कछुए (Turtles) या कूर्म टेस्टूडनीज़ नामक सरीसृपों के जीववैज्ञानिक गण के सदस्य होते हैं जो उनके शरीरों के मुख्य भाग को उनकी पसलियों से विकसित हुए ढाल-जैसे कवच से पहचाने जाते हैं।[2] विश्व में स्थलीय कछुओं और जलीय कछुओं दोनों की कई जातियाँ हैं। कछुओं की सबसे पहली जातियाँ आज से १५.७ करोड़ वर्ष पहले उत्पन्न हुई थीं, जो की सर्वप्रथम सर्पोंमगरमच्छों से भी पहले था। इसलिये वैज्ञानिक उन्हें प्राचीनतम सरीसृपों में से एक मानते हैं। कछुओं की कई जातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं लेकिन ३२७ आज भी अस्तित्व में हैं। इनमें से कई जातियाँ ख़तरे में हैं और उनका संरक्षण करना एक चिंता का विषय है। इसकी उम्र 300 साल से अधिक होती है [3] (नोट: भारत की एकमात्र कछुआ संरक्षण परियोजना भीतरकनिका,ओडिशा में 1989 को प्रारंभ हुई थी।)

कछुआ
Turtle
हरा समुद्री कछुआ
वैज्ञानिक वर्गीकरण
जगत: जंतु
संघ: रज्जुकी (Chordata)
वर्ग: सरीसृप (Reptilia)
गण: टेस्टूडनीज़ (Testudines)
बात्श, १७८८[1]
उपसमूह

Cryptodira
Pleurodira

भौगोलिक विस्तार (नीला: समुद्री कछुए, काला: स्थलीय कछुए)

व्यवहार संपादित करें

कछुओं के रेटिना में असामान्य रूप से बड़ी संख्या में कोशिकाओं के होने से ये आसानी से रात के अंधेरे में देख लेते हैं। यह रंगों को देख सकते हैं और पराबैंगनी किरणों से लेकर लाल रंग तक को देख सकते हैं। कुछ भूमि में पाये जाने वाले कछुओं में तेजी की बहुत कमी देखने को मिलती है, इस तरह की कमी ज्यादातर शिकारियों में होती है, जो अचानक तेजी से शिकार को शिकार बना लेते हैं। हालांकि कुछ मांसाहारी कछुए अपने सिर को तेजी से स्थानांतरित करने में सक्षम हैं।


इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Testudines". Integrated Taxonomic Information System.
  2. Alderton, D. (1986). An Interpret Guide to Reptiles & Amphibians. London & New York: Salamander Books. ASIN B0010NVLQS
  3. Angier, N. (December 12, 2012). "All but Ageless, Turtles Face Their Biggest Threat: Humans Archived 2015-12-02 at the वेबैक मशीन". The New York Times.