अन्नदामंगल (बांग्ला : অন্নদামঙ্গল), या नूतनमंगल (बांग्ला : নূতনমঙ্গল), भारतचन्द्र राय द्वारा १७५२-५३ में रचित एक बंगाली काव्य है। इसमें अन्नपूर्णा देवी का महात्म गाया गया है। सम्पूर्न काव्य तीन खण्डों में विभक्त है-

  • (१) अन्नदामंगल या अन्नदामाहात्म्य,
  • (२) विद्यासुन्दर या कालिकामंगल,
  • (३) मानसिंह या अन्नपूर्णामंगल।
देवी अन्नपूर्णा, कालीघाट के पटचित्र पर, १९०० ई