अक्रम सिद्धान्त

गणित का एक सिध्दांत

अक्रम सिद्धान्त (chaos theory/केओस थिअरी), गणित की एक शाखा है जो उन गतिक निकायों पर अपाना ध्यान केन्द्रित करती है जिनका व्यवहार उनके आरम्भिक दशा (initial conditions) पर बहुत अधिक निर्भर करता है। वास्तव में ऐसे बहुत से निकाय हैं जिनमें अव्यवस्था ही अव्यवस्था दिखती है (व्यवहार में कोई पैटर्न नहीं दिखता) किन्तु वे रैण्डम निकाय नहीं होते बल्कि अत्यधिक अरैखिक अक्रमी निकाय होते हैं।

लॉरेंज अट्रैक्टर (Lorenz attractor) एक प्रसिद्ध अक्रमी निकाय है। r = 28, σ = 10, b = 8/3 के लिए इसका आरेख
द्वि-छड़ दोलक (double rod pendulum) का एनिमेशन जो अक्रमी व्यवहार दर्शा रहा है। ध्यान दीजिए कि इस लोलक को आरम्भ करने की दशा में थोड़ा सा भी अन्तर कर देने पर इसके आगे की गति बिलकुल अलग हो जाती है। स्पष्ट है कि द्वि-छड़ लोलक सबसे सरल गतिक निकाय है जो अक्रमी हल देता है।