क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी

दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का शासक। कुतुबुद्दीन मुुुबारक खिलजी ने सन 1316 ई० से 1320 ई० तक दिल्ली में शासन किया। इसके एक विश्वास-पात्र वजीर खुुुसरो खां ने इसकी हत्या(15अप्रैल,1320ई०को) करके सिन्हासन पर कब्जा किया।

क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी
कुतुब अल-दीन मुबारक का सिक्का। ,दिल्ली में ढला हुआ,AH 718 (1318/19 CE)
15 वा दिल्ली का सुल्तान
शासनावधि14 अप्रैल 1316 – 1 मई 1320
राज्याभिषेक14 अप्रैल 1316
पूर्ववर्तीशहाबुद्दीन उमर
उत्तरवर्तीखुसरो खान
जन्मक़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी
अज्ञात
निधन9 जुलाई 1320
हजार सुतुन महल, दिल्ली
शासनावधि नाम
कुतबुद्दीन
राजवंशख़िलजी वंश
पिताअलाउद्दीन खिलजी
धर्मइस्लाम

क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी 19 अप्रैल 1316 ई. को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा था। उसने 1316 ई. से 1320 ई. तक राज्य किया। गद्दी पर बैठने के बाद ही उसने देवगिरि के राजा हरपाल देव पर चढ़ाई की और युद्ध में विजई हुआ। इसने देवगिरी का अभियान 1318 में किया तथा विजय प्राप्त की उसके बाद वारंगल अभियान किया बाद में इस क्रूूर शासक ने हरपाल देव को बंदी बनाकर उनकी खाल उधड़वा दी। अपने शासन काल में उसने गुजरात के विद्रोह का भी दमन किया था। ।इसने देवगिरी का अभियान 1318 में किया तथा विजय प्राप्त की उसके बाद वारंगल अभियान किया इस समय वारंगल का सेनापति प्रताप रुद्रदेव था अंतिम अभियान पांडे वश में किया था इसमें राजनीतिक सफलता नहीं मिली सफलता नहीं मिलने के कारण पांडे वंश के शहर को खुसरो खा ने लूटा था अपनी इन विजयों के कारण ही उसका दिमाग फिर गया वह अपना समय सुरा तथा सुन्दरियों में बिताने लगा। वह‌ खुसरो खान हिन्दू धर्म का परिवर्तित मुसलमान था एवं कहा कि इस्लाम खतरे में है। उसकी इन विजयों के अतिरिक्त अन्य किसी भी विजय का वर्णन नहीं मिलता है। क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी ने अपने सैनिकों को छः माह का अग्रिम वेतन दिया था। विद्धानों एवं महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की छीनी गयी जागीरें उन्हें वापस कर दीं। अलाउद्दीन ख़िलजी की कठोर दण्ड व्यवस्था एवं बाज़ार नियंत्रण आदि व्यवस्था को उसने समाप्त कर दिया था। क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी को नग्न स्त्री-पुरुषों की संगत पसन्द थी। अपनी इसी संगत के कारण कभी-कभी वह राज्य दरबार में स्त्री का वस्त्र पहन कर आ जाता था। 'बरनी' के अनुसार मुबारक कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था। उसने ‘अल इमाम’, ‘उल इमाम’ एवं ‘ख़िलाफ़़त-उल्लाह’ की उपाधियाँ धारण की थीं। उसने ख़िलाफ़़त के प्रति भक्ति को हटाकर अपने को ‘इस्लाम धर्म का सर्वोच्च प्रधान’ और ‘स्वर्ण तथा पृथ्वी के अधिपति का 'ख़लीफ़ा घोषित किया था। साथ ही उसने ‘अलवसिक विल्लाह’ की धर्म की प्रधान उपाधि भी धारण की थी मुबारक के वज़ीर खुसरो खां ने 15april 1320 को हत्या कर दी। ‌ ‌ यह खिलजी वंश का अंतिम शासक था

मृत्यु संपादित करें

क़ुतुबुद्दीन मुबारक़ ख़िलजी के प्रधानमंत्री ख़ुसरों ख़ाँ ने 1320 ई॰ में उसकी हत्या करवा दी थी।

  • अलाउद्दीन खिलजी