ईवाँ तृतीय (Ivan III Vasilyevich ; रूसी: Иван III Васильевич; 22 जनवरी 1440, मॉस्को – 27 अक्टूबर 1505, मॉस्को) मास्को का ग्रांड ड्यूक। पिता वासिली द्वितीय के जीवनकाल में ही सहशासक घोषित किया गया, जिससे अन्य राजकुमार उसका स्थान न छीन सकें। रूस के इतिहास में यह अत्यधिक प्रसिद्ध है और ईवाँ महान् के नाम से विख्यात है। इसने मास्को के राज्य का विस्तार कर उसे पहले से तीन गुना कर दिया।

१४७१-७८ की दो लड़ाइयों में इसने नोवगोरोदें को जीता। हैप्सवर्ग पवित्र रोमन सम्राट् द्वारा दी 'राजा' की उपाधि अस्वीकृत करते हुए इसने कहा, अपने देश में हम अपने पूर्वजों के समय से प्रभुत्वसंपन्न रहे हैं और ईश्वर से हमें प्रभुत्वशक्ति प्राप्त हुई है। धमकी या युद्ध द्वारा उसने यारस्लावो (१४६३), रोस्तोव (१४७४) और त्रंवेर (१४८५) हथियाह लिए। १४८० में तातार को खिराज देना बंद कर तातारों की दासता का जुआ उसने उतार फेंका।

ईवाँ तृतीय के १४७२ के मुहर का पीछे वाला भाग

रूसी जाति का प्रथम सरदार तो यह पहले से ही था, बीजांतीनी साम्राज्य के अंमिम शासक के भाई थामस पालो ओलोगस की कन्या सोफिया (जोए) के साथ दूसरा विवाह कर मास्को की प्रतिष्ठा और उसकी अधिसत्ता में उसने वृद्धि की और बीज़ांतियम के द्विशीर्ष गृद्ध (ईगल) को मास्को के राजचिह्न में स्थान देकर ग्रीक ईसाई धर्म का संरक्षक होने का अपना दावा स्थापित किया। इस विवाह के फलस्वरूप मास्को में पूर्वी दरबारी ढंग और शानशौकत को स्थान मिला और राजा प्रजा से दूर हो गया। वह अपने को 'ओतोक्रात्' (स्वेच्छाचारी) कहता था और विदेशी पत्रव्यवहार में अपने को 'जार' लिखता था।

रूस का प्रवेश बाल्टिक सागर में हो जाए, इस दृष्टि से उसने लिथुआनिया लेने का प्रयत्न किया, किंतु स्वीडन और पोलैंड के कारण उसका यह प्रयत्न सफल नहीं हुआ। दक्षिण में उसने अपना राज्य वोल्गा के मध्य तक फैलाया और तातारों को हराया। सरदारों की सत्ता घटाकर ईवाँ रूसी विधि (Sudebnik) का संहिताकरण किया।