कवक विज्ञान (अँग्रेजी: Mycology) कवक प्रजाति का ज्ञान (विज्ञान) है, जिसमें उनकी जैव-रसायनीय विशेषताओं का, अनुवांशिक विशेषताओं आदि की एवं मानव के कल्याण हेतु आयुर्विज्ञान आदि हेतु अनुसन्धान किया जाता है। कवक पर्णहरिमरहित होते हैं। इनमें जड तना पत्ती नही होती है|ये परजीवी अथवा मृतजीवी होते हैं। और बीजाणुओं द्वारा जनन करते हैं|कुछ कवक सहजीवी भी होते हैं कवक शब्द Latin भाषा से लिया गया है वह सर्वव्यापी है। यह परजीवी हैं यह अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते हैं। इनमें क्लोरोप्लास्ट नहीं पाया जाता है। जिस कारण यह non-green होते हैं।कवक एक प्रकार के जीव हैं जो अपना भोजन सड़े गले मृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। ये संसार के प्रारम्भ से ही जगत में उपस्थित हैं। इनका सबसे बड़ा लाभ इनका संसार में अपमार्जक के रूप में कार्य करना है। इनके द्वारा जगत में से कचरा हटा दिया जाता है।कवक जीवों का एक विशाल समुदाय है जिसे साधारणतया वनस्पतियों में वर्गीकृत किया जाता है। इस वर्ग के सदस्य पर्णहरित रहित होते हैं और इनमें प्रजनन बीजाण्वों द्वारा होता है। ये सभी सूकाय वनस्पतियाँ हैं, अर्थात् इनके शरीर के ऊतकों में कोई भेदकरण नहीं होता; दूसरे शब्दों में, इनमें जड़, तना और पत्तियाँ नहीं होतीं तथा इनमें अधिक प्रगतिशील पौधों की भाँति संवहनीयतंत्र नहीं होता। पहले इस प्रकार के सभी जीव एक ही वर्ग कवक के अंतर्गत परिगाणित होते थे, किन्तु अब वनस्पति विज्ञानविदों ने कवक वर्ग के अतिरिक्त दो अन्य वर्गों की स्थापना की है जिनमें क्रमानुसार जीवाणु और श्लेष्मोर्णिका हैं। जीवाणु एककोशीय होते हैं जिनमें प्रारूपिक नाभिक नहीं होता तथा श्लेष्मोर्णिक की बनावट और पोषाहार जन्त्वों की भाँति होता है। कवक अध्ययन के विज्ञान को कवक विज्ञान कहते हैं।

मशरूम वास्तव में कवक (फंगस) के जनन की संरचना हैं।

इन्हें भी देखें संपादित करें

  • माइकोटॉक्सिकोलॉजी
  • माइकोलॉजिस्ट की सूची
  • रोगजनक कवक

सन्दर्भ संपादित करें

  • Elias Magnus Fries, Systema mycologicum (1821) [1]
  • Hawksworth, D. L. Mycologist's Handbook. (1974) Kew: U.K., CAB International.

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