किसी सम्प्रदाय या विचार को आंख मूंदकर मानना और उसके लिए अति उत्साह से काम करना कट्टरता (fanaticism) कहलाता है। जॉर्ज सन्तायन के अनुसार, " जब लक्ष्य ही भूल गया हो तब अपने प्रयास को दोगुना बढ़ा देना" कट्टरपन है। कट्टर व्यक्ति बहुत कड़ाई से किसी विचार का पालन करता है तथा उससे भिन्न या विपरीत विचारों को सह नहीं सकता। अर्थात किसी भी धर्म, जाति, वर्ण,या कोई भी राजनितिक, धार्मिक, सामाजिक संगठन के लिए पूरी तरह समर्पित होकर कार्य करना, उससे मानना, किसी अन्य द्वारा किसी भी प्रकार की टिपण्णी न सुनना और अपने द्वारा माने जाने बाले उपरोक्त या किसी अन्य काणन को सर्वोपरि मानना ही कट्टरता है।