काली मिट्टी

मिट्टी का एक प्रकार

भारत की स्थानीय मिट्टी में से काली मिट्टी सबसे अलग दिखाई देती है, इसे रेगुर भी कहा जाता है। इसमे नाइट्रोजन,पोटास,ह्यूमस की कमी होती है। लेकिन प्राया: इसे काली कपास मिट्टी कह्ते हैं, क्योंकि इसमे कपास की खेती ज्यादा होती है। काली मिट्टी मुख्यतः महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, और मध्य प्रदेश में पाई जाती है और इस मिट्टी में मैग्नेशियम,चूना,लौह तत्व तथा कार्बनिक पदार्थों की अधिकता होती है। इस मिट्टी का काला रंग टिटेनीफेरस मैग्नेटाइड एंव जीवांश(Humus) की उपस्थिति के कारण होता है।

काली मिट्टी

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काली मिट्टी को चेरनोजम कहा गया है। चेरनोजम मिट्टी मुख्य रूप से काला सागर के उत्तर में यूक्रेन में तथा ग्रेट लेक्स के पश्चिम में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में पाई जाती है।

– काली मिट्टी को लावा मिट्टी भी कहते हैं क्योंकि यह दक्कन ट्रैप के लावा चट्टानों की अपक्षय अर्थात टूटने फूटने से निर्मित हुई मिट्टी है।

– दक्कन पठार के अलावा काली मिट्टी मालवा पठार की भी विशेषता है अर्थात मालवा पठार पर भी काली मिट्टी पाई जाती है।

– काली मिट्टी का सर्वाधिक विस्तार महाराष्ट्र राज्य में है।

– काली मिट्टी की प्रमुख विशेषता यह है कि उसमें जल धारण करने की सर्वाधिक क्षमता होती है काली मिट्टी बहुत जल्दी चिपचिपी हो जाती है तथा सूखने पर इस में दरारें पड़ जाती हैं इसी गुण के कारण काली मिट्टी को स्वत जुताई वाली मिट्टी कहा जाता है।

– कपास की खेती सर्वाधिक गुजरात राज्य में होती है अर्थात कपास का उत्पादन सर्वाधिक गुजरात राज्य में होता है।

सन्दर्भ संपादित करें

साँचा:NCERTरेगुर ,चेरनोजम


  • काली मृदा का निर्माण बेसाल्ट चट्टानों के विखंडन से।
  • इसका काला रंग टीटानीफेरस मैग्नेटाइट के कारण ।

स्वत जोत प्रक्रिया इसमें पाई जाती है।

  • इसमें अधिकता - वाले तत्व लोहा,एल्युमिनियम,पोटाश,चुना तथा
  • कमी वाले तत्व - नाइट्रोजन, ह्यूमस,फास्फोरस।
  • इसे - रेगुर/काली/कपासी/चेरनोजम मिट्टी के नाम से जानते हैं।
  • इसमें मुख्य कपास -,मूंगफली,तंबाकू,फल उत्पादित किए जाते है।