1 भारतीय आना
सामने: ताज के साथ जॉर्ज षष्ठम् की अर्ध-प्रतिमा, नीचे George VI King Emperor अंकित है। पीछे: टकसाल से ढलकर निकलने का साल और मूल्य अंकों, अंग्रेज़ी, उर्दू, बंगाली, तेलुगु और देवनागरी लिपियों में
तांबा-निकल के 1,25,54,80,00 सिक्के 1918-1940 के दौरान टकसाल से निकले

एक आना 1957 तक भारत में और 1961 तक पाकिस्तान में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा इकाई थी। इसका प्रयोग ब्रिटिश भारत में भी होता था। एक आना 116 रुपये के बराबर हुआ करता था।[1] इसे चार (पुराने) पैसों या बारह पाइयों में विभाजित किया गया था (इस प्रकार एक रुपये में 192 पाइयाँ होती थीं)। जब रुपये को दशमलव और 100 (नए) पैसों में उप-विभाजित किया गया, तो एक अन्ना इसलिए 6.25 पैसे के बराबर हो गया था। यह शब्द इस्लामिक मौद्रिक प्रणाली से संबंधित था।[उद्धरण चाहिए] १९५७ में जब भारत और १९६१ में पाकिस्तान ने इसे को विमुद्रीकृत कर दिया था, क्योंकि तब दाशमिक मुद्रावली (decimalisation) लाई गई थी । इसे 5-पैसे के सिक्के से बदल दिया गया था, जिसे 1994 में बंद कर दिया गया था और 2011 में विमुद्रीकृत कर दिया गया था। इसके बावजूद, आज भी आम बोलचाल की भाषा में लोग ५०-पैसे के सिक्के को अठन्नी और २५-पैसे के सिक्के को चवन्नी बोलते हैं।[उद्धरण चाहिए]  

आना शब्द अक्सर 116 अंश को व्यक्त करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

सिक्के संपादित करें

स्टैम्प संपादित करें

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संदर्भ संपादित करें

  1. "Republic India Coinage". मूल से 29 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 मार्च 2020.