपट से नहीं होता है जब उन्होंने चित्त को भगवान में जोड़ दिया तो दुनिया को वैभव उन के चरणों में लुटने लगा अगर दुनिया का मालिक अधीन हो जाता है तो माया कृत वस्तुओं की क्या बात है 0BgSy624Z_E अगर कोई ग्रस्त जन भगवान प्रभु राम जी या किसी भी भगवान का नाम या छवि बनाते हैं तो उसका दोष इस शरीर को तो नहीं लगेगा म जैसे किसी के हाथ में नाम लिख दिया अब वह उसी हाथ से अपवित्र कार्य करे और वह नाम का बार-बार तो वह अपमान नाम का हुआ उसके आप करता हुए और वह करवाने वाला हुआ और तो बराबर इस पर तो आप और टैटू बनाए जरूरी है भगवान का ही अपमान हो ऐसे हम कार्य करें हमें लगता है कि जीने की और भी धाराएं हैं आप और चित्रकारी कीजिए और मतलब हमें लगता है 100 में दो चार ऐसे होंगे जो भगवान के बनवाते होंगे क्योंकि राजसी सांसारिक भाव रखने वाले रजोगुण लोग भगवान को का बनवाए तो हमें लगता है बच्चा कि जब ऐसी कोई बात आवे तो आप उसके लिए कह दे कि हम नाम नहीं अंकित करेंगे और ना भगवान का रूप अंकित करेंगे 0JdhxSl6T3g जब हम इस शरीर से संसार के असत भोगों को भोगते हैं तो संसार का प्रभाव शरीर को मलिन करता है जब हम मन से इसका मनन चिंतन संकल्प करते हैं तो मन को अपवित्र करता है जब बुद्धि से निश्चय करते तो बुद्धि अपवित्र होती है और जब इसके हम भोक्ता बनते हैं तो हमारा अहम अपवित्र हो जाता है सब अपवित्र ही अपवित्र है अपवित्र अंतःकरण में अपवित्र विचारों की ही बाहुल्य होता होगी आप अंदर से देख लो नाम जब शुरू करो फिर देखो अंदर जैसे ऐसे यहां कुछ कूड़ा नहीं दिखाई दे रहा लेकिन हटो और सब झाड़ करर सोनी लगाओ फिर तुम्हें अलग कड़ दिखाई देगा वो है तो नाम की सोनी फेंको अंदर राधा राधा राधा अभी दिखाई देगा कितना कूड़ा करकट जमा है जब हम मन से भगवान का मनन करते हैं दूसरों का हित मनन करते हैं तो मन पवित्र होता है जब हमारा स्वयं का दासत भगवान के प्रति होता है कि ये सब भगवान की कृपा से हो रहा है तो अहम पवित्र हो जाता है अभी सब मलिन है इसलिए नाम जप करो अपने कर्तव्य का पालन करो सत्संग जरूर सुनते रहो क्योंकि सत्संग वो तुमको रास्ता बताएगा रास्ते में चलने की सामर्थ देगा और रास्ते की सावधानियां कि हम परमार्थ में कैसे चले जिससे भ्रष्ट ना हो जाए 0LSoWjD_JKA पार्वती जी तपस्या कर रही थी हि मालय में तो भगवान शिव ने उनकी प्रीति परीक्षा के लिए सप्त ऋषियों को भेजा सप्त ऋषि आए अतिथ सत्कार किया भगवती अंबा ने क्योंकि ऋषि महात्मा तो पाद अंबा से पूछा कि आप इतना कठोर तप कर रहे सूखे पत्ते खाकर अपर्णा भगवती अपर्णा नाम से सूखे पत्ते भगवान शिव की प्राप्ति के लिए पा रहे थे र तो उ कहा आप किस लिए इतनी कठोर तपस्या कर रहे हैं तो उने कहा आप लोग हमारी बात सुनकर हसेंगे हंसने का मतलब एक कहा मैं और कहा आराध बोध संपन्न भगवान शिव उन कहा शिव में ऐसा क्या है फ भगवान शिवले ही भेज सीता की भसम लगाते हैं मुंडो की माला है ना कोई महल है ना कोई सोने का श्रृंगार ना कोई ऐसा क्या सुविधा है अंबा की दृष्टि बदल गई से क सत ऋषण ने कहा देखो आपको नाराज होने की जरूरत नहीं तपस्या करने की ज आपको दूला दिला देते हैं बैकुंठ नाथ विष्णु भगवान माता जी ने कहा कोटि जन्म लग रगर हमारी और बरम संभु नता राव को ये है बात आखिरी जो प्रीति की है करोड़ों बार जन्म लूंगी और हर बार तपस्या भगवान शिव के लिए करूंगी और उन्हीं को पति रूप में वर्ण करूंगी माना महादेव में कोई गुण नहीं है विष्णु में सब गुण है लेकिन जिसका मन जिससे रम जाता है उसको उसी से काम है 0XHYnltScM8 जब किसी से बात किया जाता है राधा अंदर बोला और उसके चेहरे में राधा लिखे हुए हैं अब आंख में आंख मिलाकर हम बात कर रहे हैं वो समझ रहा मेरी तरफ देख रहे हैं नहीं उसके और हमारे बीच में राधा नाम अब बात कर रहे हैं और चिंतन राधा नाम का हो रहा है युक्ति होती है प्रसाद पा रहे हैं राधा राधा राधा पात्र मार्जन कर रहे राधा सोनी लगा रहे राधा रसोई बना रहे राधा हल जोत रहे राधा ऑफिस जा रहे राधा राधा राधा अभी आनंद की अंदर अनुभूति होने लगे पर ऐसा प्रमाद स्वभाव हो गया है कि नाम में महत्व नहीं चकि हृदय में हमारे द्वारा कुमार्ग गामी वासना एं एकत्रित की गई है तो पाप वंत कर सहज स्वभाव भजन मूर्ति भाव न काऊ और आप तो शरणागत है आप महत्व बुद्धि कीजिए तो निरंतर नाम चलने लगेगा 0YSDpXjHhGk [संगीत] प्रतिकूलता आए तो प्रसन्न हो जाओ तुम पवित्र किए जा रहे हो तुम्हारे अशुभ का नाश हो रहा है अब आगे महामंगल मोद आने वाला है अनुकूलता आवे तो सावधान हो जाओ भोग मत करो उसको बांटो उसको दूसरों के सुख में लगा दो हर्षित मत हो भोगता मत बनो प्रतिकूलता पर तुम विजय प्राप्त कर लोगे जब तुम उसका भोग करते हो अनुकूलता का तो भय खड़ा हो जाता है अगर यह अनुकूलता ना मिली तो मैं जी नहीं पाऊंगा कहीं ऐसा हुआ तो अनुकूलता का भोग सब करने में राजी है इसीलिए सब चिंता भय शोक से ग्रसित है भगवान यहां तुम्हें परम सुख प्रदान करने के लिए अमृत में वचन कहते हैं सुख दुख में सम रहना ये मानव देह की कला है इसी में आप रह सकते हैं पशु बन के नहीं कौन सुख दुख में समान होता है जो गुरुजनों के चरणों का आश्रय लेकर के जो भजन परायण है धर्म परायण है उसमें क्षमता आने लगती है क्या सत है क्या असत है इसका निर्णय करने की 0eAAfqLIjrQ मेरे मन में बहुत गंदे बुरे और नकारात्मक विचार आते हैं जिससे मन दुखी और अशांत रहता है प्रभु जी अगर इन मलीन विचारों से कोई कार्य रूपी चेष्टा नहीं होती तो इसका कोई अपराध तो नहीं लगेगा नाम जप करते रहना तो ये सब खत्म हो जाएंगे और नाम जप नहीं होगा तो तुम्हारी ताकत नहीं कि तुम रोक लो विचार क्रिया में आ ही जाएंगे स् पुरणा संकल्प और क्रिया अगर स् पुरणा में ही उसकी ताकत क्रिया तक ना पहुंचने पावे तो वह है नाम जप जब भगवत चिंतन भगवन नाम जप करते रहो तो व तुम्हें बल देगा कि क्रिया ना होने पावे और अंदर अंदर जो गंदी बात चल रही वो नष्ट हो जाएगी अगर आप नाम जप नहीं करें तो अंदर जो चल रहा है वो तुम चाहे जितना संभालो तुम्हारे संभलने में नहीं आएगा वो संकल्प बनेगा और क्रिया हो जाएगी इसलिए नाम जब पकड़े रहना तो बच सकते हो ये जो अंदर चिंतन मलिन होता का होता है ये पूर्व के संस्कार हैं उनको नाम बल से ही नष्ट किया जा सकता है अच्छे संस्कार अच्छे विचार अच्छी क्रियाएं ऊपर से डालो पीछे वाला सब डिलीट होता चला जाए तो नाम जप है भगवत कथा है संत सेवन है सत्संग आद इसके द्वारा हम अपनी अशुभ वासनाओं को नष्ट करते हैं 0qdxyHglTPs महाराज कुछ मित्रों को प्रोत्साहित करते हैं नॉनवेज छोड़ने के लिए और फिशन छोड़ने के लिए तो कहते हैं जिंदगी में बचा ही क्या फिर करने को हां अभी जिंदगी को जीने के लिए उन्हे उ केवल इंद्रियों का विलास जाना है एक दिन जब इनको तमाशा लगेगा कर्म का तब ये तुमसे खुद पूछेंगे कि छोड़कर जिंदगी में जीने के लिए कोई और रास्ता है कि नहीं है कैंसर ऐसे फैल रहा है जैसे जुकाम और बुखार ये किन कारणों से फैल रहा है पापा चरणों से पापा चरण बढ़ता चला जा रहा है इनके बातों को मत सुनो जो इंद्रिय विलासिता में लगे कितने दिन इसको खवा कर रख लोगे कितने दिन तुम शराब पीकर ने फेफड़े और लीवर को शुद्ध रख पाओगे कितने दिन तुम व्य विचार करके पुरुषत्व को स्थित कर पाओगे काल के एक तमाशा में मिट्टी में मिल जाओगे फिर तुम्हारे जीवन का फल क्या रहा है जी रहे हो धन कमा रहे हो किसके लिए भोग भोगने के लिए और भोग भोग कर जी किसके लिए रहे हो भोगने के लिए बस एक ही क्रम जीने का उद्देश्य मानव जीवन का धर्म है सत्य है राष्ट्र है भगवान है ये कहां उच्च विचार रह गए क्यों केवल इंद्रियों के गुलाम बन गए शराब पीना बेविचर करना मांस खाना कर लो एक समय आएगा जब समय चूक जाएगा तब तुम्हारे सुधरने के चांस नहीं होंगे और फिर तुम्हें दुर्गति भोगनी होगी 0w74plVUaBs सारे दुखों को रने की ताकत भगवान के भजन में है इसलिए प्यारे हम कह रहे मान जाओ नाम जप करो भगवान के आशित यह संसार बड़ा दुखम है अभी तुम्हारी समझ में नहीं आ रहा ऐसा ड्रामा चल रहा है बहुत विचित्र सत्य वस्तु एक बार भी सत्य वस्तु कोई बोलने के लिए तैयार नहीं सीधे अस्पताल जाओ अगर कोई रोग है अच्छे डॉक्टर से औषधि लो यह छूने और जंतुर बनवाने से कुछ नहीं होने वाला भगवान का नाम भवान की महिमा यह चमत्कार कर सकते हैं यह पक्का 13ZdBcVA_lI मान लो आप हमारे पास आए हो आप मनमानी खानपान करें अंडा खा रहे मांस खा रहे हैं दुनिया का मदिरा पी रहे हैं ब विचार कर रहे हैं गंदे आचरण कर रहे आप हजार बार आओ क्या होने वाला है कुछ नहीं होने वाला आप सुनोगे सुना दोगे आपका परिवर्तन नहीं होगा आपका परिवर्तन तो तब होगा जब आप हमारी बात मानेंगे कि अब तक मैं भूल से करता रहा अब नहीं करूंगा तो सुधार शुरू हो जाएगा आना पड़ेगा ना धर्म में आना पड़ेगा ना अच्छा आहार विहार संयम उसमें आना पड़ेगा ऐसा नहीं कि आप कोई बहुत बड़े होसा अधर्मा आचरण करोगे पाप आचरण करोगे पुण्य बल से तुम्हारा नाम हो गया मरने के बाद नरक मिलेगा क्योंकि यहां आए हो मानव देह प्राप्त हुए भजन करके अच्छे कार्य करना चाहिए दूसरों को सुख देने वाले कार्य करना चाहिए उबाल उबाल के जीवों को खा रहे हो ये तुम्हारा अच्छा कर्म है मदिरा पी रहे हो बड़े बुजुर्गों का अपमान कर रहे हो धन को व्यर्थ नष्ट कर रहे हो य विचार कर रहे हो मनुष्य जीवन का कर्तव्य भोगना पड़ेगा 1DMpT4uqqOg दो घंटे शांत भाव से एक नाम को जपो अब समस्या आ जाएगी अब परेशानी दो घंटे प्रवचन सुन सकते हो माना लेकिन दो घंटे एक नाम को बराबर चलाओ राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा अब देख लो फिर मन क्या समस्या करता हो खुद देख लीजिए आप नाम जो है वो निरंतर उठते बैठते चलते फिरते सोते जागते समय समय पर कथा सेवा हो गई और नाम तो यह मन को अमनाह कर देता है और निर्विक मन सच्चिदानंद भगवान के प्रेम का अधिकारी जब तक विषय मन है तब तक धोखेबाज है यह प्रभु में भी रो देगा और विषय में भी रो देगा इसका कोई विश्वास नहीं है पहरेदार नाम है तो कोई विकार हमको नष्ट नहीं कर सकता नाम मुख में चल रहा है हम जीवन मुक्त अभी हैं पक्का विश्वास करो नाम पकड़ो लीला गायन करो लीला श्रवण करो ठाकुर सेवा करो समाज सेवा करो यह सब करो पर नाम पकड़ो 1E3b2IPop-M सरकार 22 जनवरी का आपका उद्बोधन जो सुना मैं 22 जनवरी को वही था म रामला के सामने ही था जी राम चंद्र कृपाल भजमन तने भाव में आप डूबे थे भाजी मुझे तो ऐसे ही लगा आप मुझे कभी ऐसा अनुभव नहीं होता मेरे प्राणनाथ कोई और है कभी वो वहां विराजमान हो रहे थे और शरीर और धाम निष्ठा प्राण तो व्याकुल थे तो बस फ और मं व पहुंच गए पक्का पक्का करोड़ों भक्तों की आस्था वहां लगी हुई थी मराज जी उदश देखे हर व्यक्ति की छाती गरी थी वो आंखों से देखा म कोई भी हो आज जब हमारे प्रभु वहां विराजमान हुए तो जो हृदय की उमगया कर सकती है उनके सामने एक चीटी क्या कर बस वो जैसे ले कि बच्चा क्या कर सकता भा आपके शब्द उस दिन बता रहे थे आपके अंदर में कितनी खुशी है कितना उमंग है 1HMvh3LxLwA कहां से आए उज्जैन महाकालेश्वर क्या करते हो आप मैं वेडिंग फोटोग्राफी करता हूं तो महाराज जी का सत्संग सुनते हां जी इतने महीने से लगभग छह महीने से ऊपर हो चुका है तो 6 महीने में आपकी जब में से क्या आवाज करण आप महाराष्ट्र के दर्शन करने आए हैं तो मतलब मैं आपको बता नहीं सकता की मैं जब से महाराज जी से अभी तक देखा नहीं हूं मैं एक बार और ए चुका हूं मैं महाराज जी के दर्शन कर नहीं पाया था लेकिन जब से महाराज जी को देखा हूं ना ऐसा लगता है की कोई है हमारा वो मतलब उनकी जो आपने देखा होगा उनके स्माइल वो जो हंसते हैं मतलब एक शब्द नहीं बोल सकता हूं उनके लिए वो जीवन है वो अगर रख लेना आज मुझे तो मैं मेरा हंसते-हंसते पूरा जीवन छोड़ सकता हूं केवल वो मुझे ना करें अपनी साथ रख ले अपनी छतरी छाया में रख तो अगर देखा जाए आपके जीवन में आपकी डेली लाइफ स्टाइल में क्या चेंज हैं हमें पता नहीं था इतने टाइम हो गया इतना जन्म हो गया पता नहीं कितने जन्म हमने लिए होंगे फिर भी हम राधा नाम को नहीं जानता है एक संत हमारे बीच में ऐसे आके मतलब हम कहानी ना कहानी हमें 1NbHyqmcIT4 गुरुदेव के वचन भले आपको लगता हो की हमें बहुत शास्त्रों का ज्ञान है पर यह तो बहुत हल्के वचन वो हल्के वचन आईटीएमई हल्के कर देंगे तुम्हारा पाप का भोज आज्ञा का बोझ सब नष्ट कर देगा बस वचनों को मां लो प्राय देखा जाता है लाखों लोग गुरु बनाने के लिए तैयार हैं लेकिन गुरु की बात माने के लिए 10 मिलन मुश्किल है गुरु माने के लिए लाखों तैयार है पर गुरु की बात माने के लिए 10 तैयार नहीं है कैसे कल्याण होगा तुम गुरु मानो या ना मानो तुम केवल बात मां लो वही है जो संतो की बात मां ले भगवान की बात माने अगर भगवान का अनुशासन उनकी बात उनकी आजा नहीं मानते कैसे शरणागत हो गुरुदेव का अनुशासन गुरुदेव की आजा नहीं वो कैसे आप 1R5EfjYgIko प्रभु कृपा करो कैसे क्या उपाय 10 दिन खूब भजन होगा तो गवे दिन कोई ना कोई विषय पूर्णा उसे परास्त करती उसे आकर्षित कर विचलित हो जाता है व दो महीने व ठीक से ब्रह्मचर्य चलाता है किसी एक घंटे के अंदर उसे विष का वृत्य गबड़ा जाता है उपासक अब क्या करें कोई विषय संबंध हो जाता है कोई आकर्षण अब क्या करें घबरा जाता है बहुत लंबे सफर के बाद रोते रोते हृदय अत्यंत दैन्य और निराश हो गया अब मेरी बस नहीं कि मैं इन विषयों पर विजय प्राप्त कर सकू त ऐसे वही कह रहे कि भवर में वो बल्ली भी फेंक देना व पतवार भी फेंक देना य हो हार कर सच्ची कहते सच्ची कहते हैं ये कागज के शेर है इनकी सामर्थ्य फिर नहीं होती कि गिरा सके 1UHn5bQCWiM हम भगवान के हैं कई बार कह चुके हैं इसका परिचय है हम मरना नहीं चाहते सच्चाई से देखो मरना नहीं चाहते कुछ ऐसा कुछ हो जाए कि मरना मिट जाए क्यों अविनाशी के बच्चा हो तुम्हारा भी अविनाशी स्वरूप है पर शरीर को मैं मानने के कारण मरना पड़ेगा इसलिए तुम्हारे अंदर एक चाहत है मैं मरना नहीं चाहता इसका मतलब मैं भगवान का अंश क्योंकि अविनाशी है दूसरी बात हमें दुख नहीं चाहिए सुख चाहिए सब बताओ केवल सुख चाहिए ऐसा सुख जिसमें दुख का लेश ना हो क्यों क्योंकि सुख सिंधु के अंश है तीसरी बात हम जिस डिपार्टमेंट में जहां भी सबसे बड़े बन जाए अगर बुरे से बुरे या भले से भले किसी भी मार्ग में हमें तो ये लगता है सबसे नामी और सबसे जोरदार हो जाए क्यों क्योंकि सबसे बड़े का बच्चा है वो सबसे बड़े भगवान है सबसे बड़ा बनना चाहता है कई ऐसे पिता के लक्षण है जो पुत्र में है जो अंश में है और वो शरीर में नहीं है शरीर को लेकर के कोई अविनाशी नहीं होता शरीर को लेकर के कोई सुखी नहीं होता शरीर को लेकर कभी कोई बड़ा नहीं इतना बड़ा नहीं बन सकता जिससे बड़ा कोई हो ना उस स्वरूप को लेके होता है हमारा स्वरूप भगवान का स्वरूप है जब तक नाम जप नहीं करोगे अज्ञान की दशा नहीं छोड़ोगे तो कैसे समझ में आएगा अपने आप को नहीं पहचाना तो अपने अंसी भगवान को कैसे जान जाओगे 1WhVPex_qVo महाराज जी कठिन परीक्षण नाम जप के बाद भी असफलता मिल रही है ऐसा लगता है चीज हमारे विपरीत जा रही बहुत भाग्यशाली हो कि आप नाम जप कर रहे हो थोड़ा सत्संग सुन कर के अपनी बुद्धि को ऐसी सामर्थ शली बनाइए कि दुख और विपत्ति तुम्हें परास्त ना कर पावे लड़ना सीखो दूसरों से नहीं अपने मन से आए हुए दुख से हारना मत सीखो फेल हो जाओ कोई बात अब हम य च करते कमी क रह गई हारना किसी को पसंद नहीं किसको अच्छा लगता है हारना जो चाहो कर सकते हो अभ्यास में बहुत बड़ी ताकत है हम फेल तभी होते जब हमारा अभ्यास कमजोर होता है वो सोने का थोड़ी बना जो विजय लेकर गया उसने हमसे ज्यादा अभ्यास कर लिया चूक होना अलग बात है अभ्यास की कमी होना अलग बात है एक बार हारेंगे दो बार हारेंगे तीसरी बार हम विजय प्राप्त करेंगे 1Xd-fAlJfC4 जिनकी जिब पे राधा वल्लभ सी हरिवंश नाम है गरज कर कह रहे हैं किसी की ताकत नहीं साप दे दे उसको ऊपर लागू हो जाए ये शनि शुक्र राहु केतु ये ग्रह नक्षत्र विनायक भूत प्रेत पिशाच नहीं जिसको इस बात की परीक्षा करनी हो कर लेना तो ये इसलिए कह रहे हैं या किसी को लगता हो कि राधा नाम जापक के ऊपर भूत चढ़ा सकते हैं तो भिजवा ना हमारे पास राधा वल्लभ कुंज कुटीर में भिजवा देना यही भूत लगा दे उसको भी श्री जी की सहचारी बना देंगे हां डरना नहीं राधा वल्लभ नाम जापक के ऊपर कभी कोई प्रेत पिशा विनायक भूत इनका आवेश नहीं हो सकता ये स्पर्श नहीं कर सकते वाणी जी हमारे यहां प्रमाण है कलयुग डरता है राधा वल्लभ नाम जापक से निरंतर नाम जप करते हुए हमें बिल्कुल निर्भय रहना है किसी के जंतुर बंधवाने की कोशिश मत करना कि राधावल्लभ नाम जापक जो है बोले कहां जा रहा है बोले वहां जंतु बंधवाने जा रहा है भयभीत मत होना किसी ताकत नहीं कि उसके अंदर प्रवेश कर सके नाम जपना ना भजन करना जो मांस खाते हैं शराब पीते हैं व विचार करते हैं भूत कहते हैं हमारे सजाती है हम इनसे मिलेंगे नाम जापक के ऊपर कोई आक्रमण कर सके ऐसा 1n9xpwP52dE इस संसार के चक्र से हटने के लिए एक ही उपाय है कि मानव देह में गुरु शरण होकर भजन कर ले और अपने आप को बचा ले तो बचा ले नहीं आगे बचाने की योग्यता हट जाती है वो देवताओं में भी नहीं है देवताओं में भी योग्यता नहीं है कि वो मुक्त हो जाए वो केवल सुख भोग भोग सकते हैं जितनी उनको पुण्य मिला है उसके अनुसार वो शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं केवल प्रयोग खर्चा कमा नहीं सकते एक सिक्का इसमें प्रयोग भी कर सकते हो खर्चा भी कर सकते हो इसलिए बड़े भाग मानुस तन पावा सुर दुर्लभ सद ग्रंथ ये देवताओं को भी दुर्लभ 1nanjNiXqlE जो अभी आपसे कुछ कहना है बोले आप क्या कहना चाहे कर [संगीत] बात चौकी पे चौकी वृंदावन छवि अच्छी [संगीत] [संगीत] [संगीत] 1q_-I6_gZjA अधर्म का पैसा लाओगे बहुत खतरा है उसमें पक्का खतरा है 100% खतरा है 1 पर भी छूट नहीं धर्म से सर्वनाश ही होता है आज तक चार दिन की चांदनी है पक्का समझ लो जहां कोई पापा आचरण करने लगता है तो उसको दंड देने के लिए पहले उसके पुण्य नष्ट किए जाते फटाफट उसको पुण्य भेजा जाता है उसकी उन्नति शुरू हो जाती है अब वो सोचता मैं पाप कर रहा हूं उन्नति हो रही कोई मेरा बाल बाका नहीं कर सकता लेकिन वो चाल नहीं समझ पा रहा जैसे कोई चार आदमी दो हाथ पकड़े दो पैर पकड़े ऊपर चढ़ा के ले जा रहे हो अगर तुम कहो कितना सम्मान से ले जा रहे चार लोग उसको चार ले ले जा रहे सम्मान से ऊपर से पटकने जा रहे हैं अधर्म आचरण करने वाला ऊंचाई पर जो चढ़ता है उसको पटकने के लिए चढ़ाया जाता है कि ऐसी ऊंचाई से ब्लास्ट होगा कि एकदम नष्ट हो जाएगा धर्मात्मा आदमी दीपक की तरह जलता है और अधर्मी हाइलोजन की तरह एकदम फोकस हुए ये जय जय जय जय मिट्टी में मिल गए आंखें खोल के देख लो तुम लोग तो समाचार पढ़ते हो संसार को देखते हो'
सम्पादन से हुए बदलावों का एकत्रित अंतर देखिए (edit_diff)
'@@ -90,2 +90,63 @@ [संगीत] प्रतिकूलता आए तो प्रसन्न हो जाओ तुम पवित्र किए जा रहे हो तुम्हारे अशुभ का नाश हो रहा है अब आगे महामंगल मोद आने वाला है अनुकूलता आवे तो सावधान हो जाओ भोग मत करो उसको बांटो उसको दूसरों के सुख में लगा दो हर्षित मत हो भोगता मत बनो प्रतिकूलता पर तुम विजय प्राप्त कर लोगे जब तुम उसका भोग करते हो अनुकूलता का तो भय खड़ा हो जाता है अगर यह अनुकूलता ना मिली तो मैं जी नहीं पाऊंगा कहीं ऐसा हुआ तो अनुकूलता का भोग सब करने में राजी है इसीलिए सब चिंता भय शोक से ग्रसित है भगवान यहां तुम्हें परम सुख प्रदान करने के लिए अमृत में वचन कहते हैं सुख दुख में सम रहना ये मानव देह की कला है इसी में आप रह सकते हैं पशु बन के नहीं कौन सुख दुख में समान होता है जो गुरुजनों के चरणों का आश्रय लेकर के जो भजन परायण है धर्म परायण है उसमें क्षमता आने लगती है क्या सत है क्या असत है इसका निर्णय करने की + + +0eAAfqLIjrQ + +मेरे मन में बहुत गंदे बुरे और नकारात्मक विचार आते हैं जिससे मन दुखी और अशांत रहता है प्रभु जी अगर इन मलीन विचारों से कोई कार्य रूपी चेष्टा नहीं होती तो इसका कोई अपराध तो नहीं लगेगा नाम जप करते रहना तो ये सब खत्म हो जाएंगे और नाम जप नहीं होगा तो तुम्हारी ताकत नहीं कि तुम रोक लो विचार क्रिया में आ ही जाएंगे स् पुरणा संकल्प और क्रिया अगर स् पुरणा में ही उसकी ताकत क्रिया तक ना पहुंचने पावे तो वह है नाम जप जब भगवत चिंतन भगवन नाम जप करते रहो तो व तुम्हें बल देगा कि क्रिया ना होने पावे और अंदर अंदर जो गंदी बात चल रही वो नष्ट हो जाएगी अगर आप नाम जप नहीं करें तो अंदर जो चल रहा है वो तुम चाहे जितना संभालो तुम्हारे संभलने में नहीं आएगा वो संकल्प बनेगा और क्रिया हो जाएगी इसलिए नाम जब पकड़े रहना तो बच सकते हो ये जो अंदर चिंतन मलिन होता का होता है ये पूर्व के संस्कार हैं उनको नाम बल से ही नष्ट किया जा सकता है अच्छे संस्कार अच्छे विचार अच्छी क्रियाएं ऊपर से डालो पीछे वाला सब डिलीट होता चला जाए तो नाम जप है भगवत कथा है संत सेवन है सत्संग आद इसके द्वारा हम अपनी अशुभ वासनाओं को नष्ट करते हैं + +0qdxyHglTPs + +महाराज कुछ मित्रों को प्रोत्साहित करते हैं नॉनवेज छोड़ने के लिए और फिशन छोड़ने के लिए तो कहते हैं जिंदगी में बचा ही क्या फिर करने को हां अभी जिंदगी को जीने के लिए उन्हे उ केवल इंद्रियों का विलास जाना है एक दिन जब इनको तमाशा लगेगा कर्म का तब ये तुमसे खुद पूछेंगे कि छोड़कर जिंदगी में जीने के लिए कोई और रास्ता है कि नहीं है कैंसर ऐसे फैल रहा है जैसे जुकाम और बुखार ये किन कारणों से फैल रहा है पापा चरणों से पापा चरण बढ़ता चला जा रहा है इनके बातों को मत सुनो जो इंद्रिय विलासिता में लगे कितने दिन इसको खवा कर रख लोगे कितने दिन तुम शराब पीकर ने फेफड़े और लीवर को शुद्ध रख पाओगे कितने दिन तुम व्य विचार करके पुरुषत्व को स्थित कर पाओगे काल के एक तमाशा में मिट्टी में मिल जाओगे फिर तुम्हारे जीवन का फल क्या रहा है जी रहे हो धन कमा रहे हो किसके लिए भोग भोगने के लिए और भोग भोग कर जी किसके लिए रहे हो भोगने के लिए बस एक ही क्रम जीने का उद्देश्य मानव जीवन का धर्म है सत्य है राष्ट्र है भगवान है ये कहां उच्च विचार रह गए क्यों केवल इंद्रियों के गुलाम बन गए शराब पीना बेविचर करना मांस खाना कर लो एक समय आएगा जब समय चूक जाएगा तब तुम्हारे सुधरने के चांस नहीं होंगे और फिर तुम्हें दुर्गति भोगनी होगी + +0w74plVUaBs + +सारे दुखों को रने की ताकत भगवान के भजन में है इसलिए प्यारे हम कह रहे मान जाओ नाम जप करो भगवान के आशित यह संसार बड़ा दुखम है अभी तुम्हारी समझ में नहीं आ रहा ऐसा ड्रामा चल रहा है बहुत विचित्र सत्य वस्तु एक बार भी सत्य वस्तु कोई बोलने के लिए तैयार नहीं सीधे अस्पताल जाओ अगर कोई रोग है अच्छे डॉक्टर से औषधि लो यह छूने और जंतुर बनवाने से कुछ नहीं होने वाला भगवान का नाम भवान की महिमा यह चमत्कार कर सकते हैं यह पक्का + +13ZdBcVA_lI + +मान लो आप हमारे पास आए हो आप मनमानी खानपान करें अंडा खा रहे मांस खा रहे हैं दुनिया का मदिरा पी रहे हैं ब विचार कर रहे हैं गंदे आचरण कर रहे आप हजार बार आओ क्या होने वाला है कुछ नहीं होने वाला आप सुनोगे सुना दोगे आपका परिवर्तन नहीं होगा आपका परिवर्तन तो तब होगा जब आप हमारी बात मानेंगे कि अब तक मैं भूल से करता रहा अब नहीं करूंगा तो सुधार शुरू हो जाएगा आना पड़ेगा ना धर्म में आना पड़ेगा ना अच्छा आहार विहार संयम उसमें आना पड़ेगा ऐसा नहीं कि आप कोई बहुत बड़े होसा अधर्मा आचरण करोगे पाप आचरण करोगे पुण्य बल से तुम्हारा नाम हो गया मरने के बाद नरक मिलेगा क्योंकि यहां आए हो मानव देह प्राप्त हुए भजन करके अच्छे कार्य करना चाहिए दूसरों को सुख 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को वही था म रामला के सामने ही था जी राम चंद्र कृपाल भजमन तने भाव में आप डूबे थे भाजी मुझे तो ऐसे ही लगा आप मुझे कभी ऐसा अनुभव नहीं होता मेरे प्राणनाथ कोई और है कभी वो वहां विराजमान हो रहे थे और शरीर और धाम निष्ठा प्राण तो व्याकुल थे तो बस फ और मं व पहुंच गए पक्का पक्का करोड़ों भक्तों की आस्था वहां लगी हुई थी मराज जी उदश देखे हर व्यक्ति की छाती गरी थी वो आंखों से देखा म कोई भी हो आज जब हमारे प्रभु वहां विराजमान हुए तो जो हृदय की उमगया कर सकती है उनके सामने एक चीटी क्या कर बस वो जैसे ले कि बच्चा क्या कर सकता भा आपके शब्द उस दिन बता रहे थे आपके अंदर में कितनी खुशी है कितना उमंग है + +1HMvh3LxLwA + +कहां से आए उज्जैन महाकालेश्वर क्या करते हो आप मैं वेडिंग फोटोग्राफी करता हूं तो महाराज जी का सत्संग सुनते हां जी इतने महीने से लगभग छह महीने से ऊपर हो चुका है तो 6 महीने में आपकी जब में से क्या आवाज करण आप महाराष्ट्र के दर्शन करने आए हैं तो मतलब मैं आपको बता नहीं सकता की मैं जब से महाराज जी से अभी तक देखा नहीं हूं मैं एक बार और ए चुका हूं मैं महाराज जी के दर्शन कर नहीं पाया था लेकिन जब से महाराज जी को देखा हूं ना ऐसा लगता है की कोई है हमारा वो मतलब उनकी जो आपने देखा होगा उनके स्माइल वो जो हंसते हैं मतलब एक शब्द नहीं बोल सकता हूं उनके लिए वो जीवन है वो अगर रख लेना आज मुझे तो मैं मेरा हंसते-हंसते पूरा जीवन छोड़ सकता हूं केवल वो मुझे ना करें अपनी साथ रख ले अपनी छतरी छाया में रख तो अगर देखा जाए आपके जीवन में आपकी डेली लाइफ स्टाइल में क्या चेंज हैं हमें पता नहीं था इतने टाइम हो गया इतना जन्म हो गया पता नहीं कितने जन्म हमने लिए होंगे फिर भी हम राधा नाम को नहीं जानता है एक संत हमारे बीच में ऐसे आके मतलब हम कहानी ना कहानी हमें + +1NbHyqmcIT4 + +गुरुदेव के वचन भले आपको लगता हो की हमें बहुत शास्त्रों का ज्ञान है पर यह तो बहुत हल्के वचन वो हल्के वचन आईटीएमई हल्के कर देंगे तुम्हारा पाप का भोज आज्ञा का बोझ सब नष्ट कर देगा बस वचनों को मां लो प्राय देखा जाता है लाखों लोग गुरु बनाने के लिए तैयार हैं लेकिन गुरु की बात माने के लिए 10 मिलन मुश्किल है गुरु माने के लिए लाखों तैयार है पर गुरु की बात माने के लिए 10 तैयार नहीं है कैसे कल्याण होगा तुम गुरु मानो या ना मानो तुम केवल बात मां लो वही है जो संतो की बात मां ले भगवान की बात माने अगर भगवान का अनुशासन उनकी बात उनकी आजा नहीं मानते कैसे शरणागत हो गुरुदेव का अनुशासन गुरुदेव की आजा नहीं वो कैसे आप + +1R5EfjYgIko + +प्रभु कृपा करो कैसे क्या उपाय 10 दिन खूब भजन होगा तो गवे दिन कोई ना कोई विषय पूर्णा उसे परास्त करती उसे आकर्षित कर विचलित हो जाता है व दो महीने व ठीक से ब्रह्मचर्य चलाता है किसी एक घंटे के अंदर उसे विष का वृत्य गबड़ा जाता है उपासक अब क्या करें कोई विषय संबंध हो जाता है कोई आकर्षण अब क्या करें घबरा जाता है बहुत लंबे सफर के बाद रोते रोते हृदय अत्यंत दैन्य और निराश हो गया अब मेरी बस नहीं कि मैं इन विषयों पर विजय प्राप्त कर सकू त ऐसे वही कह रहे कि भवर में वो बल्ली भी फेंक देना व पतवार भी फेंक देना य हो हार कर सच्ची कहते सच्ची कहते हैं ये कागज के शेर है इनकी सामर्थ्य फिर नहीं होती कि गिरा सके + +1UHn5bQCWiM + +हम भगवान के हैं कई बार कह चुके हैं इसका परिचय है हम मरना नहीं चाहते सच्चाई से देखो मरना नहीं चाहते कुछ ऐसा कुछ हो जाए कि मरना मिट जाए क्यों अविनाशी के बच्चा हो तुम्हारा भी अविनाशी स्वरूप है पर शरीर को मैं 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रहा अब नहीं करूंगा तो सुधार शुरू हो जाएगा आना पड़ेगा ना धर्म में आना पड़ेगा ना अच्छा आहार विहार संयम उसमें आना पड़ेगा ऐसा नहीं कि आप कोई बहुत बड़े होसा अधर्मा आचरण करोगे पाप आचरण करोगे पुण्य बल से तुम्हारा नाम हो गया मरने के बाद नरक मिलेगा क्योंकि यहां आए हो मानव देह प्राप्त हुए भजन करके अच्छे कार्य करना चाहिए दूसरों को सुख देने वाले कार्य करना चाहिए उबाल उबाल के जीवों को खा रहे हो ये तुम्हारा अच्छा कर्म है मदिरा पी रहे हो बड़े बुजुर्गों का अपमान कर रहे हो धन को व्यर्थ नष्ट कर रहे हो य विचार कर रहे हो मनुष्य जीवन का कर्तव्य भोगना पड़ेगा ', 17 => '', 18 => '1DMpT4uqqOg', 19 => '', 20 => 'दो घंटे शांत भाव से एक नाम को जपो अब समस्या आ जाएगी अब परेशानी दो घंटे प्रवचन सुन सकते हो माना लेकिन दो घंटे एक नाम को बराबर चलाओ राधा राधा राधा राधा राधा राधा राधा अब देख लो फिर मन क्या समस्या करता हो खुद देख लीजिए आप नाम जो है वो निरंतर उठते बैठते चलते फिरते सोते जागते समय समय पर कथा सेवा हो गई और नाम तो यह मन को अमनाह कर देता है और निर्विक मन सच्चिदानंद भगवान के प्रेम का अधिकारी जब तक विषय मन है तब तक धोखेबाज है यह प्रभु में भी रो देगा और विषय में भी रो देगा इसका कोई विश्वास नहीं है पहरेदार नाम है तो कोई विकार हमको नष्ट नहीं कर सकता नाम मुख में चल रहा है हम जीवन मुक्त अभी हैं पक्का विश्वास करो नाम पकड़ो लीला गायन करो लीला श्रवण करो ठाकुर सेवा करो समाज सेवा करो यह सब करो पर नाम पकड़ो ', 21 => '', 22 => '1E3b2IPop-M', 23 => '', 24 => 'सरकार 22 जनवरी का आपका उद्बोधन जो सुना मैं 22 जनवरी को वही था म रामला के सामने ही था जी राम चंद्र कृपाल भजमन तने भाव में आप डूबे थे भाजी मुझे तो ऐसे ही लगा आप मुझे कभी ऐसा अनुभव नहीं होता मेरे प्राणनाथ कोई और है कभी वो वहां विराजमान हो रहे थे और शरीर और धाम निष्ठा प्राण तो व्याकुल थे तो बस फ और मं व पहुंच गए पक्का पक्का करोड़ों भक्तों की आस्था वहां लगी हुई थी मराज जी उदश देखे हर व्यक्ति की छाती गरी थी वो आंखों से देखा म कोई भी हो आज जब हमारे प्रभु वहां विराजमान हुए तो जो हृदय की उमगया कर सकती है उनके सामने एक चीटी क्या कर बस वो जैसे ले कि बच्चा क्या कर सकता भा आपके शब्द उस दिन बता रहे थे आपके अंदर में कितनी खुशी है कितना उमंग है ', 25 => '', 26 => '1HMvh3LxLwA', 27 => '', 28 => 'कहां से आए उज्जैन महाकालेश्वर क्या करते हो आप मैं वेडिंग फोटोग्राफी करता हूं तो महाराज जी का सत्संग सुनते हां जी इतने महीने से लगभग छह महीने से ऊपर हो चुका है तो 6 महीने में आपकी जब में से क्या आवाज करण आप महाराष्ट्र के दर्शन करने आए हैं तो मतलब मैं आपको बता नहीं सकता की मैं जब से महाराज जी से अभी तक देखा नहीं हूं मैं एक बार और ए चुका हूं मैं महाराज जी के दर्शन कर नहीं पाया था लेकिन जब से महाराज जी को देखा हूं ना ऐसा लगता है की कोई है हमारा वो मतलब उनकी जो आपने देखा होगा उनके स्माइल वो जो हंसते हैं मतलब एक शब्द नहीं बोल सकता हूं उनके लिए वो जीवन है वो अगर रख लेना आज मुझे तो मैं मेरा हंसते-हंसते पूरा जीवन छोड़ सकता हूं केवल वो मुझे ना करें अपनी साथ रख ले अपनी छतरी छाया में रख तो अगर देखा जाए आपके जीवन में आपकी डेली लाइफ स्टाइल में क्या चेंज हैं हमें पता नहीं था इतने टाइम हो गया इतना जन्म हो गया पता नहीं कितने जन्म हमने लिए होंगे फिर भी हम राधा नाम को नहीं जानता है एक संत हमारे बीच में ऐसे आके मतलब हम कहानी ना कहानी हमें ', 29 => '', 30 => '1NbHyqmcIT4', 31 => '', 32 => 'गुरुदेव के वचन भले आपको लगता हो की हमें बहुत शास्त्रों का ज्ञान है पर यह तो बहुत हल्के वचन वो हल्के वचन आईटीएमई हल्के कर देंगे तुम्हारा पाप का भोज आज्ञा का बोझ सब नष्ट कर देगा बस वचनों को मां लो प्राय देखा जाता है लाखों लोग गुरु बनाने के लिए तैयार हैं लेकिन गुरु की बात माने के लिए 10 मिलन मुश्किल है गुरु माने के लिए लाखों तैयार है पर गुरु की बात माने के लिए 10 तैयार नहीं है कैसे कल्याण होगा तुम गुरु मानो या ना मानो तुम केवल बात मां लो वही है जो संतो की बात मां ले भगवान की बात माने अगर भगवान का अनुशासन उनकी बात उनकी आजा नहीं मानते कैसे शरणागत हो गुरुदेव का अनुशासन गुरुदेव की आजा नहीं वो कैसे आप ', 33 => '', 34 => '1R5EfjYgIko', 35 => '', 36 => 'प्रभु कृपा करो कैसे क्या उपाय 10 दिन खूब भजन होगा तो गवे दिन कोई ना कोई विषय पूर्णा उसे परास्त करती उसे आकर्षित कर विचलित हो जाता है व दो महीने व ठीक से ब्रह्मचर्य चलाता है किसी एक घंटे के अंदर उसे विष का वृत्य गबड़ा जाता है उपासक अब क्या करें कोई विषय संबंध हो जाता है कोई आकर्षण अब क्या करें घबरा जाता है बहुत लंबे सफर के बाद रोते रोते हृदय अत्यंत दैन्य और निराश हो गया अब मेरी बस नहीं कि मैं इन विषयों पर विजय प्राप्त कर सकू त ऐसे वही कह रहे कि भवर में वो बल्ली भी फेंक देना व पतवार भी फेंक देना य हो हार कर सच्ची कहते सच्ची कहते हैं ये कागज के शेर है इनकी सामर्थ्य फिर नहीं होती कि गिरा सके ', 37 => '', 38 => '1UHn5bQCWiM', 39 => '', 40 => 'हम भगवान के हैं कई बार कह चुके हैं इसका परिचय है हम मरना नहीं चाहते सच्चाई से देखो मरना नहीं चाहते कुछ ऐसा कुछ हो जाए कि मरना मिट जाए क्यों अविनाशी के बच्चा हो तुम्हारा भी अविनाशी स्वरूप है पर शरीर को मैं मानने के कारण मरना पड़ेगा इसलिए तुम्हारे अंदर एक चाहत है मैं मरना नहीं चाहता इसका मतलब मैं भगवान का अंश क्योंकि अविनाशी है दूसरी बात हमें दुख नहीं चाहिए सुख चाहिए सब बताओ केवल सुख चाहिए ऐसा सुख जिसमें दुख का लेश ना हो क्यों क्योंकि सुख सिंधु के अंश है तीसरी बात हम जिस डिपार्टमेंट में जहां भी सबसे बड़े बन जाए अगर बुरे से बुरे या भले से भले किसी भी मार्ग में हमें तो ये लगता है सबसे नामी और सबसे जोरदार हो जाए क्यों क्योंकि सबसे बड़े का बच्चा है वो सबसे बड़े भगवान है सबसे बड़ा बनना चाहता है कई ऐसे पिता के लक्षण है जो पुत्र में है जो अंश में है और वो शरीर में नहीं है शरीर को लेकर के कोई अविनाशी नहीं होता शरीर को लेकर के कोई सुखी नहीं होता शरीर को लेकर कभी कोई बड़ा नहीं इतना बड़ा नहीं बन सकता जिससे बड़ा कोई हो ना उस स्वरूप को लेके होता है हमारा स्वरूप भगवान का स्वरूप है जब तक नाम जप नहीं करोगे अज्ञान की दशा नहीं छोड़ोगे तो कैसे समझ में आएगा अपने आप को नहीं पहचाना तो अपने अंसी भगवान को कैसे जान जाओगे ', 41 => '', 42 => '1WhVPex_qVo', 43 => '', 44 => 'महाराज जी कठिन परीक्षण नाम जप के बाद भी असफलता मिल रही है ऐसा लगता है चीज हमारे विपरीत जा रही बहुत भाग्यशाली हो कि आप नाम जप कर रहे हो थोड़ा सत्संग सुन कर के अपनी बुद्धि को ऐसी सामर्थ शली बनाइए कि दुख और विपत्ति तुम्हें परास्त ना कर पावे लड़ना सीखो दूसरों से नहीं अपने मन से आए हुए दुख से हारना मत सीखो फेल हो जाओ कोई बात अब हम य च करते कमी क रह गई हारना किसी को पसंद नहीं किसको अच्छा लगता है हारना जो चाहो कर सकते हो अभ्यास में बहुत बड़ी ताकत है हम फेल तभी होते जब हमारा अभ्यास कमजोर होता है वो सोने का थोड़ी बना जो विजय लेकर गया उसने हमसे ज्यादा अभ्यास कर लिया चूक होना अलग बात है अभ्यास की कमी होना अलग बात है एक बार हारेंगे दो बार हारेंगे तीसरी बार हम विजय प्राप्त करेंगे ', 45 => '', 46 => '1Xd-fAlJfC4', 47 => '', 48 => 'जिनकी जिब पे राधा वल्लभ सी हरिवंश नाम है गरज कर कह रहे हैं किसी की ताकत नहीं साप दे दे उसको ऊपर लागू हो जाए ये शनि शुक्र राहु केतु ये ग्रह नक्षत्र विनायक भूत प्रेत पिशाच नहीं जिसको इस बात की परीक्षा करनी हो कर लेना तो ये इसलिए कह रहे हैं या किसी को लगता हो कि राधा नाम जापक के ऊपर भूत चढ़ा सकते हैं तो भिजवा ना हमारे पास राधा वल्लभ कुंज कुटीर में भिजवा देना यही भूत लगा दे उसको भी श्री जी की सहचारी बना देंगे हां डरना नहीं राधा वल्लभ नाम जापक के ऊपर कभी कोई प्रेत पिशा विनायक भूत इनका आवेश नहीं हो सकता ये स्पर्श नहीं कर सकते वाणी जी हमारे यहां प्रमाण है कलयुग डरता है राधा वल्लभ नाम जापक से निरंतर नाम जप करते हुए हमें बिल्कुल निर्भय रहना है किसी के जंतुर बंधवाने की कोशिश मत करना कि राधावल्लभ नाम जापक जो है बोले कहां जा रहा है बोले वहां जंतु बंधवाने जा रहा है भयभीत मत होना किसी ताकत नहीं कि उसके अंदर प्रवेश कर सके नाम जपना ना भजन करना जो मांस खाते हैं शराब पीते हैं व विचार करते हैं भूत कहते हैं हमारे सजाती है हम इनसे मिलेंगे नाम जापक के ऊपर कोई आक्रमण कर सके ऐसा ', 49 => '', 50 => '1n9xpwP52dE', 51 => '', 52 => 'इस संसार के चक्र से हटने के लिए एक ही उपाय है कि मानव देह में गुरु शरण होकर भजन कर ले और अपने आप को बचा ले तो बचा ले नहीं आगे बचाने की योग्यता हट जाती है वो देवताओं में भी नहीं है देवताओं में भी योग्यता नहीं है कि वो मुक्त हो जाए वो केवल सुख भोग भोग सकते हैं जितनी उनको पुण्य मिला है उसके अनुसार वो शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं केवल प्रयोग खर्चा कमा नहीं सकते एक सिक्का इसमें प्रयोग भी कर सकते हो खर्चा भी कर सकते हो इसलिए बड़े भाग मानुस तन पावा सुर दुर्लभ सद ग्रंथ ये देवताओं को भी दुर्लभ ', 53 => '', 54 => '1nanjNiXqlE', 55 => '', 56 => 'जो अभी आपसे कुछ कहना है बोले आप क्या कहना चाहे कर [संगीत] बात चौकी पे चौकी वृंदावन छवि अच्छी [संगीत] [संगीत] [संगीत] ', 57 => '', 58 => '1q_-I6_gZjA', 59 => '', 60 => 'अधर्म का पैसा लाओगे बहुत खतरा है उसमें पक्का खतरा है 100% खतरा है 1 पर भी छूट नहीं धर्म से सर्वनाश ही होता है आज तक चार दिन की चांदनी है पक्का समझ लो जहां कोई पापा आचरण करने लगता है तो उसको दंड देने के लिए पहले उसके पुण्य नष्ट किए जाते फटाफट उसको पुण्य भेजा जाता है उसकी उन्नति शुरू हो जाती है अब वो सोचता मैं पाप कर रहा हूं उन्नति हो रही कोई मेरा बाल बाका नहीं कर सकता लेकिन वो चाल नहीं समझ पा रहा जैसे कोई चार आदमी दो हाथ पकड़े दो पैर पकड़े ऊपर चढ़ा के ले जा रहे हो अगर तुम कहो कितना सम्मान से ले जा रहे चार लोग उसको चार ले ले जा रहे सम्मान से ऊपर से पटकने जा रहे हैं अधर्म आचरण करने वाला ऊंचाई पर जो चढ़ता है उसको पटकने के लिए चढ़ाया जाता है कि ऐसी ऊंचाई से ब्लास्ट होगा कि एकदम नष्ट हो जाएगा धर्मात्मा आदमी दीपक की तरह जलता है और अधर्मी हाइलोजन की तरह एकदम फोकस हुए ये जय जय जय जय मिट्टी में मिल गए आंखें खोल के देख लो तुम लोग तो समाचार पढ़ते हो संसार को देखते हो' ]
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