इस्सस का युद्ध ईरान के राजा दारा और और सिकंदर के बीच हुआ था। यह युद्ध 333 ई.पू. के अक्टूबर/नवम्बर में दक्षिणी अनातोलिया में हुआ था। इसमें सिकन्दर की सेना विजयी रही थी।

परिचय संपादित करें

सीरिया में फ़रात नदी से थोड़ी दूर पर मिरियांद्रस के पास अलेक्जेंड्रिया था वहीं उत्तर की ओर इस्सस के मैदान में दारा की फौजें खड़ी थीं और दक्षिण की ओर अपने रिसालों और पैदलों के साथ मकदूनिया का राजा सिकंदर डटा था। दारा की सेनाएँ देली की धारा के दोनों ओर चलकर ग्रीक सेना पर हमले के लिए बढ़ीं। इधर सिकंदर ने दारा की हरावल पर हमला किया। हरावल टूट गई। ईरानी सेना बड़ी संख्या में मारी गई। डियोडोरस और प्लूटार्क ने यह संख्या 1 लाख 10 हजार बताई है। मृत मकदूनियाई सैनिकों की संख्या साढ़े चार सौ ही बताई जाती है जिसे सहीं नहीं माना जाता।

ईरान के विरुद्ध सिकंदर का यह पहला अभियान था, अंतिम अभियान 331 ई.पू. में हुआ। दारा के पूर्वजों ने कभी ग्रीस पर चढ़ाई कर एथेंस को जला डाला था और ईरान की विजय करते समय सिकंदर भूला न था कि उसे ईरान और उसके सम्राट् के प्रतिनिधि दारा तृतीय से बदला लेना है। ईरान की राजधानी पर्सिपोलिस को जलाकर उसने एथेंस का बदला लिया पर वह अरबला की लड़ाई के बाद हुआ जो बाख्त्री पर उसके हमले के पहले ईरान के विरुद्ध अंतिम अभियान था।

इस्सस के युद्ध में ईरान के विध्वंस का आरंभ था जिसके परिणाम में सीरिया से हिंदूकुश और आमू दरिया तक एशिया की जमीन सिकंदर के अधिकार में आ गई। इस्सस के युद्ध ने प्रमाणित कर दिया कि शत्रु की सेना की संख्या चाहे जितनी बड़ी हो, विजय संख्या से नहीं, सैन्य संचालन के कौशल से होती है। दारा के पास संख्या थी, सिकंदर के पास रणकौशल था।

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