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'{{ज्ञानसन्दूक व्यक्ति|birth_date=10 फरवरी सन् 1014 ईस्वी|माता-पिता=[[हजरत सैयद सालार गाजी|सालार]] (पिता)|जातीयता=सय्यद मुसलमान भारतीय |burial_place=दरगाह शरीफ [[बहराइच]]‌भारत |relatives=[[हजरत सुलतान महमूद ग़ज़नवी]] (मामा)|religion=इस्लाम|ethnicity=[[सुन्नी इस्लाम]]|अवधि=1014 से 1034 तक|resting_place_coordinates={{coord|27|35|37.7|N|81|36|52.7|E}}|other_names=ग़ाज़ी सरकार|प्रसिद्धि कारण=अजमेर से बहराइच आकर जंग की|death_date=15 जून सन् 1034 ईस्वी|उपनाम=ग़ाज़ी मियां|title=ग़ाज़ी|resting_place=दरगाह शरीफ बहराइच|मृत्यु का कारण=जंग में मारा गया |death_place=[[बहराइच]] [[उत्तर प्रदेश]]<nowiki> [[भारत] </nowiki>|birth_place=[[अजमेर]] [[राजस्थान]] [[भारत]] |birth_name=हजरत सैय्यद मसूद|name=हजरत‌सैय्यद सालार मसूद ग़ाज़ी |image=Mazar Syed Salar Masood Ghazi Bahraich.jpg|caption= हजरत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की मजार|website=}}'''हजरत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी''' या '''गाज़ी मियाँ''' (1014 - 1034) अर्ध-पौराणिक [[ग़ज़नवी साम्राज्य|ग़ज़नवी]] सेना के मुखिया थे जिनहे [[महमूद ग़ज़नवी|सुल्तान महमूद]] का भाँजा कहा जाता है। माना जाता है कि वह 11वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत के विजय में अपने मामा के साथ आऐ थे था ।हालांकि ग़ज़नवी [[इतिवृत्त]] में उनका उल्लेख नहीं है।<ref>{{cite news |title=How Amit Shah and the BJP have twisted the story of Salar Masud and Raja Suheldev |url=https://scroll.in/article/841590/how-amit-shah-and-the-bjp-have-twisted-the-story-of-salar-masud-and-raja-suheldev |accessdate=2 जुलाई 2018 |work=Scroll.in |date=17 जुलाई 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180703021924/https://scroll.in/article/841590/how-amit-shah-and-the-bjp-have-twisted-the-story-of-salar-masud-and-raja-suheldev |archive-date=3 जुलाई 2018 |url-status=dead }}</ref> 12वीं शताब्दी तक, सालार मसूद एक संत लुटेरे के रूप में प्रतिष्ठित हो गऐ थे और भारत के उत्तर प्रदेश, [[बहराइच]] में उनकी दरगाह तीर्थयात्रा का स्थान बन गई थी।<ref>{{cite news |title=VHP की 'दरगाह की जगह मंदिर' की योजना को योगी का समर्थन |url=https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/politics/yogi-backs-vhps-mandir-in-place-of-dargah-plan/articleshow/58677727.cms |accessdate=2 जुलाई 2018 |work=[[नवभारत टाइम्स]] |date=15 मई 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180703023428/https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/politics/yogi-backs-vhps-mandir-in-place-of-dargah-plan/articleshow/58677727.cms |archive-date=3 जुलाई 2018 |url-status=live }}</ref> हालांकि, ग़ज़नवी के साथ उनका संबंध केवल बाद के स्रोतों में दिखाई देता है। उनकी जीवनी का मुख्य स्रोत 17वीं शताब्दी की ऐतिहासिक कल्पित कथा ''मिरात-ए-मसूदी'' है। ब्रिटिश शासन के समय लिखवाए गए विभिन्न गजेटियर में सय्यद सलार मसूद गाजी र•अ पापी द्वारा अवध क्षेत्र के जीते गए सैकड़ों किलों, गढ़ी, का उल्लेख मिलता है। ==उल्लेखनीय कार्य== सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी के उल्लेखनीय कार्य निम्न है : *उन्होने अज़मेर के राजा को हराया और उनकी बहन से बालात्कारिता विवाह किया।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=157}}{{sfn|Shahid Amin|2016|p=xiii}} *सोमनाथ को ध्वस्त करने के इरादे से आक्रमण करना।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=157}} *बहराइच के सूर्य मन्दिर को तोड़कर मस्जिद बनाना।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=158|quote=He wished to destroy the sun temple shrine and reside there mosque.}}{{sfn|W.C. Benett|1877|p=111–113}} *युद्ध में मृत्यु के पश्चात गाज़ी (धार्मिक योद्धा) की उपाधि पाना।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=158}}{{sfn|W.C. Benett|1877|p=111–113}} ===ब्रिटिश काल=== 19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश प्रशासक मसूद के प्रति हिंदू लोगों की श्रद्धा से हतप्रभ थे।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=160}} [[विलियम हेनरी स्लीमन]], अवध में ब्रिटिश रेजिडेंट ने टिप्पणी की:{{sfn|P. D. Reeves|2010|p=69}} {{cquote|यह कहना अजीब है कि मुसलमान के साथ-साथ हिन्दू भी इस दरगाह में चढ़ावा चढ़ाते हैं, और इस सैन्य गुण्डे के पक्ष में प्रार्थना करते हैं, जिसकी एकमात्र दर्ज योग्यता यह है कि उसने अपने क्षेत्र पर अनियंत्रित और अकारण आक्रमण में बड़ी संख्या में हिंदुओं को नष्ट कर दिया। वे कहते हैं, कि उसने अपने कर्तव्यों के कर्तव्यनिष्ठापूर्वक निर्वहन में हिंदुओं के विरुद्ध जो किया, और वह ईश्वर की अनुमति के बिना ऐसा नहीं कर सकता था - तब ईश्वर उनके अपराधों के लिए उनसे क्रोधित हुए होंगे, और उन्होंने इस व्यक्ति और सभी का उपयोग किया होगा अपने देश के अन्य मुस्लिम आक्रमणकारियों को, अपने प्रतिशोध के साधन के रूप में, और अपने उद्देश्यों को पूरा करने के साधन के रूप में , हिंदुओं का सोच वाला हिस्सा ऐसा कहता है।}} == किंवदंती == सन् 1011 में [[अजमेर]] मुस्लिम सुल्तान महमूद से मदद की माँग की। महमूद के सेनापति [[सैयद सालार गाजी|सालार साहू]] ने अजमेर और आस-पास के क्षेत्रों के हिंदू शासकों को हराया। एक इनाम के रूप में महमूद ने अपनी बहन का सालार से विवाह किया। मसूद इसी विवाह का बालक था। मसूद का जन्म अजमेर में 10 फरवरी सन् 1014 में हुआ था। फौजी और धार्मिक उत्साह से प्रेरित, मसूद ने ग़ज़नवी सम्राट से भारत आने और इस्लाम फैलाने की अनुमति माँगी। 16 साल की उम्र में, उसने [[सिंधु नदी]] पार करते हुए भारत पर हमला किया। उसने [[मुल्तान]] पर विजय प्राप्त की और अपने अभियान के 18वें महीने में, वह [[दिल्ली]] के पास पहुँचे। [[गज़नी]] से बल वृद्धि के बाद उन्होंने दिल्ली पर विजय प्राप्त की और 6 महीने तक वहाँ रहे। उसके बाद उसने कुछ प्रतिरोध के बाद [[मेरठ]] पर विजय प्राप्त की। इसके बाद वह [[कन्नौज]] चला गये। सय्यद मसूद ने सतरिख में अपना मुख्यालय स्थापित किया और [[बहराइच]], [[हरदोई]] और [[बनारस]] का कब्जा करने के लिए अलग-अलग बलों को भेज दिया। बहराइच के राजा समेत स्थानीय शासकों ने उसकी सेना के खिलाफ गठबंधन बनाया। उनके पिता सालार तब बहराइच पहुंचे और दुश्मनों को हराया। उनके पिता सालार का 4 अक्तूबर 1032 को सतरिख में निधन हो गया। मसूद के उस्ताद सुलतानुल आरीफीन [[सय्यद इब्राहिम शहीद]] ख़बर मिलते ही मेदान जंग में गये और Sala को दफनाया फिर अगले दिन सुबह से सय्यद मसूद के अभियानों को जारी रखा और महाराजा [[सुहेलदेव राजभर]] (सहरदेव)को कत्ल नहीं पाया कर दिया और बाद भाग गया में [[सय्यद इब्राहिम शहीद]] बहराइच भी शहीद हो गये । <ref>इतिहास इस्लाम हिंद पुष्ट 22 लेख मौलवी सय्यद मुहम्मद रफी कम्हेडा </ref> बहराइच के हिंदू प्रमुख पूरी तरह से अधीन नहीं हुए थे, इसलिए सय्यद मसूद स्वयं सन् 1033 में बहराइच पहुँचे। महाराजा [[सुहेलदेव राजभर]] नामक शासक के आगमन तक, बहराइच में अपने हिंदू दुश्मनों को मसूद हराता चला गया। वह 15 जून 1034 को सुहेलदेव के खिलाफ लड़ाई में घातक रूप से घायल हो गया ।<ref>{{cite news |title=निनाद : अतीत का तिलिस्म और गाजी मियां |url=https://www.jansatta.com/sunday-magazine/ghazi-saiyyad-salar-masud-gazi-baba/48217/ |accessdate=2 जुलाई 2018 |work=[[जनसत्ता]] |date=18 नव्मबर 2015 |language=hi-IN |archive-url=https://web.archive.org/web/20180703050446/https://www.jansatta.com/sunday-magazine/ghazi-saiyyad-salar-masud-gazi-baba/48217/ |archive-date=3 जुलाई 2018 |url-status=dead }}</ref> मरने के दौरान, उन्होंने अपने अनुयायियों से जंगल में स्थित तालाब के तट पर , एक कुआ के निकट, उन्होंने दफनाने के लिए कहा। क्योंकि उस ने हज़ारो हिन्दुओं की हत्या की थी , इस लिए उसे गाज़ी (धार्मिक योद्धा) के रूप में जाना जाने लगा। [[File:Nall Darwaza Bahrach.jpg|thumb|सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की दरगाह का प्रवेश द्वार]] == वर्तमान == 2019 तक, मसूद के दरगाह में आयोजित वार्षिक मेले के अधिकांश आगंतुक हिंदू थे। सालार मसूद की महिमा करने वाली स्थानीय किंवदंतियों के मुताबिक, उसको पराजित करने वाला सुहेलदेव एक पराक्रमी राजा था. जिसने अपनी प्रजा का उद्धार किया था। लेकिन [[हिन्दुत्व|हिन्दुओं]] द्वारा सुहेलदेव को एक हिन्दू व्यक्ति रूप में चित्रित किया है ,जो क्रूर मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ा था। वही मसूद को एक विदेशी आक्रांता के रूप में चित्रित किया है जिसने हज़ारो हिंदुओं का नाश किया। जंग में लड़ते हुए मर जाने पर '''मुस्लिमो द्वारा शहीद''' और जंग पर हार प्राप्त करने पर '''ग़ाज़ी''' की उपाधि से सम्मानित किया जाता है। ==सन्दर्भ== {{टिप्पणीसूची}} {{इस्लाम-व्यक्ति-आधार}} [[श्रेणी:इस्लाम का इतिहास]] [[श्रेणी:मुस्लिम सुधारक]] [[श्रेणी:इस्लाम के प्रचारक]] [[श्रेणी:बहराइच की हस्तियाँ]] [[श्रेणी:ग़ज़नवी साम्राज्य]] [[श्रेणी:भारत की दरगाहें]] [[श्रेणी:बहराइच के लोग]]'
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'{{ज्ञानसन्दूक व्यक्ति|birth_date=10 फरवरी सन् 1014 ईस्वी|माता-पिता=[[हजरत सैयद सालार गाजी|सालार]] (पिता)|जातीयता=सय्यद मुसलमान भारतीय |burial_place=दरगाह शरीफ [[बहराइच]]‌भारत |relatives=[[हजरत सुलतान महमूद ग़ज़नवी]] (मामा)|religion=इस्लाम|ethnicity=[[सुन्नी इस्लाम]]|अवधि=1014 से 1034 तक|resting_place_coordinates={{coord|27|35|37.7|N|81|36|52.7|E}}|other_names=ग़ाज़ी सरकार|प्रसिद्धि कारण=अजमेर से बहराइच आकर जंग की|death_date=15 जून सन् 1034 ईस्वी|उपनाम=ग़ाज़ी मियां|title=ग़ाज़ी|resting_place=दरगाह शरीफ बहराइच|मृत्यु का कारण=जंग में मारा गया |death_place=[[बहराइच]] [[उत्तर प्रदेश]]<nowiki> [[भारत] </nowiki>|birth_place=[[अजमेर]] [[राजस्थान]] [[भारत]] |birth_name=हजरत सैय्यद मसूद|name=हजरत‌सैय्यद सालार मसूद ग़ाज़ी |image=Mazar Syed Salar Masood Ghazi Bahraich.jpg|caption= हजरत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की मजार|website=}}'''हजरत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी''' या '''गाज़ी मियाँ''' (1014 - 1034) अर्ध-पौराणिक [[ग़ज़नवी साम्राज्य|ग़ज़नवी]] सेना के मुखिया थे जिनहे [[महमूद ग़ज़नवी|सुल्तान महमूद]] का भाँजा कहा जाता है। माना जाता है कि वह 11वीं शताब्दी की शुरुआत में भारत के विजय में अपने मामा के साथ आऐ थे था ।हालांकि ग़ज़नवी [[इतिवृत्त]] में उनका उल्लेख नहीं है।<ref>{{cite news |title=How Amit Shah and the BJP have twisted the story of Salar Masud and Raja Suheldev |url=https://scroll.in/article/841590/how-amit-shah-and-the-bjp-have-twisted-the-story-of-salar-masud-and-raja-suheldev |accessdate=2 जुलाई 2018 |work=Scroll.in |date=17 जुलाई 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180703021924/https://scroll.in/article/841590/how-amit-shah-and-the-bjp-have-twisted-the-story-of-salar-masud-and-raja-suheldev |archive-date=3 जुलाई 2018 |url-status=dead }}</ref> 12वीं शताब्दी तक, सालार मसूद एक संत लुटेरे के रूप में प्रतिष्ठित हो गऐ थे और भारत के उत्तर प्रदेश, [[बहराइच]] में उनकी दरगाह तीर्थयात्रा का स्थान बन गई थी।<ref>{{cite news |title=VHP की 'दरगाह की जगह मंदिर' की योजना को योगी का समर्थन |url=https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/politics/yogi-backs-vhps-mandir-in-place-of-dargah-plan/articleshow/58677727.cms |accessdate=2 जुलाई 2018 |work=[[नवभारत टाइम्स]] |date=15 मई 2017 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180703023428/https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/lucknow/politics/yogi-backs-vhps-mandir-in-place-of-dargah-plan/articleshow/58677727.cms |archive-date=3 जुलाई 2018 |url-status=live }}</ref> हालांकि, ग़ज़नवी के साथ उनका संबंध केवल बाद के स्रोतों में दिखाई देता है। उनकी जीवनी का मुख्य स्रोत 17वीं शताब्दी की ऐतिहासिक कल्पित कथा ''मिरात-ए-मसूदी'' है। ब्रिटिश शासन के समय लिखवाए गए विभिन्न गजेटियर में सय्यद सलार मसूद गाजी र•अ पापी द्वारा अवध क्षेत्र के जीते गए सैकड़ों किलों, गढ़ी, का उल्लेख मिलता है। ==उल्लेखनीय कार्य== सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी के उल्लेखनीय कार्य निम्न है : *उन्होने अज़मेर के राजा को हराया और उनकी बहन से बालात्कारिता विवाह किया।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=157}}{{sfn|Shahid Amin|2016|p=xiii}} *सोमनाथ को ध्वस्त करने के इरादे से आक्रमण करना।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=157}} *बहराइच के सूर्य मन्दिर को तोड़कर मस्जिद बनाना।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=158|quote=He wished to destroy the sun temple shrine and reside there mosque.}}{{sfn|W.C. Benett|1877|p=111–113}} *युद्ध में मृत्यु के पश्चात गाज़ी (धार्मिक योद्धा) की उपाधि पाना।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=158}}{{sfn|W.C. Benett|1877|p=111–113}} ===ब्रिटिश काल=== 19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश प्रशासक मसूद के प्रति हिंदू लोगों की श्रद्धा से हतप्रभ थे।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=160}} [[विलियम हेनरी स्लीमन]], अवध में ब्रिटिश रेजिडेंट ने टिप्पणी की:{{sfn|P. D. Reeves|2010|p=69}} {{cquote|यह कहना अजीब है कि मुसलमान के साथ-साथ हिन्दू भी इस दरगाह में चढ़ावा चढ़ाते हैं, और इस सैन्य गुण्डे के पक्ष में प्रार्थना करते हैं, जिसकी एकमात्र दर्ज योग्यता यह है कि उसने अपने क्षेत्र पर अनियंत्रित और अकारण आक्रमण में बड़ी संख्या में हिंदुओं को नष्ट कर दिया।}} == किंवदंती == सन् 1011 में [[अजमेर]] मुस्लिम सुल्तान महमूद से मदद की माँग की। महमूद के सेनापति [[सैयद सालार गाजी|सालार साहू]] ने अजमेर और आस-पास के क्षेत्रों के हिंदू शासकों को हराया। एक इनाम के रूप में महमूद ने अपनी बहन का सालार से विवाह किया। मसूद इसी विवाह का बालक था। मसूद का जन्म अजमेर में 10 फरवरी सन् 1014 में हुआ था। फौजी और धार्मिक उत्साह से प्रेरित, मसूद ने ग़ज़नवी सम्राट से भारत आने और इस्लाम फैलाने की अनुमति माँगी। 16 साल की उम्र में, उसने [[सिंधु नदी]] पार करते हुए भारत पर हमला किया। उसने [[मुल्तान]] पर विजय प्राप्त की और अपने अभियान के 18वें महीने में, वह [[दिल्ली]] के पास पहुँचे। [[गज़नी]] से बल वृद्धि के बाद उन्होंने दिल्ली पर विजय प्राप्त की और 6 महीने तक वहाँ रहे। उसके बाद उसने कुछ प्रतिरोध के बाद [[मेरठ]] पर विजय प्राप्त की। इसके बाद वह [[कन्नौज]] चला गये। सय्यद मसूद ने सतरिख में अपना मुख्यालय स्थापित किया और [[बहराइच]], [[हरदोई]] और [[बनारस]] का कब्जा करने के लिए अलग-अलग बलों को भेज दिया। बहराइच के राजा समेत स्थानीय शासकों ने उसकी सेना के खिलाफ गठबंधन बनाया। उनके पिता सालार तब बहराइच पहुंचे और दुश्मनों को हराया। उनके पिता सालार का 4 अक्तूबर 1032 को सतरिख में निधन हो गया। मसूद के उस्ताद सुलतानुल आरीफीन [[सय्यद इब्राहिम शहीद]] ख़बर मिलते ही मेदान जंग में गये और Sala को दफनाया फिर अगले दिन सुबह से सय्यद मसूद के अभियानों को जारी रखा और महाराजा [[सुहेलदेव राजभर]] (सहरदेव)को कत्ल नहीं पाया कर दिया और बाद भाग गया में [[सय्यद इब्राहिम शहीद]] बहराइच भी शहीद हो गये । <ref>इतिहास इस्लाम हिंद पुष्ट 22 लेख मौलवी सय्यद मुहम्मद रफी कम्हेडा </ref> बहराइच के हिंदू प्रमुख पूरी तरह से अधीन नहीं हुए थे, इसलिए सय्यद मसूद स्वयं सन् 1033 में बहराइच पहुँचे। महाराजा [[सुहेलदेव राजभर]] नामक शासक के आगमन तक, बहराइच में अपने हिंदू दुश्मनों को मसूद हराता चला गया। वह 15 जून 1034 को सुहेलदेव के खिलाफ लड़ाई में घातक रूप से घायल हो गया ।<ref>{{cite news |title=निनाद : अतीत का तिलिस्म और गाजी मियां |url=https://www.jansatta.com/sunday-magazine/ghazi-saiyyad-salar-masud-gazi-baba/48217/ |accessdate=2 जुलाई 2018 |work=[[जनसत्ता]] |date=18 नव्मबर 2015 |language=hi-IN |archive-url=https://web.archive.org/web/20180703050446/https://www.jansatta.com/sunday-magazine/ghazi-saiyyad-salar-masud-gazi-baba/48217/ |archive-date=3 जुलाई 2018 |url-status=dead }}</ref> मरने के दौरान, उन्होंने अपने अनुयायियों से जंगल में स्थित तालाब के तट पर , एक कुआ के निकट, उन्होंने दफनाने के लिए कहा। क्योंकि उस ने हज़ारो हिन्दुओं की हत्या की थी , इस लिए उसे गाज़ी (धार्मिक योद्धा) के रूप में जाना जाने लगा। [[File:Nall Darwaza Bahrach.jpg|thumb|सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी की दरगाह का प्रवेश द्वार]] == वर्तमान == 2019 तक, मसूद के दरगाह में आयोजित वार्षिक मेले के अधिकांश आगंतुक हिंदू थे। सालार मसूद की महिमा करने वाली स्थानीय किंवदंतियों के मुताबिक, उसको पराजित करने वाला सुहेलदेव एक पराक्रमी राजा था. जिसने अपनी प्रजा का उद्धार किया था। लेकिन [[हिन्दुत्व|हिन्दुओं]] द्वारा सुहेलदेव को एक हिन्दू व्यक्ति रूप में चित्रित किया है ,जो क्रूर मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ा था। वही मसूद को एक विदेशी आक्रांता के रूप में चित्रित किया है जिसने हज़ारो हिंदुओं का नाश किया। जंग में लड़ते हुए मर जाने पर '''मुस्लिमो द्वारा शहीद''' और जंग पर हार प्राप्त करने पर '''ग़ाज़ी''' की उपाधि से सम्मानित किया जाता है। ==सन्दर्भ== {{टिप्पणीसूची}} {{इस्लाम-व्यक्ति-आधार}} [[श्रेणी:इस्लाम का इतिहास]] [[श्रेणी:मुस्लिम सुधारक]] [[श्रेणी:इस्लाम के प्रचारक]] [[श्रेणी:बहराइच की हस्तियाँ]] [[श्रेणी:ग़ज़नवी साम्राज्य]] [[श्रेणी:भारत की दरगाहें]] [[श्रेणी:बहराइच के लोग]]'
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'@@ -18,5 +18,5 @@ 19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश प्रशासक मसूद के प्रति हिंदू लोगों की श्रद्धा से हतप्रभ थे।{{sfn|Anna Suvorova|2004|p=160}} [[विलियम हेनरी स्लीमन]], अवध में ब्रिटिश रेजिडेंट ने टिप्पणी की:{{sfn|P. D. Reeves|2010|p=69}} -{{cquote|यह कहना अजीब है कि मुसलमान के साथ-साथ हिन्दू भी इस दरगाह में चढ़ावा चढ़ाते हैं, और इस सैन्य गुण्डे के पक्ष में प्रार्थना करते हैं, जिसकी एकमात्र दर्ज योग्यता यह है कि उसने अपने क्षेत्र पर अनियंत्रित और अकारण आक्रमण में बड़ी संख्या में हिंदुओं को नष्ट कर दिया। वे कहते हैं, कि उसने अपने कर्तव्यों के कर्तव्यनिष्ठापूर्वक निर्वहन में हिंदुओं के विरुद्ध जो किया, और वह ईश्वर की अनुमति के बिना ऐसा नहीं कर सकता था - तब ईश्वर उनके अपराधों के लिए उनसे क्रोधित हुए होंगे, और उन्होंने इस व्यक्ति और सभी का उपयोग किया होगा अपने देश के अन्य मुस्लिम आक्रमणकारियों को, अपने प्रतिशोध के साधन के रूप में, और अपने उद्देश्यों को पूरा करने के साधन के रूप में , हिंदुओं का सोच वाला हिस्सा ऐसा कहता है।}} +{{cquote|यह कहना अजीब है कि मुसलमान के साथ-साथ हिन्दू भी इस दरगाह में चढ़ावा चढ़ाते हैं, और इस सैन्य गुण्डे के पक्ष में प्रार्थना करते हैं, जिसकी एकमात्र दर्ज योग्यता यह है कि उसने अपने क्षेत्र पर अनियंत्रित और अकारण आक्रमण में बड़ी संख्या में हिंदुओं को नष्ट कर दिया।}} == किंवदंती == '
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[ 0 => '{{cquote|यह कहना अजीब है कि मुसलमान के साथ-साथ हिन्दू भी इस दरगाह में चढ़ावा चढ़ाते हैं, और इस सैन्य गुण्डे के पक्ष में प्रार्थना करते हैं, जिसकी एकमात्र दर्ज योग्यता यह है कि उसने अपने क्षेत्र पर अनियंत्रित और अकारण आक्रमण में बड़ी संख्या में हिंदुओं को नष्ट कर दिया।}}' ]
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[ 0 => '{{cquote|यह कहना अजीब है कि मुसलमान के साथ-साथ हिन्दू भी इस दरगाह में चढ़ावा चढ़ाते हैं, और इस सैन्य गुण्डे के पक्ष में प्रार्थना करते हैं, जिसकी एकमात्र दर्ज योग्यता यह है कि उसने अपने क्षेत्र पर अनियंत्रित और अकारण आक्रमण में बड़ी संख्या में हिंदुओं को नष्ट कर दिया। वे कहते हैं, कि उसने अपने कर्तव्यों के कर्तव्यनिष्ठापूर्वक निर्वहन में हिंदुओं के विरुद्ध जो किया, और वह ईश्वर की अनुमति के बिना ऐसा नहीं कर सकता था - तब ईश्वर उनके अपराधों के लिए उनसे क्रोधित हुए होंगे, और उन्होंने इस व्यक्ति और सभी का उपयोग किया होगा अपने देश के अन्य मुस्लिम आक्रमणकारियों को, अपने प्रतिशोध के साधन के रूप में, और अपने उद्देश्यों को पूरा करने के साधन के रूप में , हिंदुओं का सोच वाला हिस्सा ऐसा कहता है।}}' ]
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