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| name = महावीरप्रसाद द्विवेदी
| image = Mahavir Prasad Dwivedi 1966 stamp of India.jpg
| image_size =
| caption = महावीरप्रसाद द्विवेदी
| birth_date = 09 मई 1864
| birth_place = दौलतपुर गाँव [[रायबरेली]] [[भारत]]
| death_date = 21 दिसम्बर 1938
| death_place = [[रायबरेली]] [[भारत]]
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| notablework = बिखरे मोती ,[[कहानी संग्रह]]
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}}
'''आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी''' (1864–1938) [[हिन्दी]] के महान साहित्यकार , पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होंने [[हिंदी साहित्य]] की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग '[[द्विवेदी युग]]' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है।<ref>[http://languages.iloveindia.com/hindi.html Hindi Language] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20131119071110/http://languages.iloveindia.com/hindi.html |date=19 नवंबर 2013 }} ''iloveindia.com'', Retrieved 2011-07-02.</ref> उन्होंने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका [[सरस्वती पत्रिका|सरस्वती]] का सम्पादन किया। [[हिन्दी आन्दोलन|हिन्दी नवजागरण]] में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा।
== जीवन परिचय ==
'''महावीर प्रसाद द्विवेदी''' का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[रायबरेली]] जिले के दौलतपुर गाँव में 9 मई 1864 को हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ रामसहाय द्विवेदी व था। ये कान्यकुब्ज [[ब्राह्मण]] थे। धनाभाव के कारण इनकी शिक्षा का क्रम अधिक समय तक न चल सका। इन्हें जी आर पी रेलवे में नौकरी मिल गई। 25 वर्ष की आयु में रेल विभाग [[अजमेर]] में 1 वर्ष का प्रवास। नौकरी छोड़कर पिता के पास [[मुंबई]] प्रस्थान एवं [[टेलीग्राफ]] का काम सीखकर इंडियन मिडलैंड रेलवे में तार बाबू के रूप में नियुक्ति। अपने उच्चाधिकारी से न पटने और स्वाभिमानी स्वभाव के कारण 1904 में [[झाँसी]] में रेल विभाग की 200 रुपये मासिक वेतन की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था
नौकरी के साथ-साथ द्विवेदी अध्ययन में भी जुटे रहे और हिंदी के अतिरिक्त [[मराठी]], [[गुजराती]], [[संस्कृत]] आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया।
सन् 1903 में द्विवेदी जी ने [[सरस्वती पत्रिका|सरस्वती]] मासिक पत्रिका के संपादन का कार्यभार सँभाला और उसे सत्रह वर्ष तक कुशलतापूर्वक निभाया। 1904 में नौकरी से त्यागपत्र देने के पश्चात स्थायी रूप से 'सरस्वती'के संपादन कार्य में लग गये। 200 रूपये मासिक की नौकरी को त्यागकर मात्र 20 रूपये प्रतिमास पर सरस्वती के सम्पादक के रूप में कार्य करना उनके त्याग का परिचायक है।<ref>[http://hindi.webdunia.com/hindi-literature/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%95-109051400109_1.htm द्विवेदी जी : साहित्यिक पत्रकारिता के जनक] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170825184946/http://hindi.webdunia.com/hindi-literature/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%95-109051400109_1.htm |date=25 अगस्त 2017 }} (वेबदुनिया)</ref> संपादन-कार्य से अवकाश प्राप्त कर द्विवेदी जी अपने गाँव चले आए। अत्यधिक रुग्ण होने से 21 दिसम्बर 1938 को रायबरेली में इनका स्वर्गवास हो गया।
== प्रकाशित कृतियाँ ==
महावीरप्रसाद द्विवेदी हिन्दी के पहले लेखक थे, जिन्होंने केवल अपनी जातीय परंपरा का गहन अध्ययन ही नहीं किया था, बल्कि उसे आलोचकीय दृष्टि से भी देखा था। उन्होंने अनेक विधाओं में रचना की। कविता, कहानी, आलोचना, पुस्तक समीक्षा, अनुवाद, जीवनी आदि विधाओं के साथ उन्होंने [[अर्थशास्त्र]], [[विज्ञान]], [[इतिहास]] आदि अन्य अनुशासनों में न सिर्फ विपुल मात्रा में लिखा, बल्कि अन्य लेखकों को भी इस दिशा में लेखन के लिए प्रेरित किया। द्विवेदी जी केवल कविता, कहानी, आलोचना आदि को ही [[साहित्य]] मानने के विरुद्ध थे। वे अर्थशास्त्र, इतिहास, पुरातत्व, समाजशास्त्र आदि विषयों को भी साहित्य के ही दायरे में रखते थे। वस्तुतः स्वाधीनता, स्वदेशी और स्वावलंबन को गति देने वाले ज्ञान-विज्ञान के तमाम आधारों को वे आंदोलित करना चाहते थे। इस कार्य के लिये उन्होंने सिर्फ उपदेश नहीं दिया, बल्कि मनसा, वाचा, कर्मणा स्वयं लिखकर दिखाया।
उन्होंने [[वेद|वेदों]] से लेकर [[पंडितराज जगन्नाथ]] तक के संस्कृत-साहित्य की निरंतर प्रवहमान धारा का अवगाहन किया था एवं उपयोगिता तथा कलात्मक योगदान के प्रति एक वैज्ञानिक दृष्टि अपनायी थी। उन्होंने [[श्रीहर्ष]] के संस्कृत महाकाव्य [[नैषधीयचरित|नैषधीयचरितम्]] पर अपनी पहली आलोचना पुस्तक 'नैषधचरित चर्चा ' नाम से लिखी (1899), जो संस्कृत-साहित्य पर हिन्दी में पहली आलोचना-पुस्तक भी है। फिर उन्होंने लगातार संस्कृत-साहित्य का अन्वेषण, विवेचन और मूल्यांकन किया। उन्होंने संस्कृत के कुछ महाकाव्यों के हिन्दी में औपन्यासिक रूपांतर भी किये, जिनमें [[कालिदास]] कृत [[रघुवंश]], [[कुमारसंभव]], [[मेघदूत]] , [[किरातार्जुनीय]] प्रमुख हैं।
[[संस्कृत]], [[ब्रजभाषा]] और [[खड़ी बोली]] में स्फुट काव्य-रचना से साहित्य-साधना का आरम्भ करने वाले महावीर प्रसाद द्विवेदी ने संस्कृत और अंग्रेजी से क्रमश: ब्रजभाषा और हिन्दी में अनुवाद-कार्य के अलावा प्रभूत समालोचनात्मक लेखन किया। उनकी मौलिक पुस्तकों में [[नाट्यशास्त्र]](1904 ई.), विक्रमांकदेव चरितचर्या(1907 ई.), हिन्दी भाषा की उत्पत्ति(1907 ई.) और संपत्तिशास्त्र(1907 ई.) प्रमुख हैं तथा अनूदित पुस्तकों में शिक्षा (हर्बर्ट स्पेंसर के 'एजुकेशन' का अनुवाद, 1906 ई.) और स्वाधीनता (जान, स्टुअर्ट मिल के 'ऑन लिबर्टी' का अनुवाद, 1907 ई.)।
द्विवेदी जी ने विस्तृत रूप में साहित्य रचना की। इनके छोटे-बड़े ग्रंथों की संख्या कुल मिलाकर ८१ है।
पद्य के मौलिक-ग्रंथों में काव्य-मंजूषा, कविता कलाप, देवी-स्तुति, शतक आदि प्रमुख है। [[गंगालहरी]], ॠतु तरंगिणी, कुमार संभव सार आदि इनके अनूदित पद्य-ग्रंथ हैं।
गद्य के मौलिक ग्रंथों में तरुणोपदेश, नैषध चरित्र चर्चा, हिंदी कालिदास की समालोचना, नाटय शास्त्र, हिंदी भाषा की उत्पत्ति, कालीदास की निरंकुशता आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। अनुवादों में वेकन विचार, रत्नावली, हिंदी महाभारत, वेणी संसार आदि प्रमुख हैं।
===मौलिक पद्य रचनाएँ===
<poem>
'''देवी स्तुति-शतक''' (1892 ई.)
'''कान्यकुब्जावलीव्रतम''' (1898 ई.)
'''समाचार पत्र सम्पादन स्तवः''' (1898 ई.)
'''नागरी''' (1900 ई.)
'''कान्यकुब्ज-अबला-विलाप''' (1907 ई.)
'''काव्य मंजूषा''' (1903 ई.)
'''सुमन''' (1923 ई.)
'''द्विवेदी काव्य-माला''' (1940 ई.)
'''कविता कलाप''' (1909 ई.)
</poem>
===पद्य ([[अनुवाद|अनूदित]])===
<poem>
'''विनय विनोद''' (1889 ई.)- [[भर्तृहरि]] के '[[वैराग्यशतक]]' का [[दोहा|दोहों]] में अनुवाद
'''विहार वाटिका''' (1890 ई.)- [[गीत गोविन्द]] का भावानुवाद
'''स्नेह माला''' (1890 ई.)- भर्तृहरि के 'शृंगार शतक' का दोहों में अनुवाद
'''श्री महिम्न स्तोत्र''' (1891 ई.)- संस्कृत के 'महिम्न स्तोत्र' का संस्कृत वृत्तों में अनुवाद
'''गंगा लहरी''' (1891 ई.)- [[पण्डितराज जगन्नाथ]] की '[[गंगालहरी]]' का [[सवैया|सवैयों]] में अनुवाद
'''ऋतुतरंगिणी''' (1891 ई.)- [[कालिदास]] के '[[ऋतुसंहार]]' का छायानुवाद
'''सोहागरात''' (अप्रकाशित)- बाइरन के 'ब्राइडल नाइट' का छायानुवाद
'''कुमारसम्भवसार''' (1902 ई.)- कालिदास के '[[कुमारसम्भव|कुमारसम्भवम्]]' के प्रथम पाँच सर्गों का सारांश
</poem>
===मौलिक गद्य रचनाएँ===
<poem>
'''नैषध चरित्र चर्चा''' (1899 ई.)
'''तरुणोपदेश''' (अप्रकाशित)
'''हिन्दी शिक्षावली तृतीय भाग की समालोचना''' (1901 ई.)
'''वैज्ञानिक कोश''' (1906ई.),
'''नाट्यशास्त्र''' (1912ई.)
'''विक्रमांकदेवचरितचर्चा''' (1907ई.)
'''हिन्दी भाषा की उत्पत्ति''' (1907ई.)
'''[[सम्पत्ति-शास्त्र]]''' (1907ई.)
'''कौटिल्य कुठार''' (1907ई.)
'''कालिदास की निरकुंशता''' (1912ई.)
'''वनिता-विलाप''' (1918ई.)
'''औद्यागिकी''' (1920ई.)
'''रसज्ञ रंजन''' (1920ई.)
'''कालिदास और उनकी कविता''' (1920ई.)
'''सुकवि संकीर्तन''' (1924ई.)
'''अतीत स्मृति''' (1924ई.)
'''साहित्य सन्दर्भ''' (1928ई.)
'''अदभुत आलाप''' (1924ई.)
'''महिलामोद''' (1925ई.)
'''आध्यात्मिकी''' (1928ई.)
'''वैचित्र्य चित्रण''' (1926ई.)
'''साहित्यालाप''' (1926ई.)
'''विज्ञ विनोद''' (1926ई.)
'''कोविद कीर्तन''' (1928ई.)
'''विदेशी विद्वान''' (1928ई.)
'''प्राचीन चिह्न''' (1929ई.)
'''चरित चर्या''' (1930ई.)
'''पुरावृत्त''' (1933ई.)
'''दृश्य दर्शन''' (1928ई.)
'''आलोचनांजलि''' (1928ई.)
'''चरित्र चित्रण''' (1929ई.)
'''पुरातत्त्व प्रसंग''' (1929ई.)
'''साहित्य सीकर''' (1930ई.)
'''विज्ञान वार्ता''' (1930ई.)
'''वाग्विलास''' (1930ई.)
'''संकलन''' (1931ई.)
'''विचार-विमर्श''' (1931ई.)
</poem>
===गद्य (अनूदित)===
<poem>
'''भामिनी-विलास''' (1891ई.)- [[पण्डितराज जगन्नाथ]] के 'भामिनी विलास' का अनुवाद
'''अमृत लहरी''' (1896ई.)- पण्डितराज जगन्नाथ के 'यमुना स्तोत्र' का भावानुवाद
'''[https://hi.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A4%A8-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A5%80 बेकन-विचार-रत्नावली]''' (1901ई.)- बेकन के प्रसिद्ध निबन्धों का अनुवाद
'''शिक्षा''' (1906ई.)- [[हर्बर्ट स्पेंसर]] के 'एजुकेशन' का अनुवाद
'''स्वाधीनता''' (1907ई.)- [[जॉन स्टुअर्ट मिल]] के 'ऑन लिबर्टी' का अनुवाद
'''जल चिकित्सा''' (1907ई.)- जर्मन लेखक लुई कोने की जर्मन पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद का अनुवाद
'''हिन्दी महाभारत''' (1908ई.)-'[[महाभारत]]' की कथा का हिन्दी रूपान्तर
'''रघुवंश''' (1912ई.)- कालिदास के '[[रघुवंशम्]]' महाकाव्य का भाषानुवाद
'''वेणी-संहार''' (1913ई.)- संस्कृत कवि [[भट्टनारायण]] के '[[वेणीसंहार]]' नाटक का अनुवाद
'''कुमार सम्भव''' (1915ई.)- कालिदास के 'कुमार सम्भव' का अनुवाद
'''मेघदूत''' (1917ई.)- कालिदास के '[[मेघदूत]]' का अनुवाद
'''किरातार्जुनीय''' (1917ई.)- [[भारवि]] के 'किरातार्जुनीयम्' का अनुवाद
'''प्राचीन पण्डित और कवि''' (1918ई.)- अन्य भाषाओं के लेखों के आधार पर प्राचीन कवियों और पण्डितों का परिचय
'''आख्यायिका सप्तक''' (1927ई.)- अन्य भाषाओं की चुनी हुई सात आख्यायिकाओं का छायानुवाद
</poem>
== वर्ण्य विषय ==
हिंदी भाषा के प्रसार, पाठकों के रुचि परिष्कार और ज्ञानवर्धन के लिए द्विवेदी जी ने विविध विषयों पर अनेक निबंध लिखे। विषय की दृष्टि से द्विवेदी जी निबंध आठ भागों में विभाजित किए जा सकते हैं - साहित्य, जीवन चरित्र, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, उद्योग, शिल्प भाषा, अध्यात्म।
द्विवेदी जी ने आलोचनात्मक निबंधों की भी रचना की। उन्होंने आलोचना के क्षेत्र में संस्कृत टीकाकारों की भांति कृतियों का गुण-दोष विवेचन किया और खंडन-मंडन की शास्त्रार्थ पद्धति को अपनाया है।
== भाषा ==
द्विवेदी जी सरल और सुबोध भाषा लिखने के पक्षपाती थे। उन्होंने स्वयं सरल और प्रचलित भाषा को अपनाया। उनकी भाषा में न तो संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है और न उर्दू-फारसी के अप्रचलित शब्दों की भरमार है। वे गृह के स्थान पर घर और उच्च के स्थान पर ऊँचा लिखना अधिक पसंद करते थे।
द्विवेदी जी ने अपनी भाषा में उर्दू और फारसी के शब्दों का निस्संकोच प्रयोग किया, किंतु इस प्रयोग में उन्होंने केवल प्रचलित शब्दों को ही अपनाया। द्विवेदी जी की भाषा का रूप पूर्णतः स्थित है। वह शुद्ध परिष्कृत और व्याकरण के नियमों से बंधी हुई है। उनका वाक्य-विन्यास हिंदी को प्रकृति के अनुरूप है कहीं भी वह अंग्रेज़ी या उर्दू के ढंग का नहीं।
== शैली ==
द्विवेदी जी की शैली के मुख्यतः तीन रूप दृष्टिगत होते हैं-
===परिचयात्मक शैली===
द्विवेदी जी ने नये-नये विषयों पर लेखनी चलाई। विषय नये और प्रारंभिक होने के कारण द्विवेदी जी ने उनका परिचय सरल और सुबोध शैली में कराया। ऐसे विषयों पर लेख लिखते समय द्विवेदी जी ने एक शिक्षक की भांति एक बात को कई बार दुहराया है ताकि पाठकों की समझ में वह भली प्रकार आ जाए। इस प्रकार लेखों की शैली परिचयात्मक शैली है।
===आलोचनात्मक शैली===
हिंदी भाषा के प्रचलित दोषों को दूर करने के लिए द्विवेदी जी इस शैली में लिखते थे। इस शैली में लिखकर उन्होंने विरोधियों को मुंह-तोड़ उत्तर दिया। यह शैली ओजपूर्ण है। इसमें प्रवाह है और इसकी भाषा गंभीर है। कहीं-कहीं यह शैली ओजपूर्ण न होकर व्यंग्यात्मक हो जाती है। ऐसे स्थलों पर शब्दों में चुलबुलाहट और वाक्यों में सरलता रहती है।
'इस म्यूनिसिपाल्टी के चेयरमैन (जिसे अब कुछ लोग कुर्सी मैन भी कहने लगे हैं) श्रीमान बूचा शाह हैं। बाप दादे की कमाई का लाखों रुपया आपके घर भरा हैं। पढ़े-लिखे आप राम का नाम हैं। चेयरमैन आप सिर्फ़ इसलिए हुए हैं कि अपनी कार गुज़ारी गवर्नमेंट को दिखाकर आप राय बहादुर बन जाएं और खुशामदियों से आठ पहर चौंसठ घर-घिरे रहें।'
===विचारात्मक अथवा गवेषणात्मक शैली===
गंभीर साहित्यिक विषयों के विवेचन में द्विवेदी जी ने इस शैली को अपनाया है। इस शैली के भी दो रूप मिलते हैं। पहला रूप उन लेखों में मिलता है जो किसी विवादग्रस्त विषय को लेकर जनसाधारण को समझाने के लिए लिखे गए हैं। इसमें वाक्य छोटे-छोटे हैं। भाषा सरल है। दूसरा रूप उन लेखों में पाया जाता है जो विद्वानों को संबोधित कर लिखे गए हैं। इसमें वाक्य अपेक्षाकृत लंबे हैं। भाषा कुछ क्लिष्ट है। उदाहरण के लिए -
:''अप्समार और विक्षिप्तता मानसिक विकार या रोग है। उसका संबंध केवल मन और मस्तिष्क से है। प्रतिभा भी एक प्रकार का मनोविकार ही है। इन विकारों की परस्पर इतनी संलग्नता है कि प्रतिभा को अप्समार और विक्षिप्तता से अलग करना और प्रत्येक परिणाम समझ लेना बहुत ही कठिन है।''
== महत्वपूर्ण कार्य ==
हिंदी साहित्य की सेवा करने वालों में द्विवेदी जी का विशेष स्थान है। द्विवेदी जी की अनुपम साहित्य-सेवाओं के कारण ही उनके समय को [[द्विवेदी युग]] के नाम से पुकारा जाता है।
* [[भारतेंदु युग]] में लेखकों की दृष्टि की शुद्धता की ओर नहीं रही। भाषा में व्याकरण के नियमों तथा विराम-चिह्नों आदि की कोई परवाह नहीं की जाती थी। भाषा में आशा किया, इच्छा किया जैसे प्रयोग दिखाई पड़ते थे। द्विवेदी जी ने भाषा के इस स्वरूप को देखा और शुध्द करने का संकल्प किया। उन्होंने इन अशुध्दियों की ओर आकर्षित किया और लेखकों को शुध्द तथा परिमार्जित भाषा लिखने की प्रेरणा दी।
* द्विवेदी जी ने [[खड़ी बोली]] को कविता के लिए विकास का कार्य किया। उन्होंने स्वयं भी खड़ी बोली में कविताएं लिखीं और अन्य कवियों को भी उत्साहित किया। श्री मैथिली शरण गुप्त, अयोध्या सिंह उपाध्याय जैसे खड़ी बोली के श्रेष्ठ कवि उन्हीं के प्रयत्नों के परिणाम हैं।
* द्विवेदी जी ने नये-नये विषयों से हिंदी साहित्य को संपन्न बनाया। उन्हीं के प्रयासों से हिंदी में अन्य भाषाओं के ग्रंथों के अनुवाद हुए तथा हिंदी-संस्कृत के कवियों पर आलोचनात्मक निबंध लिखे गए।
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
== इन्हें भी देखें ==
* [[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]]
* [[सरस्वती पत्रिका]]
* [[द्विवेदी युग]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20160111015109/http://mahavirprasaddwivedi.in/ '''आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी''' को समर्पित जालघर]
* [http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=12128 आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} (दिल्ली विश्वविद्यालय)
* [https://web.archive.org/web/20090102005254/http://www.abhivyakti-hindi.org/lekhak/m/mahavir_prasad_dwivedi.htm अभिव्यक्ति में महावीर प्रसाद द्विवेदी]
* [https://web.archive.org/web/20090423113412/http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6_%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80 महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाएँ कविता कोश में]
* [https://web.archive.org/web/20121215063416/http://books.google.co.in/books?id=Xk4H42LAY3MC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण] (गूगल पुस्तक ; लेखक - रामविलास शर्मा)
* [http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_6398832.html हिन्दी के महावीर]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} (जागरण)
* [https://web.archive.org/web/20131217225052/http://www.bhartiyapaksha.com/?p=4904 द्विवेदी केवल साहित्यकार ही नहीं थे] (भारतीय पक्ष)
* [https://web.archive.org/web/20160203155234/http://literature.awgp.org/akhandjyoti/edition/1964/Aug/26 राष्ट्र-भाषा के अमर शिल्पी—महावीर प्रसाद द्विवेदी] (अखण्ड ज्योति)
{{हिन्दी के आचार्य व निबंधकार}}
{{हिन्दी साहित्यकार (जन्म १९०१-१९१०) }}
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नया पृष्ठ विकिलेख, सम्पादन के बाद (new_wikitext) | '{{ज्ञानसन्दूक लेखक
| name = महावीरप्रसाद द्विवेदी
| image = Mahavir Prasad Dwivedi 1966 stamp of India.jpg
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| caption = महावीरप्रसाद द्विवेदी
| birth_date = 09 मई 1864
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| notablework = बिखरे मोती ,[[कहानी संग्रह]]
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'''आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी''' (1864–1938) [[हिन्दी]] के महान साहित्यकार , पत्रकार एवं युगप्रवर्तक थे। उन्होंने [[हिंदी साहित्य]] की अविस्मरणीय सेवा की और अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान की। उनके इस अतुलनीय योगदान के कारण आधुनिक हिंदी साहित्य का दूसरा युग '[[द्विवेदी युग]]' (1900–1920) के नाम से जाना जाता है।<ref>[http://languages.iloveindia.com/hindi.html Hindi Language] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20131119071110/http://languages.iloveindia.com/hindi.html |date=19 नवंबर 2013 }} ''iloveindia.com'', Retrieved 2011-07-02.</ref> उन्होंने सत्रह वर्ष तक हिन्दी की प्रसिद्ध पत्रिका [[सरस्वती पत्रिका|सरस्वती]] का सम्पादन किया। [[हिन्दी आन्दोलन|हिन्दी नवजागरण]] में उनकी महान भूमिका रही। भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति व दिशा देने में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा।
== जीवन परिचय ==
'''महावीर प्रसाद द्विवेदी''' का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के [[रायबरेली]] जिले के दौलतपुर गाँव में 9 मई 1864 को हुआ था। इनके पिता का नाम पं॰ रामसहाय द्विवेदी व था। ये कान्यकुब्ज [[ब्राह्मण]] थे। धनाभाव के कारण इनकी शिक्षा का क्रम अधिक समय तक न चल सका। इन्हें जी आर पी रेलवे में नौकरी मिल गई। 25 वर्ष की आयु में रेल विभाग [[अजमेर]] में 1 वर्ष का प्रवास। नौकरी छोड़कर पिता के पास [[मुंबई]] प्रस्थान एवं [[टेलीग्राफ]] का काम सीखकर इंडियन मिडलैंड रेलवे में तार बाबू के रूप में नियुक्ति। अपने उच्चाधिकारी से न पटने और स्वाभिमानी स्वभाव के कारण 1904 में [[झाँसी]] में रेल विभाग की 200 रुपये मासिक वेतन की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था
नौकरी के साथ-साथ द्विवेदी अध्ययन में भी जुटे रहे और हिंदी के अतिरिक्त [[मराठी]], [[गुजराती]], [[संस्कृत]] आदि का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया।
सन् 1903 में द्विवेदी जी ने [[सरस्वती पत्रिका|सरस्वती]] मासिक पत्रिका के संपादन का कार्यभार सँभाला और उसे सत्रह वर्ष तक कुशलतापूर्वक निभाया। 1904 में नौकरी से त्यागपत्र देने के पश्चात स्थायी रूप से 'सरस्वती'के संपादन कार्य में लग गये। 200 रूपये मासिक की नौकरी को त्यागकर मात्र 20 रूपये प्रतिमास पर सरस्वती के सम्पादक के रूप में कार्य करना उनके त्याग का परिचायक है।<ref>[http://hindi.webdunia.com/hindi-literature/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%95-109051400109_1.htm द्विवेदी जी : साहित्यिक पत्रकारिता के जनक] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20170825184946/http://hindi.webdunia.com/hindi-literature/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%9C%E0%A4%A8%E0%A4%95-109051400109_1.htm |date=25 अगस्त 2017 }} (वेबदुनिया)</ref> संपादन-कार्य से अवकाश प्राप्त कर द्विवेदी जी अपने गाँव चले आए। अत्यधिक रुग्ण होने से 21 दिसम्बर 1938 को रायबरेली में इनका स्वर्गवास हो गया।
== प्रकाशित कृतियाँ ==
महावीरप्रसाद द्विवेदी हिन्दी के पहले लेखक थे, जिन्होंने केवल अपनी जातीय परंपरा का गहन अध्ययन ही नहीं किया था, बल्कि उसे आलोचकीय दृष्टि से भी देखा था। उन्होंने अनेक विधाओं में रचना की। कविता, कहानी, आलोचना, पुस्तक समीक्षा, अनुवाद, जीवनी आदि विधाओं के साथ उन्होंने [[अर्थशास्त्र]], [[विज्ञान]], [[इतिहास]] आदि अन्य अनुशासनों में न सिर्फ विपुल मात्रा में लिखा, बल्कि अन्य लेखकों को भी इस दिशा में लेखन के लिए प्रेरित किया। द्विवेदी जी केवल कविता, कहानी, आलोचना आदि को ही [[साहित्य]] मानने के विरुद्ध थे। वे अर्थशास्त्र, इतिहास, पुरातत्व, समाजशास्त्र आदि विषयों को भी साहित्य के ही दायरे में रखते थे। वस्तुतः स्वाधीनता, स्वदेशी और स्वावलंबन को गति देने वाले ज्ञान-विज्ञान के तमाम आधारों को वे आंदोलित करना चाहते थे। इस कार्य के लिये उन्होंने सिर्फ उपदेश नहीं दिया, बल्कि मनसा, वाचा, कर्मणा स्वयं लिखकर दिखाया।
उन्होंने [[वेद|वेदों]] से लेकर [[पंडितराज जगन्नाथ]] तक के संस्कृत-साहित्य की निरंतर प्रवहमान धारा का अवगाहन किया था एवं उपयोगिता तथा कलात्मक योगदान के प्रति एक वैज्ञानिक दृष्टि अपनायी थी। उन्होंने [[श्रीहर्ष]] के संस्कृत महाकाव्य [[नैषधीयचरित|नैषधीयचरितम्]] पर अपनी पहली आलोचना पुस्तक 'नैषधचरित चर्चा ' नाम से लिखी (1899), जो संस्कृत-साहित्य पर हिन्दी में पहली आलोचना-पुस्तक भी है। फिर उन्होंने लगातार संस्कृत-साहित्य का अन्वेषण, विवेचन और मूल्यांकन किया। उन्होंने संस्कृत के कुछ महाकाव्यों के हिन्दी में औपन्यासिक रूपांतर भी किये, जिनमें [[कालिदास]] कृत [[रघुवंश]], [[कुमारसंभव]], [[मेघदूत]] , [[किरातार्जुनीय]] प्रमुख हैं।
[[संस्कृत]], [[ब्रजभाषा]] और [[खड़ी बोली]] में स्फुट काव्य-रचना से साहित्य-साधना का आरम्भ करने वाले महावीर प्रसाद द्विवेदी ने संस्कृत और अंग्रेजी से क्रमश: ब्रजभाषा और हिन्दी में अनुवाद-कार्य के अलावा प्रभूत समालोचनात्मक लेखन किया। उनकी मौलिक पुस्तकों में [[नाट्यशास्त्र]](1904 ई.), विक्रमांकदेव चरितचर्या(1907 ई.), हिन्दी भाषा की उत्पत्ति(1907 ई.) और संपत्तिशास्त्र(1907 ई.) प्रमुख हैं तथा अनूदित पुस्तकों में शिक्षा (हर्बर्ट स्पेंसर के 'एजुकेशन' का अनुवाद, 1906 ई.) और स्वाधीनता (जान, स्टुअर्ट मिल के 'ऑन लिबर्टी' का अनुवाद, 1907 ई.)।
द्विवेदी जी ने विस्तृत रूप में साहित्य रचना की। इनके छोटे-बड़े ग्रंथों की संख्या कुल मिलाकर ८१ है।
पद्य के मौलिक-ग्रंथों में काव्य-मंजूषा, कविता कलाप, देवी-स्तुति, शतक आदि प्रमुख है। [[गंगालहरी]], ॠतु तरंगिणी, कुमार संभव सार आदि इनके अनूदित पद्य-ग्रंथ हैं।
गद्य के मौलिक ग्रंथों में तरुणोपदेश, नैषध चरित्र चर्चा, हिंदी कालिदास की समालोचना, नाटय शास्त्र, हिंदी भाषा की उत्पत्ति, कालीदास की निरंकुशता आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। अनुवादों में वेकन विचार, रत्नावली, हिंदी महाभारत, वेणी संसार आदि प्रमुख हैं।
===मौलिक पद्य रचनाएँ===
<poem>
'''देवी स्तुति-शतक''' (1892 ई.)
'''कान्यकुब्जावलीव्रतम''' (1898 ई.)
'''समाचार पत्र सम्पादन स्तवः''' (1898 ई.)
'''नागरी''' (1900 ई.)
'''कान्यकुब्ज-अबला-विलाप''' (1907 ई.)
'''काव्य मंजूषा''' (1903 ई.)
'''सुमन''' (1923 ई.)
'''द्विवेदी काव्य-माला''' (1940 ई.)
'''कविता कलाप''' (1909 ई.)
</poem>
===पद्य ([[अनुवाद|अनूदित]])===
<poem>
'''विनय विनोद''' (1889 ई.)- [[भर्तृहरि]] के '[[वैराग्यशतक]]' का [[दोहा|दोहों]] में अनुवाद
'''विहार वाटिका''' (1890 ई.)- [[गीत गोविन्द]] का भावानुवाद
'''स्नेह माला''' (1890 ई.)- भर्तृहरि के 'शृंगार शतक' का दोहों में अनुवाद
'''श्री महिम्न स्तोत्र''' (1891 ई.)- संस्कृत के 'महिम्न स्तोत्र' का संस्कृत वृत्तों में अनुवाद
'''गंगा लहरी''' (1891 ई.)- [[पण्डितराज जगन्नाथ]] की '[[गंगालहरी]]' का [[सवैया|सवैयों]] में अनुवाद
'''ऋतुतरंगिणी''' (1891 ई.)- [[कालिदास]] के '[[ऋतुसंहार]]' का छायानुवाद
'''सोहागरात''' (अप्रकाशित)- बाइरन के 'ब्राइडल नाइट' का छायानुवाद
'''कुमारसम्भवसार''' (1902 ई.)- कालिदास के '[[कुमारसम्भव|कुमारसम्भवम्]]' के प्रथम पाँच सर्गों का सारांश
</poem>
===मौलिक गद्य रचनाएँ===
<poem>
'''नैषध चरित्र चर्चा''' (1899 ई.)
'''तरुणोपदेश''' (अप्रकाशित)
'''हिन्दी शिक्षावली तृतीय भाग की समालोचना''' (1901 ई.)
'''वैज्ञानिक कोश''' (1906ई.),
'''नाट्यशास्त्र''' (1912ई.)
'''विक्रमांकदेवचरितचर्चा''' (1907ई.)
'''हिन्दी भाषा की उत्पत्ति''' (1907ई.)
'''[[सम्पत्ति-शास्त्र]]''' (1907ई.)
'''कौटिल्य कुठार''' (1907ई.)
'''कालिदास की निरकुंशता''' (1912ई.)
'''वनिता-विलाप''' (1918ई.)
'''औद्यागिकी''' (1920ई.)
'''रसज्ञ रंजन''' (1920ई.)
'''कालिदास और उनकी कविता''' (1920ई.)
'''सुकवि संकीर्तन''' (1924ई.)
'''अतीत स्मृति''' (1924ई.)
'''साहित्य सन्दर्भ''' (1928ई.)
'''अदभुत आलाप''' (1924ई.)
'''महिलामोद''' (1925ई.)
'''आध्यात्मिकी''' (1928ई.)
'''वैचित्र्य चित्रण''' (1926ई.)
'''साहित्यालाप''' (1926ई.)
'''विज्ञ विनोद''' (1926ई.)
'''कोविद कीर्तन''' (1928ई.)
'''विदेशी विद्वान''' (1928ई.)
'''प्राचीन चिह्न''' (1929ई.)
'''चरित चर्या''' (1930ई.)
'''पुरावृत्त''' (1933ई.)
'''दृश्य दर्शन''' (1928ई.)
'''आलोचनांजलि''' (1928ई.)
'''चरित्र चित्रण''' (1929ई.)
'''पुरातत्त्व प्रसंग''' (1929ई.)
'''साहित्य सीकर''' (1930ई.)
'''विज्ञान वार्ता''' (1930ई.)
'''वाग्विलास''' (1930ई.)
'''संकलन''' (1931ई.)
'''विचार-विमर्श''' (1931ई.)
</poem>
===गद्य (अनूदित)===
<poem>
'''भामिनी-विलास''' (1891ई.)- [[पण्डितराज जगन्नाथ]] के 'भामिनी विलास' का अनुवाद
'''अमृत लहरी''' (1896ई.)- पण्डितराज जगन्नाथ के 'यमुना स्तोत्र' का भावानुवाद
'''[https://hi.wikisource.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A4%A8-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B2%E0%A5%80 बेकन-विचार-रत्नावली]''' (1901ई.)- बेकन के प्रसिद्ध निबन्धों का अनुवाद
'''शिक्षा''' (1906ई.)- [[हर्बर्ट स्पेंसर]] के 'एजुकेशन' का अनुवाद
'''स्वाधीनता''' (1907ई.)- [[जॉन स्टुअर्ट मिल]] के 'ऑन लिबर्टी' का अनुवाद
'''जल चिकित्सा''' (1907ई.)- जर्मन लेखक लुई कोने की जर्मन पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद का अनुवाद
'''हिन्दी महाभारत''' (1908ई.)-'[[महाभारत]]' की कथा का हिन्दी रूपान्तर
'''रघुवंश''' (1912ई.)- कालिदास के '[[रघुवंशम्]]' महाकाव्य का भाषानुवाद
'''वेणी-संहार''' (1913ई.)- संस्कृत कवि [[भट्टनारायण]] के '[[वेणीसंहार]]' नाटक का अनुवाद
'''कुमार सम्भव''' (1915ई.)- कालिदास के 'कुमार सम्भव' का अनुवाद
'''मेघदूत''' (1917ई.)- कालिदास के '[[मेघदूत]]' का अनुवाद
'''किरातार्जुनीय''' (1917ई.)- [[भारवि]] के 'किरातार्जुनीयम्' का अनुवाद
'''प्राचीन पण्डित और कवि''' (1918ई.)- अन्य भाषाओं के लेखों के आधार पर प्राचीन कवियों और पण्डितों का परिचय
'''आख्यायिका सप्तक''' (1927ई.)- अन्य भाषाओं की चुनी हुई सात आख्यायिकाओं का छायानुवाद
</poem>
== वर्ण्य विषय ==
हिंदी भाषा के प्रसार, पाठकों के रुचि परिष्कार और ज्ञानवर्धन के लिए द्विवेदी जी ने विविध विषयों पर अनेक निबंध लिखे। विषय की दृष्टि से द्विवेदी जी निबंध आठ भागों में विभाजित किए जा सकते हैं - साहित्य, जीवन चरित्र, विज्ञान, इतिहास, भूगोल, उद्योग, शिल्प भाषा, अध्यात्म।
द्विवेदी जी ने आलोचनात्मक निबंधों की भी रचना की। उन्होंने आलोचना के क्षेत्र में संस्कृत टीकाकारों की भांति कृतियों का गुण-दोष विवेचन किया और खंडन-मंडन की शास्त्रार्थ पद्धति को अपनाया है।
== भाषा ==
द्विवेदी जी सरल और सुबोध भाषा लिखने के पक्षपाती थे। उन्होंने स्वयं सरल और प्रचलित भाषा को अपनाया। उनकी भाषा में न तो संस्कृत के तत्सम शब्दों की अधिकता है और न उर्दू-फारसी के अप्रचलित शब्दों की भरमार है। वे गृह के स्थान पर घर और उच्च के स्थान पर ऊँचा लिखना अधिक पसंद करते थे।
द्विवेदी जी ने अपनी भाषा में उर्दू और फारसी के शब्दों का निस्संकोच प्रयोग किया, किंतु इस प्रयोग में उन्होंने केवल प्रचलित शब्दों को ही अपनाया। द्विवेदी जी की भाषा का रूप पूर्णतः स्थित है। वह शुद्ध परिष्कृत और व्याकरण के नियमों से बंधी हुई है। उनका वाक्य-विन्यास हिंदी को प्रकृति के अनुरूप है कहीं भी वह अंग्रेज़ी या उर्दू के ढंग का नहीं।
== शैली ==
द्विवेदी जी की शैली के मुख्यतः तीन रूप दृष्टिगत होते हैं-
===परिचयात्मक शैली===
द्विवेदी जी ने नये-नये विषयों पर लेखनी चलाई। विषय नये और प्रारंभिक होने के कारण द्विवेदी जी ने उनका परिचय सरल और सुबोध शैली में कराया। ऐसे विषयों पर लेख लिखते समय द्विवेदी जी ने एक शिक्षक की भांति एक बात को कई बार दुहराया है ताकि पाठकों की समझ में वह भली प्रकार आ जाए। इस प्रकार लेखों की शैली परिचयात्मक शैली है।
===आलोचनात्मक शैली===
हिंदी भाषा के प्रचलित दोषों को दूर करने के लिए द्विवेदी जी इस शैली में लिखते थे। इस शैली में लिखकर उन्होंने विरोधियों को मुंह-तोड़ उत्तर दिया। यह शैली ओजपूर्ण है। इसमें प्रवाह है और इसकी भाषा गंभीर है। कहीं-कहीं यह शैली ओजपूर्ण न होकर व्यंग्यात्मक हो जाती है। ऐसे स्थलों पर शब्दों में चुलबुलाहट और वाक्यों में सरलता रहती है।
'इस म्यूनिसिपाल्टी के चेयरमैन (जिसे अब कुछ लोग कुर्सी मैन भी कहने लगे हैं) श्रीमान बूचा शाह हैं। बाप दादे की कमाई का लाखों रुपया आपके घर भरा हैं। पढ़े-लिखे आप राम का नाम हैं। चेयरमैन आप सिर्फ़ इसलिए हुए हैं कि अपनी कार गुज़ारी गवर्नमेंट को दिखाकर आप राय बहादुर बन जाएं और खुशामदियों से आठ पहर चौंसठ घर-घिरे रहें।'
===विचारात्मक अथवा गवेषणात्मक शैली===
गंभीर साहित्यिक विषयों के विवेचन में द्विवेदी जी ने इस शैली को अपनाया है। इस शैली के भी दो रूप मिलते हैं। पहला रूप उन लेखों में मिलता है जो किसी विवादग्रस्त विषय को लेकर जनसाधारण को समझाने के लिए लिखे गए हैं। इसमें वाक्य छोटे-छोटे हैं। भाषा सरल है। दूसरा रूप उन लेखों में पाया जाता है जो विद्वानों को संबोधित कर लिखे गए हैं। इसमें वाक्य अपेक्षाकृत लंबे हैं। भाषा कुछ क्लिष्ट है। उदाहरण के लिए -
:''अप्समार और विक्षिप्तता मानसिक विकार या रोग है। उसका संबंध केवल मन और मस्तिष्क से है। प्रतिभा भी एक प्रकार का मनोविकार ही है। इन विकारों की परस्पर इतनी संलग्नता है कि प्रतिभा को अप्समार और विक्षिप्तता से अलग करना और प्रत्येक परिणाम समझ लेना बहुत ही कठिन है।''
== महत्वपूर्ण कार्य ==
हिंदी साहित्य की सेवा करने वालों में द्विवेदी जी का विशेष स्थान है। द्विवेदी जी की अनुपम साहित्य-सेवाओं के कारण ही उनके समय को [[द्विवेदी युग]] के नाम से पुकारा जाता है।
* [[भारतेंदु युग]] में लेखकों की दृष्टि की शुद्धता की ओर नहीं रही। भाषा में व्याकरण के नियमों तथा विराम-चिह्नों आदि की कोई परवाह नहीं की जाती थी। भाषा में आशा किया, इच्छा किया जैसे प्रयोग दिखाई पड़ते थे। द्विवेदी जी ने भाषा के इस स्वरूप को देखा और शुध्द करने का संकल्प किया। उन्होंने इन अशुध्दियों की ओर आकर्षित किया और लेखकों को शुध्द तथा परिमार्जित भाषा लिखने की प्रेरणा दी।
* द्विवेदी जी ने [[खड़ी बोली]] को कविता के लिए विकास का कार्य किया। उन्होंने स्वयं भी खड़ी बोली में कविताएं लिखीं और अन्य कवियों को भी उत्साहित किया। श्री मैथिली शरण गुप्त, अयोध्या सिंह उपाध्याय जैसे खड़ी बोली के श्रेष्ठ कवि उन्हीं के प्रयत्नों के परिणाम हैं।
* द्विवेदी जी ने नये-नये विषयों से हिंदी साहित्य को संपन्न बनाया। उन्हीं के प्रयासों से हिंदी में अन्य भाषाओं के ग्रंथों के अनुवाद हुए तथा हिंदी-संस्कृत के कवियों पर आलोचनात्मक निबंध लिखे गए।
== सन्दर्भ ==
{{टिप्पणीसूची}}
== इन्हें भी देखें ==
* [[भारतेन्दु हरिश्चंद्र]]
* [[सरस्वती पत्रिका]]
* [[द्विवेदी युग]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://web.archive.org/web/20160111015109/http://mahavirprasaddwivedi.in/ '''आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी''' को समर्पित जालघर]
* [http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=12128 आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} (दिल्ली विश्वविद्यालय)
* [https://web.archive.org/web/20090102005254/http://www.abhivyakti-hindi.org/lekhak/m/mahavir_prasad_dwivedi.htm अभिव्यक्ति में महावीर प्रसाद द्विवेदी]
* [https://web.archive.org/web/20090423113412/http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%B0_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6_%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A5%80 महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाएँ कविता कोश में]
* [https://web.archive.org/web/20121215063416/http://books.google.co.in/books?id=Xk4H42LAY3MC&printsec=frontcover#v=onepage&q=&f=false महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिन्दी नवजागरण] (गूगल पुस्तक ; लेखक - रामविलास शर्मा)
* [http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttarpradesh/4_1_6398832.html हिन्दी के महावीर]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} (जागरण)
* [https://web.archive.org/web/20131217225052/http://www.bhartiyapaksha.com/?p=4904 द्विवेदी केवल साहित्यकार ही नहीं थे] (भारतीय पक्ष)
* [https://web.archive.org/web/20160203155234/http://literature.awgp.org/akhandjyoti/edition/1964/Aug/26 राष्ट्र-भाषा के अमर शिल्पी—महावीर प्रसाद द्विवेदी] (अखण्ड ज्योति)
* [https://www.drmullaadamali.com/2023/12/mahavir-prasad-dwivedi-prose-an-overview.html महावीर प्रसाद द्विवेदी : गद्य एक अवलोकन] (डॉ. मुल्ला आदम अली)
{{हिन्दी के आचार्य व निबंधकार}}
{{हिन्दी साहित्यकार (जन्म १९०१-१९१०) }}
[[श्रेणी:हिन्दी निबन्धकार]]
[[श्रेणी:हिन्दी पत्रकार]]
[[श्रेणी:संपादक]]
[[श्रेणी:1864 में जन्मे लोग]]
[[श्रेणी:१९३८ में निधन]]
[[श्रेणी:रायबरेली के लोग]]
[[श्रेणी:महावीरप्रसाद द्विवेदी]]' |
सम्पादन से हुए बदलावों का एकत्रित अंतर देखिए (edit_diff) | '@@ -175,4 +175,5 @@
* [https://web.archive.org/web/20131217225052/http://www.bhartiyapaksha.com/?p=4904 द्विवेदी केवल साहित्यकार ही नहीं थे] (भारतीय पक्ष)
* [https://web.archive.org/web/20160203155234/http://literature.awgp.org/akhandjyoti/edition/1964/Aug/26 राष्ट्र-भाषा के अमर शिल्पी—महावीर प्रसाद द्विवेदी] (अखण्ड ज्योति)
+* [https://www.drmullaadamali.com/2023/12/mahavir-prasad-dwivedi-prose-an-overview.html महावीर प्रसाद द्विवेदी : गद्य एक अवलोकन] (डॉ. मुल्ला आदम अली)
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